
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 19 अप्रैल 2025*
*⛅दिन – शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2082*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – बसन्त*
*🌤️ अमांत – 6 गते वैशाख मास प्रविष्टि*
*🌤️ राष्ट्रीय तिथि – 28 चैत्र मास*
*⛅मास – वैशाख*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – षष्ठी शाम 06:21 तक तत्पश्चात् सप्तमी*
*⛅नक्षत्र – मूल सुबह 10:21 तक तत्पश्चात् पूर्वाषाढ़ा*
*⛅योग – शिव रात्रि 12:53 अप्रैल 20 तक तत्पश्चात् सिद्ध*
*⛅राहुकाल – सुबह 09:03 से सुबह 10:40 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:47*
*⛅सूर्यास्त – 07:46*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त – प्रातः 04:46 से प्रातः 05:31 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:13 से दोपहर 01:04 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:16 अप्रैल 20 से रात्रि 01:01 अप्रैल 20 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण- महान संत परम पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का अवतरण दिवस*
*⛅विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। ( ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
*📿तुलसी माला की महिमा📿*
*🔹गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनीशक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से मुक्ति मिलती है । शरीर निर्मल, रोगमुक्त व सात्त्विक बनता है ।*
*🔹तुलसी माला से भगवन्नाम जप करने एवं इसे गले में पहनने से आवश्यक एक्यूप्रेशर बिंदुओं पर दबाव पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव में लाभ होता है, संक्रामक रोगों से रक्षा होती है तथा शरीर-स्वास्थ्य में सुधार होकर दीर्घायु में मदद मिलती है ।*
*🔹तुलसी को धारण करने से शरीर में विद्युतशक्ति का प्रवाह बढ़ता है तथा जीव-कोशों का विद्युतशक्ति धारण करने का सामर्थ्य बढ़ता है ।*
*🔹गले में तुलसी माला पहनने से विद्युत तरंगे निकलती हैं जो रक्त संचार में रुकावट नहीं आने देती । प्रबल विद्युतशक्ति के कारण धारक के चारों ओर आभामंडल विद्यमान रहता है ।*
*🔹गले में तुलसी माला धारण करने से आवाज सुरीली होती है । हृदय पर झूलने वाली तुलसी माला हृदय व फेफड़े को रोगों से बचाती है । इसे धारण करने वाले के स्वभाव में सात्त्विकता का संचार होता है ।*
*🔹तुलसी की माला धारक के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाती है । कलाई में तुलसी का गजरा पहनने से नाड़ी संबंधी समस्याओं से रक्षा होती है, हाथ सुन्न नहीं होता, भुजाओं का बल बढ़ता है ।*
*🔹तुलसी की जड़ें अथवा जड़ों के मनके कमर में बाँधने से स्त्रियों को विशेषतः गर्भवती स्त्रियों को लाभ होता है । प्रसव वेदना कम होती है और प्रसूति भी सरलता से हो जाती है । कमर में तुलसी की करधनी पहनने से पक्षाघात (लकवा) नहीं होता एवं कमर, जिगर, तिल्ली, आमाशय और यौनांग के विकार नहीं होते हैं ।*
*🔹यदि तुलसी की लकड़ी से बनी हुई मालाओं से अलंकृत होकर मनुष्य देवताओं और पितरों के पूजनादि कार्य करे तो वे कोटि गुना फल देने वाले होते हैं । जो मनुष्य तुलसी लकड़ी से बनी माला भगवान विष्णु को अर्पित करके पुनः प्रसादरूप से उसे भक्तिपूर्वक धारण करता है, उसके पातक नष्ट हो जाते हैं ।*
*📜शास्त्रों में वर्णित तुलसी महिमा📜*
*🔹अनेक व्रतकथाओं, धर्मकथाओं, पुराणों में तुलसी महिमा के अनेक आख्यान हैं । भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा विधि तुलसी दल के बिना परिपूर्ण नहीं मानी जाती ।*
*🔹जो दर्शन करने पर सारे पाप-समुदाय का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती है, आरोपित करने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों में चढ़ाने पर मोक्षरूपी फल प्रदान करती है, उस तुलसी देवी को नमस्कार है । (पद्म पुराणः उ.खं. 56.22)*
*🔹तुलसी के निकट जो भी मंत्र-स्तोत्र आदि का जप-पाठ किया जाता है, वह सब अनंत गुना फल देने वाला होता है ।*
*🔹प्रेत, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, भूत दैत्य आदि सब तुलसी के पौधे से दूर भागते हैं ।*
*🔹ब्रह्महत्या आदि पाप तथा पाप और खोटे विचार से उत्पन्न होने वाले रोग तुलसी के सामीप्य एवं सेवन से नष्ट हो जाते हैं ।*
*🔹श्राद्ध और यज्ञ आदि कार्यों में तुलसी का एक पत्ता भी महान पुण्य देने वाला है ।*
*🔹तुलसी के नाम-उच्चारण से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है ।*
*🔹तुलसी ग्रहण करके मनुष्य पातकों से मुक्त हो जाता है ।*
*📜वास्तु शास्त्र तुलसी 📜*
*🔷वास्तु शास्त्र में भी तुलसी को घर में सकारात्मकता लाने वाला पवित्र पौधा माना गया है तुलसी के पौधे को घर में पूर्व दिशा में रखें। इस दिशा में तुलसी का पौधा रखने पर घर में आध्यात्मिक विकास भी तेज होता है. घर के सदस्यों के बीच मनमुटाव कम होता है और प्रेम भाव बढ़ता है।*
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