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ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
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*~ वैदिक पंचांग ~
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*दिनांक – 28 जनवरी 2025*
*दिन – मंगलवार*
*विक्रम संवत् – 2081*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – शिशिर*
*अमांत – 15 गते माघ मास प्रविष्टि*
*राष्ट्रीय तिथि – 7 माघ मास*
*मास – माघ*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – चतुर्दशी शाम 07:35 तक तत्पश्चात अमावस्या*
*नक्षत्र – पूर्वाषाढ़ा प्रातः 08:58 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*
*योग – वज्र रात्रि 11:52 तक, तत्पश्चात सिद्धि*
*राहु काल – दोपहर 03:08 से शाम 04:27 तक*
*सूर्योदय – 07:10*
*सूर्यास्त – 05:51*
*दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:37 से 06:29 तक*
*अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:31 से दोपहर 01:15 तक*
*निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:27 जनवरी 29 से रात्रि 01:18 जनवरी 29 तक*
*विशेष – चतुर्दशी को स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*दंडवत प्रणाम का महत्व
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*ईश्वर की भक्ति के लिए अपने भीतर के सभी नकारात्मक तत्वों को हमें त्यागना पड़ता है और खुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित करना होता है । ऐसा हम तभी कर सकते हैं जब हमारे भीतर मौजूद अभिमान हमारे अंतर्मन से निकल जाए । इसलिए शष्टांग प्रणाम के बढ़ावा दिया गया है ।*
*दंडवत प्रणाम कैसे करते हैं ?
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*अपने शरीर को दंडवत मुद्रा में लाते हुए सिर, हाथ, पैर, जाँघे, मन, ह्रदय, नेत्र और वचन को मिलकर लेट कर प्रणाम करें। अष्ट अंगों में दोनों पाँव, दोनों घुटने, छाती, ठुण्डी और दोनों हथेलियाँ शामिल हैं । इस प्रकार के प्रणाम को हम ‘दण्डवत प्रणाम’ इसलिए भी कहते हैं ।*
*अष्टांग दंडवत नमस्कार करने से लाभ
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* 1. दंडवत प्रणाम करने से व्यक्ति जीवन के असली अर्थ को समझ पाता है और आगे की दिशा में बढ़ पाता है ।*
* 2. व्यक्ति के भीतर समान भाव की प्रवृत्ति जागृत होती है और अभिमान खत्म हो जाता है ।*
* 3. दंडवत प्रणाम करने से अहम नष्ट होता है, ईश्वर के निकट पहुंचने का रास्ता है दंडवत प्रणाम ।*
* 4. मन में दया और विनम्रता जैसे भाव पनपने लगते हैं ।*
* 5. आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक है अष्टाङ्ग नमस्कार ।*
* 6. मसल्स के स्टिम्युलेशन और एक्टिव प्रयोग से पीठ मजबूत होने लगती है ।*
* 7. व्यक्ति अपने शरीर में ऊर्जा महसूस करने लगता है ।*
* 8. पाचन क्रिया में संतुलन बनाये रखने में लाभकारी है ।*
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