
– आई जी गढ़वाल को एक हफ्ते में देनी होगी रिपोर्ट, दोषियों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई: डीजीपी दीपम सेठ
– उत्तराखंड पत्रकार यूनियन का प्रतिनिधिमंडल की डीजीपी से हुई वार्ता
पहाड़ का सच देहरादून।
कोटद्वार के पत्रकार सुधांशु थपलियाल के साथ कोटद्वार पुलिस द्वारा किए गए अमानवीय व्यवहार एवं फर्जी मुकदमे में फंसाने के मामले में पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल राजीव स्वरूप को जांच सौंप दी है। आई जी गढ़वाल को एक हफ्ते में पुलिस मुख्यालय को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। डीजीपी ने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
29 जनवरी को कोटद्वार में पत्रकार सुधांशु थपलियाल के साथ शहर की कोतवाली पुलिस द्वारा उत्पीड़न के मामले में
उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष आशीष ध्यानी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को पुलिस मुख्यालय में डीजीपी से मुलाकात की। यूनियन के इस मामले में phq की तरफ से वार्ता के लिए बुलावा आने के बाद अपना धरना स्थगित कर दिया था। डीजीपी को सौंपे ज्ञापन में यूनियन ने कहा कि यह विषय बहुत गंभीर है। पत्रकार सुधांशु थपलियाल (पुत्र स्व. रामानंद थपलियाल, निवासी काशीरामपुर मल्ला, डिफेंस कॉलोनी, तहसील कोटद्वार, जिला पौड़ी गढ़वाल) को कोटद्वार पुलिस द्वारा अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार कर मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
यूनियन का कहना है कि 16 जनवरी 2025 को कोटद्वार सिद्धबली मार्ग पर एक कार ने स्कूटी सवार युवती अंजली को टक्कर मार दी थी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। मृतका की माता ने इस बाबत पत्रकार सुधांशु थपलियाल से बातचीत की चूंकि 12 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस ने आरोपी कार चालक को गिरफ्तार नहीं किया था। पत्रकार होने के नाते थपलियाल ने इस मामले में अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि 12 दिन बाद भी आरोपी कार चालक गिरफ्तार नहीं हुआ। उसके फेस बुक पेज पर स्वाभाविक रूप से लोगों की जो टिप्पणी आई जो कोटद्वार कोतवाली पुलिस को नागवार गुजरी। . पुलिस ने कार चालक को पकड़ने के बजाय पत्रकार सुधांशु को निशाना बनाते हुए 29 जनवरी 2025 को रात लगभग 10:30 बजे 7 पुलिसकर्मियों (एसएसआई उमेश कुमार, एसआई राजविक्रम, एसआई पंकज तिवारी, एसआई दीपक पंवार, एसआई कमलेश शर्मा व अन्य दो कर्मी) द्वारा जबरन घर से उठाकर कोटद्वार थाना ले गए।
सुधांशु ने बताया कि रातभर उन्हें प्रताड़ित किया गया और उनके खिलाफ धारा 353(2), 356(2) व (3) के तहत फर्जी मुकदमा दर्ज किया गया। इतना ही नहीं उससे जबरन कोरे कागजों पर हस्ताक्षर कराए गए, मोबाइल कब्जे में लिया गया और किसी से संपर्क तक नहीं करने दिया गया।अगले दिन जमानत के दौरान कोतवाली प्रभारी निरीक्षक रमेश तनवार ने पत्रकार थपलियाल को खुलेआम धमकी दी कि यदि भविष्य में पुलिस के खिलाफ कोई खबर प्रकाशित की तो उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाकर जिंदगीभर के लिए जेल भेज दिया जाएगा।
उत्तराखंड पत्रकार यूनियन ने कहा कि यह घटना पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खुला हमला है। लोकतंत्र में प्रेस को इस तरह दबाने का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। पत्रकारों की सुरक्षा की गारंटी देना शासन एवं प्रशासन की जिम्मेदारी है। उत्तराखंड पत्रकार यूनियन इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए निम्नलिखित मांग करती है।
इस पूरे प्रकरण की मुख्यालय के किसी अधिकारी के नेतृत्व में SIT बनाकर उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त विभागीय एवं कानूनी कार्रवाई की जाए।
चूंकि इस मामले में पांच सब-इंस्पेक्टर (एसएसआई उमेश कुमार, एसआई राजविक्रम, एसआई पंकज तिवारी, एसआई दीपक पंवार, एसआई कमलेश शर्मा) और दो कांस्टेबल सीधे तौर पर आरोपी हैं। इसलिए जब तक इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक इन सभी पुलिस अधिकारियों को तत्काल कोटद्वार थाने से हटाकर किसी अन्य दूरस्थ स्थान पर स्थानांतरित किया जाए, ताकि वे जांच को प्रभावित न कर सकें। . पत्रकार पर लगाए गए फर्जी मुकदमे में तत्काल FR लगे।
भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए पत्रकारों की सुरक्षा के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
यूनियन का कहना है कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और यदि पत्रकारों को इस प्रकार डराया-धमकाया जाएगा, तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए घातक सिद्ध होगा।
इसलिए बहुत जरूरी है कि इस गंभीर मामले को प्राथमिकता देते हुए तत्काल आवश्यक कार्रवाई करें। इस अवसर पर यूनियन के प्रदेश महासचिव हरीश जोशी, वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष तिलकराज, प्रदेश संगठन मंत्री इंद्रेश कोहली, प्रदेश संयुक्त मंत्री राजकिशोर तिवारी, प्रदेश प्रचार मंत्री शशि शेखर व सचिन गौनियाल आदि मौजूद थे।
ड्रग्स के खिलाफ अभियान में यूनियन से सहयोग मांगा .डीजीपी दीपम सेठ ने कहा कि ड्रग्स के खिलाफ पुलिस द्वारा चलाए जा रहे अभियान में उत्तराखंड पत्रकार यूनियन यदि सहयोग करता है कि आम लोगों तक जनजागरुकता की अपील बेहतर तरीके से पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि कभी कभार सूचनाओं के आदान प्रदान में कमी रहने के कारण कुछ मामले विवादित हो जाते हैं। ऐसे मामलों से उभय पक्षों में स्वस्थ माहौल नहीं रहता।
यूनियन के साथियों ने सुझाव दिया कि आपसी संवाद से काफी हद तक ऐसी समस्याओं को हल किया जा सकता है। यूनियन के इस सुझाव को उत्तम बताते हुए डीजीपी ने कहा कि निकट भविष्य में मीडिया के साथियों के साथ संवाद शुरू किया जाएगा। इससे इस बात का पता भी लग सकेगा कि उभयपक्षीय सूचनाएं किस तरह होनी चाहिए जो जनहित में उपयोगी हों।
