
पहाड़ का सच देहरादून।
राज्य में पंचायत चुनाव न कराए जाने को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार लगातार संविधान की हत्या करने पर उतारू है। चार धाम यात्रा के बहाने पंचायत चुनाव टालना चाहती है।
पीसीसी की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि पहले राज्य में निकाय चुनावों में डेढ़ साल का विलंब हुआ और अब चार दिसंबर को समाप्त हुए पंचायतों के कार्यकाल से पहले ही जो आरक्षण की प्रक्रिया सरकार और प्रशाशन को करा लेनी चाहिए थी, वह जानबूझ कर समय पर नहीं हुई जिसकी वजह से प्रदेश में पंचायत चुनाव टल रहे हैं।दसौनी ने कहा कि निकाय चुनाव में चार लाख से अधिक वोटर अपने मौलिक अधिकार से वंचित कर दिए गए और अब क्योंकि प्रदेश में हालात प्रेम चंद की गाली प्रकरण हो या त्रिवेंद्र रावत का अवैध खनन पर बयान हो भाजपा में घमासान मचा हुआ है और उसकी लड़ाई और गुटबाजी सड़कों पर आ गई है तो पंचायत चुनाव न कराने के पीछे का कारण चार धाम यात्रा बताया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यह सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है ताकि परिस्थितियों को अपने अनुकूल किया जा सके।गरिमा ने पंचायत चुनाव को लोकतंत्र के लिए सबसे ज्यादा जरूरी और महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि पंचायत चुनाव किसी भी लोकतंत्र की जड़ होते हैं ऐसे में जब नींव ही कमजोर होगी उस पर एक मजबूत इमारत की कल्पना नहीं की जा सकती। पंचायत चुनाव किसी भी पेड़ की जड़ों की तरह होते है यदि जड़े ही कमजोर होगी तो उस पर फलदार वृक्ष का कल्पना बेमानी है।
ऐसे में विभागीय मंत्री जिस तरह से चार धाम यात्रा को चुनाव न कराने का कारण बता रहे हैं, हास्यास्पद ही नहीं शर्मनाक है क्योंकि एक तो यात्रा शुरू होने पहले चार महीने क्यों बर्बाद किए गए। दिसंबर से लेकर मार्च तक चुनाव क्यों नहीं करवाए गए और अब ऑल वैदर रोड बनने के बाद भाजपा का दावा है कि यात्रा साल के बारहों मास गतिमान रहेगी क्या यह समझा जाए कि जब यात्रा साल भर चलेगी तो प्रदेश में दूसरे कोई काम नहीं होंगे??
दसौनी ने राज्य सरकार पर जानबूझ कर लोकतंत्र और संविधान से खिलवाड़ का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा शुरुआत से ही संविधान विरोधी रही है और उसके खाने और दिखने दोनों के दांत अलग अलग हैं।
