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– शिक्षा सचिव ने जारी किए निलंबन आदेश
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– कर्मकार कल्याण बोर्ड में सचिव पद पर प्रतिनियुक्ति के समय का है मामला
पहाड़ का सच देहरादून। कालांतर में सत्ता में बैठे लोगों के कारनामों पर समय की मार पड़ती जा रही है। दो दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सबसे करीबी राजीव जैन आयकर विभाग के शिकंजे में फंस गए हैं और आज पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की बेहद करीबी महिला अधिकारी ( शिक्षा विभाग) दमयंती रावत को 70 करोड़ की अनियमितता के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। ये मामला उस समय का है जब महिला अधिकारी उत्तराखंड कर्मकार कल्याण बोर्ड में सचिव पद पर प्रतिनियुक्ति पर रही।
उत्तराखंड में पिछले कई सालों से अपनी तैनाती को लेकर विवादों में रहने वाली खंड शिक्षा अधिकारी दमयंती रावत को निलंबित कर दिया गया है। दमयंती रावत पर 70 करोड़ रुपए की धनराशि की अनियमितता का आरोप है जिसके चलते उन्हें शिक्षा सचिव के आदेश से निलंबित कर दिया गया है। दमयंती रावत कीर्तिनगर में खंड शिक्षा अधिकारी के तौर पर जिम्मेदारी देख रही थी।
दमयंती रावत को शासन से निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। दमयंती रावत पर श्रम विभाग में कर्मकार कल्याण बोर्ड की सचिव रहने के दौरान वित्तीय अनियमितता का आरोप है। दमयंती रावत हरक सिंह रावत के श्रम मंत्री रहते हुए कर्मकार कल्याण बोर्ड में सचिव पद पर प्रतिनियुक्ति पर थी। इस दौरान विभिन्न मामलों में करोड़ों की वित्तीय अनियमितता के आरोप उन पर लगे। इसी को देखते हुए शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने दमयंती रावत के निलंबन के आदेश जारी किए हैं। इस बारे में महिला अधिकारी दमयंती रावत से संपर्क नहीं हो पाया। उनसे संपर्क होने से बाद उनका पक्ष भी प्रकाशित कर दिया जाएगा।
निलंबन आदेश में पांच बिंदुओं पर दमयंती रावत पर आरोप:
आरोप संख्या एक : दमयंती रावत पर कर्मकार कल्याण बोर्ड में सचिव रहने के दौरान 50 करोड़ का बिना सक्षम प्राधिकार प्राप्त किये समझौता अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का आरोप है।
. आरोप संख्या दो: बोर्ड की निधि से 20 करोड़ की धनराशि ऋण के रूप में निदेशक ESI को उपलब्ध न करते हुए सीधे ब्रिज एंड रूफ इंडिया लिमिटेड के पक्ष में तीन चेकों के माध्यम से धनराशि हस्तगत कर वित्तीय अनियमितता और सरकारी धन के दुरुपयोग किया गया।
आरोप संख्या 3 : सचिव कर्मकार कल्याण बोर्ड के पद दिए दायित्व के रूप में वित्तीय अनियमितत्ता और सरकारी धन का दुरुपयोग।
आरोप संख्या 4 : कर्मकार कल्याण अधिनियम 1996 और नियमावली 2006 में निहित प्रावधानों के खिलाफ जाकर कूटरचित षड्यंत्र में संलिप्त होना।
आरोप संख्या 5: कर्मकार कल्याण निधि का दुरुपयोग करते हुए आर्थिक अपराध में संलिप्तता होना।
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