
कलकत्ता हाइकोर्ट की जांच समिति ने कहा, हिंसा में तृणमूल नेता शामिल, mla के सामने कई घरों में आग लगाई
आग न बुझे इसलिए पहले ही पानी के संयोजन काट दिए गए
पहाड़ का सच/एजेंसी ।
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर high court की जांच समिति की ओर से चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हिंसा के दौरान हिंदुओं को निशाना बनाया गया। हिंसा के समय राज्य की पुलिस मूकदर्शक बनी रही। जांच समिति के मुताबिक हिंसा में तृणमूल नेता शामिल रहे। विधायक के सामने ही घरों में आग लगाई गई।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में अप्रैल महीने में भड़की हिंसा में राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का एक नेता शामिल था। हिंसा के दौरान हिंदुओं को निशाना बनाया गया। इस दौरान पुलिस कहीं मूकदर्शक बनी रही, तो कहीं मौके पर नहीं पहुंची। हिंसा की जांच के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट की ओर से गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में ये बातें कही हैं। वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में यह हिंसा भड़की थी।
High court की जांच समिति के बिंदु:
कलकत्ता हाईकोर्ट की न्यायाधीश सौमेन सेन और राजाबसु चौधरी की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार को पेश रिपोर्ट में बताया गया कि मुख्य हमला शुक्रवार, 11 अप्रैल को दोपहर 2:30 बजे के बाद हुआ, जिसका नेतृत्व स्थानीय पार्षद महबूब आलम कर रहा था। उसके साथ हजारों लोग थे। बेदवना गांव में 113 घरों को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया गया, जो रहने लायक नहीं रह गए हैं।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट ने 17 अप्रैल को समिति गठित की थी
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण और न्यायिक सेवा के सदस्यों वाली समिति ने रिपोर्ट में स्पष्ट कहा कि हिंसा का निशाना हिंदू समुदाय था। बेदवना गांव में तृणमूल विधायक अमीरुल इस्लाम भी आए और देखा कि किन घरों पर हमला नहीं हुआ है, फिर हमलावरों ने उन घरों में आग लगा दी। यह सब विधायक के सामने हुआ, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया और मौके से चले गए। पीड़ितों ने मदद के लिए पुलिस को फोन किया, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। हाईकोर्ट ने हिंसा के पीड़ितों की पहचान और पुनर्वास के लिए 17 अप्रैल को समिति गठित की थी।
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साजिश: पानी के कनेक्शन तक काटे ताकि आग न बुझा पाएं
रिपोर्ट के अनुसार, इलाके में बड़े पैमाने पर आगजनी, लूटपाट हुई और दुकानों व मॉल को नष्ट किया गया। हमलावर शमशेरगंज, हिजालताला, शिउलिताला, डिगरी के ही रहने वाले थे और अपना चेहरा ढंककर आए थे। हमलावरों ने पानी के कनेक्शन भी काट दिए, ताकि आग बुझाई न जा सके। हमले से गांव की महिलाओं में दहशत व्याप्त हो गई थी और उन्होंने दूसरी जगहों पर अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ली।
. मंदिरों को भी नुकसान
जांच समिति ने कहा कि हिंसा के दौरान हमलावरों ने जमकर उत्पात मचाया। किराना, हार्डवेयर, बिजली और कपड़े की दुकानों के साथ ही मंदिरों में भी तोड़फोड़ की गई। यह सब पुलिस थाने के 300 मीटर के दायरे में ही हुआ। अकेले घोषपाड़ा इलाके में ही 29 दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया। समिति ने यह रिपोर्ट प्रभावित गांवों का दौरा करने और पीड़ितों से बातचीत करने के बाद तैयार की है।
हाईकोर्ट ने कहा-पीड़ितों को पुनर्वास पैकेज मिले
पीठ ने कहा कि समिति ने रिपोर्ट में हिंसा प्रभावित क्षेत्रों के पीड़ितों को पुनर्वास पैकेज देने की जरूरत बताई है। इसका मूल्यांकन करने के लिए विशेषज्ञों की सेवाएं लेने की सलाह भी दी है। यह भी कहा कि नागरिकों के एक वर्ग को सुरक्षा देने में नाकाम रही राज्य सरकार की ओर से अपनी विफलता की भरपाई करने का यही एकमात्र उपाय है।
ममता सरकार ने भी सौंपी रिपोर्ट… दावा, पुलिस ने काबू किए हालात
हाईकोर्ट की तरफ से गठित समिति से इतर पश्चिम बंगाल सरकार ने भी हाईकोर्ट की खंडपीठ को एक रिपोर्ट सौंपी है। इसमें कहा गया है, पुलिस और जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद सुती, धुलियान, शमशेरगंज और जंगीपुर में स्थिति नियंत्रण में आई। रिपोर्ट के अनुसार, वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ 4 अप्रैल से ही मुर्शिदाबाद में प्रदर्शन शुरू हो गए थे। 12 अप्रैल को शमशेरगंज में भीड़ ने हरगोविंद दास और उनके पुत्र चंदन दास की हत्या कर दी। शमशेरगंज में 11 अप्रैल को ही केंद्रीय बलों को तैनात कर दिया गया था। हाईकोर्ट के आदेश पर 12 अप्रैल को तैनाती बढ़ाई गई थी।
