
पहाड़ का सच देहरादून।
उत्तराखंड भाजपा में दल बदल की विस्तारवादी नीति अब धीरे-धीरे एक नया स्वरूप लेती जा रही है। जहां पुराने कार्यकर्ता अक्सर चुनावी समर में पार्टी के फैसलों से नाराज होकर अलग हो रहे हैं, तो वहीं बीजेपी में कांग्रेस समेत अन्य दलों से आने वालों की आमद लगातार बढ़ती जा रही है। गाहे बगाहे दबी जुबान में पार्टी के पुराने कार्यकर्ता भी महसूस कर रहे हैं कि बीजेपी में लगातार बाहर से आने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिससे अपने पुराने कार्यकर्ताओं को पार्टी से रुखसत होना पड़ रहा है। मौजूदा समय में निकाय चुनाव के दंगल के बीच कुछ इस तरह से ही हालात देखने को मिल रहे हैं।
देहरादून नगर निगम में बीजेपी ने 100 वार्ड में अपने कई पुराने कार्यकर्ताओं को नाराज किया है। इन कार्यकर्ताओं को पार्टी से छह छह साल के लिए निष्कासित भी किया गया है। बीजेपी के ये कार्यकर्ता जो कि संगठन को बारीकी से समझते हैं और पिछले लंबे समय से पार्टी के लिए काम कर रहे थे, अब पार्टी में नहीं है। लेकिन ये सभी निष्कासित लोग एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं। अलग-अलग वार्ड में ऐसे तकरीबन 40 प्रत्याशी हैं, जो बीजेपी से निष्कासित हुए हैं और चुनाव लड़ रहे हैं।
ज़्यादातर हर जगह मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच नजर आ रहा है, कहीं कहीं तो बागियों के कारण त्रिकोणीय मुकाबला बनता जा रहा है।
