
पहाड़ का सच चंपावत।

जिले के बाराकोट विकासखंड के दूरस्थ सील गांव के ग्रामीण आज भी बुनियादी सड़क सुविधा से वंचित हैं। ग्रामीणों को कई किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क तक आना पड़ता है। ये मुश्किल तब और बढ़ जाती हैं, जब किसी मरीज या असहाय को अस्पताल लाना पड़ता है। इसी परेशानी का एक मार्मिक उदाहरण मंगलवार को देखने को मिला, जब गांव के निवासी सुरेश सिंह बिष्ट अपनी 13 वर्षीय बीमार बेटी निशा को कंधे पर बैठाकर आठ किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क तक लाए।
जानकारी के अनुसार सुबह करीब 10 बजे आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली निशा की तबीयत अचानक बिगड़ गई। गांव में सड़क नहीं होने के कारण उसे अस्पताल ले जाना मुश्किल हो गया। मजबूरन पिता ने बेटी को कंधे पर उठाया और पातल गांव तक पहाड़ी रास्तों से पैदल पहुंचे। वहां से वाहन के जरिए निशा को 15 किमी दूर उप जिला अस्पताल लोहाघाट लाया गया। अस्पताल के फिजिशियन ने बताया कि छात्रा पीलिया से ग्रस्त है और उसका उपचार किया जा रहा है।
सील गांव में प्राथमिक स्कूल के बाद उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को 10 किलोमीटर दूर जीआईसी चौमेल तक पैदल जाना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से सड़क की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने बताया कि 17 अगस्त 2021 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सील गांव को सड़क से जोड़ने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक कार्य शुरू नहीं हुआ। 2022 में ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान भी किया था। प्रशासनिक आश्वासन के बाद उन्होंने मतदान तो किया, पर अब भी सड़क का इंतजार जारी है।
