
स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं जेलों में: एडीजी अभिनव कुमार

नीति में बदलाव, पैरोल का अधिकार अब आईजी कारागार को
सुरक्षा के लिए सभी जेलों में लग रहे हैं खुफिया कैमरे
पहाड़ का सच देहरादून।
अपर पुलिस महानिदेशक जेल प्रशासन अभिनव कुमार ने ” पहाड़ का सच” से एक साक्षात्कार में बताया कि जेल सुधारों के अन्तर्गत बंदियों के चारित्रिक व नैतिक उत्थान के लिये उत्तराखण्ड कारागार विभाग सततः प्रयत्नशील है, इसके लिये राज्य की कारागारों में बंदियों के सुधार एवं पुनर्वास कार्यक्रमों को गति देने के लिये आधारभूत व्यवस्थाओं में वृद्धि की जा रही है।
विचाराधीन कैदियों की शीघ्र सुनवाई और न्यायिक प्रकिया में तेजी लाने के लिए उत्तराखण्ड कारागार विभाग राज्य की सभी कारागारों में वी०सी० सेटअप का विस्तार कर रहा है, इसके लिये इसी वित्तीय वर्ष में राज्य की 4 बड़ी कारागारों में 77 VC Cubicles के निर्माण के लिए शासन ने स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है। अगले वित्तीय वर्ष में इतने ही VC Cubicles का निर्माण अन्य कारागारों में प्रस्तावित है।
कारागार में निरूद्ध बंदियों की सुनवाई के लिये DLSA के माध्यम से निःशुल्क विधिक सहायता (Legal Aid) / वकील प्रदान किये गये हैं। विचाराधीन बंदियों की जमानत होने के बाद Bail Bond/Surety न दे पाने के कारण रिहा न हो पाने वाले बंदियों को उच्चतम न्यायालय/ उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार उन्हें Short term bail/Personal Bond पर जमानत पर छोड़ने की कार्यवाही करायी जा रही है।
जमानत पर प्रतिभूति जमा करने पर अक्षम बंदियों को Support to Poor Prisoners Scheme के माध्यम से सहायता के लिये जिला स्तरीय Empowered Committee को मामले सन्दर्भित कर कार्यवाही की जा रही है। विचाराधीन बंदियों को कारागार से छोड़ने के लिए 436 Crpc एवं 479 BNSS के अन्तर्गत 1/2 एवं 1/3 अवधि पूर्ण कर चुके बंदियों के प्रकरण UTRC के सम्मुख प्रस्तुत कर कार्यवाही करायी जी रही है।
जेल सुधारों के अन्तर्गत बंदियों के चारित्रिक व नैतिक उत्थान के लिये उत्तराखण्ड कारागार विभाग सततः प्रयत्नशील है, इसके लिये राज्य की कारागारों में बंदियों के सुधार एवं पुर्नवास कार्यक्रमों को गति देने के लिये आधारभूत व्यवस्थाओं में वृद्धि की जा रही है. राज्य में उच्च अधिकार प्राप्त Jail Development Board का गठन किया गया है जिसके अन्तर्गत बंदियों के रहन-सहन की सुविधाओं में विस्तार तथा उनके कौशल विकास के लिये कई बाहरी संस्थाओं तथा NGO से Tie-up कर सिलाई, मोटर बाइंडिंग, दरी उद्योग, गमला उद्योग, मोमबत्ती, लिफाफे, मशरूम, शिल्पकला, इलैक्ट्रिक वायरिंग इत्यादि का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है तथा कई संस्थाओं से जॉब वर्क प्राप्त किया जा रहा है.
राज्य में प्रत्येक जेल में Cooperative Society का गठन किया गया है, जिसके माध्यम से भी बंदियो को जॉब वर्क प्रदान किया जा रहा है. बंदियों को IGNOU & NIOS के माध्यम से कारागार में सेन्टर खोलकर साक्षर किया जा रहा है. विगत वर्षों में 300 से अधिक बन्दियों को इन केन्द्रों के माध्यम से शिक्षित किया गया तथा इस वर्ष 130 से अधिक बन्दी पंजीकृत हुए.
विभाग का यह प्रयास रहता है कि जेल में आने वाले प्रत्येक बंदी को उसकी अभिरुचि के अनुसार उसे किसी क्रियाविधि में नियोजित कर उसे समाज की मुख्यधारा में शामिल होने योग्य बना सके.
बंदियों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिये राज्य सरकार द्वारा द्वारा दिनांक 09 फरवरी, 2021 द्वारा निर्गत समयपूर्व मुक्ति नीति में परिवर्तन कर समयपूर्व मुक्ति नीति, 2022 एवं जेल मैनुअल, 2023 में उसे बंदियों की दृष्टि से अधिक उदार एवं पारदर्शी बनाया गया है.
रिहाई हेतु 16 वर्ष की अपरिहार्य सजा को कम करते हुये 14 वर्ष किया गया
गम्भीर बीमारी से ग्रसित बंदियों की रिहाई हेतु सजावधि को 10 वर्ष की बाध्यता को समाप्त कर सजावधि पूर्णरूप से समाप्त की गयी
.70 वर्ष की एवं उससे आधिक के आयु के बंदियों को पूर्व नीति में 12 वर्ष की सजा व 80 वर्ष की एवं उससे अधिक के आयु के बंदियों को 10 वर्ष की सजा के स्थानपर 70 वर्ष एवं उससे अधिक की आयु के बंदियों को 10 वर्ष की अपरिहार सजा भोगने के उपरान्त रिहाई हेतु पात्रता रखी गयी
. पूर्व नीति में कतिपय प्रतिबंधित श्रेणी की धाराओं में निरूद्ध बंदियों को समयपूर्व रिहाई का अवसर प्राप्त नही था जिसके स्थान पर प्रतिबंधित श्रेणी की धाराओं में निरूद्ध बंदियों के समयपूर्व रिहाई प्रकरणों में मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन की अध्यक्षता में गठित समिति के स्तर पर विचार का अवसर प्रदान किया गया.
. पूर्व में समयपूर्व मुक्ति की प्रकिया स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस के अवसर पर ही सम्पन्न होती थी. अधिक बन्दियों को समयपूर्व मुक्ति का अवसर प्रदान किये जाने के उद्देश्य से सरलीकरण करते हुए बंदियों के समयपूर्व मुक्ति की बैठकों को नियमित करते हुये उनकी संख्या बढ़ाते हुये वर्ष में 04 बार (त्रैमासिक रूप से) किया गया.
ऐसे बन्दी जो जमानत होने के उपरान्त भी जमानत राशि जमा करने में असमर्थ होते हैं उनकी सहायता हेतु भारत सरकार की Support to poor Prisoners योजना के अन्तर्गत पात्र बन्दियों की जमानत धनराशि का भुगतान कर कारागार से रिहा किया जाता है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली द्वारा दिये गये निर्देशानुसार उत्तराखण्ड राज्य की कारागारों में निरूद्ध बंदियों की मृत्यु होने पर उनके विधिक उत्तराधिकारियों को प्रतिकर/मुआवजा राशि प्रदान किये जाने हेतु ‘उत्तराखण्ड राज्य में कारागार पर बंदी की मृत्यु पर विधिक उत्तराधिकारियों को प्रतिकर / मुआवजा राशि भुगतान नीति, 2024 प्रख्यापित की गयी है। उक्त निति के अनुसार प्रतिकर / मुआवजा हेतु पात्रता श्रेणी का निर्धारण निम्नवत् किया गया है:
.मृत्यु का कारण मुआवजे की राशि 2 लाख
.प्राकृतिक मृत्यु (जेल में निरूद्ध प्रत्येक बंदी) 3 लाख
. आपसी लडाई के कारण मृत्यु 3 लाख
. जेल कर्मचारियों द्वारा यातना / मारपीट के कारण मृत्यु 5 लाख
. आत्महत्या के कारण मृत्यु 5 लाख रूपये
. चिकित्सकीय लापरवाही के कारण मृत्यु 3 लाख रूपये
प्रदेश की समस्त कारागारों में सीसीटीवी कैमरे संयोजित किये गये हैं. कारागारों में बैगेज स्कैनर, सिक्योरिटी पोल, डोर फेम मैटल डिटेक्टर, हैण्ड हैल्ड मैटल डिटेक्टर, वॉकी-टॉकी इत्यादि सुरक्षा उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है.
उत्तराखण्ड राज्य में नवम्बर, 2023 से लागू नई कारागार नियमावली में बदलाव करते हुये पैरोल नीति को अधिक प्रभावी तथा पारदर्शी बनाया गया है. बंदियों को पैरोल के लिये पात्रता की शर्ते तथा अवधि नियत कर दी गयी है. पैरोल नीति को अधिक सुगम एवं प्रभावी बनाने तथा त्वरित निर्णय लिये जाने के उद्देश्य से नई व्यवस्था में पैरोल स्वीकृति का अधिकार जो पहले शासन के पास था अब कारागार विभाग के महानिरीक्षक कारागार को प्रदान किया गया है.
* कैदियों के पुर्नवास और समाज में पुनः समावेशन के लिए राज्य की कारागारों में विभिन्न गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से कौशल विकास कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं, जिसमें बंदियों को कम्प्यूटर, इलैक्ट्रिक वायरिंग, गमला निर्माण, फर्नीचर, मोमबत्ती, दरी कालीन निर्माण, लिफाफे, मशरूम उत्पादन, बाँस, शिल्पकला, कपडा, सिलाई, बुनाई, बैकरी उत्पाद आदि व्यवसायों का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, जिससे बंदी कारागार से रिहा होने पर स्वरोजगार अपना कर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके.
कौशल विकास के अन्तर्गत कारागारों में संचालित कौशल विकास कार्यक्रम :
कम्प्यूटर प्रशिक्षण, सिलाई प्रशिक्षण, मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण, ऑटोमोबाईल पार्ट्स मेकिंग, इलेक्ट्रीकल, हॉटीकल्चर बागवानी एवं पॉलीहाउस, बेकरी उत्पाद प्रशिक्षण, कारपेन्टरमहिन्द्र ट्रेक्टर व बजाज बाईक के wire hamesses बनाने का प्रशिक्षण, फूलों की खेती (Floriculture) एवं बागवानी (horticulture) सम्बन्धी प्रशिक्षण
कारागारों में अस्त्र शस्त्रों के आधुनिकीकरण हेतु 1000 SLR एवं 100 9mm Pistols का कय किया गया है तथा कारागार कर्मियों को इन आधुनिक शस्त्रों का प्रभावी प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है.
* जेलों के डिजिटलीकरण और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को आसान बनाने के लिए प्रदेश की कारागारों में e-prison पोर्टल संचालित किया जा रहा है जिसमें बन्दी की कारागार से प्रवेश से मुक्ति, उनके आवागमन, मुलाकात, रिहाई इत्यादि की सम्पूर्ण जानकारी डिजिटल रूप में संकलित की जाती है.
* प्रदेश की कारागारों में बंदियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने हेतु RO तथा शीतकाल में गर्म पानी हेतु Geyser उपलब्ध है एवं प्रत्येक माह में नहाने एवं धोने का साबुन, टूथपेस्ट, टूथब्रश, बालों में लगाने के लिए तेल आदि की व्यवस्था है.
* महिला बंदियों को पर्याप्त मात्रा में सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराये जाते है तथा Sanitary Napkin Vending Machine, Sanitary Napkin Disposal Machine व डस्टबिन लगाये गये है।
* सनी महिला बन्दियों को Legal Aid की सुविधा प्रदान की जाती है तथा जो बंदी केस की पैरवी करने में असमर्थ एवं असहाय होते है, उन्हें तत्काल विधिक सहायता उपलब्ध करायी जाती है.
कारागारों में निरूद्ध उच्च शिक्षित महिला बंदियों द्वारा निरक्षर महिला बंदियों को शिक्षित एवं साक्षर किया जा रहा है.
* प्रदेश की कुछ कारागारों में National Institute of Open Schooling (NIOS) एवं Indira Gandhi National Open University (IGNOU) के अध्ययन केन्द्र संचालित हैं। पुरुष बन्दियों की भाँति महिला बन्दियों को भी इस अध्ययन केन्द्र में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
व्यवसायिक कार्यक्रम के अन्तर्गत विभिन्न संस्थाओं द्वारा समय-समय पर कारागार में आकर महिला बन्दियों को जूट बैग मेकिंग, ब्यूटी पार्लर, पैन मेंकिग, होटल मैनेजमेन्ट, अचार, पापड़, अगरबत्ती व धूपबत्ती बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है.
* महिला बंदियों के उपचार हेतु समय-समय पर स्त्री रोग विशेषज्ञ कारागारों में आकर बीमार महिला बंदियों का उपचार करती है एवं आवश्यकता होने पर उन्हें जिला चिकित्सालयों एवं हाई सेन्टर उपचार हेतु भेजा जाता है। प्रदेश की कारागारों में महिला बंदियों के उपचार हेतु समय-समय पर जिला चिकित्सालयों से सम्पर्क कर चिकित्सा कैम्प लगाये जाते है.
* गर्भवती महिला बन्दियों का आवश्यक स्वास्थ्य परीक्षण / टीकाकरण कराया जाता है.
* महिला बन्दियों के मानसिक तनाव को कम कर उनकी भौतिक एवं आध्यात्मिक समृद्धि बढ़ाने के उद्देश्य से कारागार में आर्ट ऑफ लिविंग, बह्मकुमारीज इत्यादि के कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित कराये जाते है.
* राज्य में नई जेलों के निर्माण की योजनाएं:
. जनपद पिथौरागढ़ में निर्माणाधीन जेल का निर्माण कार्य अन्तिम चरण में है.
. जनपद चम्पावत में कारागार के निर्माण हेतु प्रथम किश्त के रूप में 11 करोड़ अवमुक्त किये गये हैं.
. जनपद ऊधमसिंहनगर में जिला कारागार के निर्माण हेतु प्रक्रियात्मक कार्यों की स्वीकृति शासन स्तर से प्रदान की गयी है.
. जनपद उत्तरकाशी में जिला कारागार के निर्माण की प्रशासकीय स्वीकृति शासन से प्रदान की गयी है.
. जनपद बागेश्वर एवं रूद्रप्रयाग में भूमि चयन/स्थानान्तरण की कार्यवाही प्रचलितराज्य की जेलों में प्रचलित निर्माण कार्य:
जिला कारागार देहरादून में स्किल डेवलपमेंट प्रशिक्षण केन्द्र का निर्माण
.जिला कारागार, देहरादून में 8 नवीन बैरकों का निर्माण
. जिला कारागार हरिद्वार में उच्च सुरक्षा बैरक का निर्माण
. जिला कारागार देहरादून में सीवरेज योजना
. जिला कारागार, देहरादून में ट्यूबवैल एवं ओवरहेड टैंक का निर्माण
. जिला कारागार, अल्मोड़ा में प्रशासनिक भवन एवं वीसी हॉल का निर्माण
. जिला कारागार, हरिद्वार में उच्च सुरक्षा बैरक के इन्क्लोजर वॉल का निर्माण
. केन्द्रीय कारागार सितारगंज में वी०सी० हॉल, चिकित्सालय मुलाकाती वैटिंग रूम एन अन्य आवश्यक निर्माण कार्य
. जिला कारागार, टिहरी की मेनवॉल/सर्किलवॉल की ऊंचाई बढ़ाये जाने एवं विद्युत फैसिंग लगाये जाने का कार्य
. केन्द्रीय कारागार, सितारगंज में कारागार के भीतर एप्रोच रोड़ का निर्माण
. जिला कारागार, नैनीताल परिसर में पहुंच मार्ग, प्रतीक्षालय का निर्माण
. जिला कारागार, देहरादून / हरिद्वार, उप कारागार, रुड़की/हल्द्वानी में वी०सी क्यूबिकल्स का निर्माण
जिला कारागार, चमोली में एप्रोच सड़क का निर्माण
उप कारागार, रुड़की में स्ट्रॉम वाटर एण्ड ड्रेनेज सिस्टम की स्थापना
जिला कारागार, देहरादून / हरिद्वार, उप कारागार, रुड़की एवं केन्द्रीय कारगणाच सितारगंज में आवासीय भवनों का निर्माण.
