
पहाड़ का सच देहरादून।
देहरादून के नगर निगम रिकॉर्ड रूम में हुई चोरी की घटना का दून पुलिस ने खुलासा कर दिया है। प्रॉपर्टी डीलिंग में लिप्त अभियुक्त रविन्द्र राणा को गिरफ्तार किया गया, जिसने दाखिल-खारिज फ्रॉड के लिए रजिस्टर चुराया था। पुलिस ने आशारोड़ी जंगल से चोरी किया रजिस्टर बरामद कर लिया है
नगर निगम में रिकॉर्ड रूम का ताला तोड़कर खंगाली म्यूटेशन की फाइलें
आरोपी रविन्द्र राणा ने एक व्यक्ति की जमीन का दाखिल खारिज खुद करने के लिए नगर निगम के रिकॉर्ड रूम से रजिस्टर चोरी किया था। आरोपी ने अपने भाई के साथ मिलकर चोरी को अंजाम दिया। मगर, जिस रजिस्टर को चोरी करना चाह रहा था उसके स्थान पर कोई दूसरा चोरी कर लिया। पुलिस ने रजिस्टर को भी आशारोड़ी के जंगलों से बरामद कर लिया है। इस मामले में चोरी शामिल उसका भाई और बाहर निगरानी कर रहा एक युवक पुलिस की पकड़ से बाहर है। सभी की तलाश की जा रही है।
देहरादून नगर निगम के रिकॉर्ड रूम में सेंधमारी: साजिश या और कुछ !
एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि गत चार मई को नगर निगम के रिकॉर्ड रूम से रजिस्टर चोरी होने की शिकायत की गई थी। इसके बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू की। इसमें सीसीटीवी फुटेज भी हासिल किए गए। इनके आधार पर आरोपियों की पहचान के लिए अभियान चलाया गया। इस दौरान कोतवाली पुलिस ने रविवार को हुलिए के आधार पर रविंद्र राणा को हिरासत में ले लिया। रविंद्र ने पूछताछ में बताया कि वह एलएलबी अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहा है, साथ ही प्रॉपर्टी डीलिंग का काम भी करता है। उसकी मुलाकात प्रवीण रावत नाम के एक व्यक्ति से हुई थी। प्रवीण रावत दिल्ली निवासी राजकिशोर की राजपुर रोड स्थित जमीन बिकवाना चाह रहा था। मगर कागजातों में कुछ गलती होने के कारण इसका दाखिल खारिज राजकिशोर के नाम पर नहीं हो रहा था।
इसके बाद राजकिशोर ने रविंद्र से संपर्क किया। रविंद्र को राजकिशोर ने कहा कि वह दाखिल खारिज कराने पर उसे दो प्रतिशत का कमीशन देगा। इसके अलावा कुल जमीन में पांच हजार रुपये प्रति गज के हिसाब से भुगतान भी करेगा। इसके बाद रविंद्र रावत ने प्रयास शुरू कर दिए। कई बार चक्कर काटे मगर कामयाब नहीं हो पाया। इसके बाद उसने मन बना लिया कि वह खुद ही रजिस्टर चोरी कर दाखिल खारिज कर लेगा। इसके लिए वह नगर निगम के स्टोर रूम से रजिस्टर चोरी करने की योजना बनाने लगा। इसके लिए उसने अपने भाई योगेश को साथ लिया। साथ ही अपने एक रिश्तेदार कुलदीप को भी योजना में शामिल किया। एसएसपी ने बताया कि कुलदीप एक कंपनी में काम करता है। उसे इन्होंने चार मई की रात में नगर निगम के बाहर खड़ा किया था। ताकि अगर कोई गतिविधि हो तो वह सूचना दे दे।
घटना की रात ये दोनों नगर निगम के पिछले दरवाजे से दाखिल हुए। इसके बाद वहां रखी सीढ़ी से स्टोर रूम तक पहुंचे और बड़े पेचकस से ताला तोड़कर स्टोर रूम में दाखिल हो गए। वहां बहुत ढूंढने पर भी रजिस्टर नहीं मिला। इसके बाद उसका भाई योगेश रजिस्टर ढूंढने लगा। योगेश को एक रजिस्टर मिला लेकिन यह बकराल वाला का लेखा जोखा रजिस्टर था। ऐसे में वह इस रजिस्टर को वापस रखने लगा लेकिन वहां एक महिला आ गई। इस पर दोनों भाई इस रजिस्टर को लेकर आ गए। रजिस्टर को उन्होंने एक पन्नी में रखा और आशारोड़ी जंगलों में फेंक दिया। एसएसपी ने बताया कि रजिस्टर को बरामद कर लिया गया है। योगेश और कुलदीप की तलाश की जा रही है। इसके अलावा प्रवीण रावत और राजकिशोर की इसमें क्या भूमिका है। इसकी भी जांच की जा रही है।
