ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 09 नवम्बर 2024*
*⛅दिन – शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – हेमन्त*
*🌥️ अमांत – 24 गते कार्तिक मास प्रविष्टि*
*🌥️ राष्ट्रीय तिथि – 17 कार्तिक मास*
*⛅मास – कार्तिक*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – अष्टमी रात्रि 10:45 तक तत्पश्चात नवमी*
*⛅नक्षत्र – श्रवण प्रातः 11:47 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*⛅योग – वृद्धि प्रातः 04:23 नवम्बर 10 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*⛅राहु काल – प्रातः 09:21 से प्रातः 10:40 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:37*
*⛅सूर्यास्त – 05:24*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:07 से 05:58 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 09 से रात्रि 12:49 नवम्बर 10 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – गोपाष्टमी, मासिक दुर्गाष्टमी, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:49 से प्रातः 11:47 तक)*
*⛅विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है | इस दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹अशुभ क्या है एवं शुभ क्या है ?🔹*
*🔸 बिल्ली की धूलि शुभ प्रारब्ध का हरण करती है । (नारद पुराण, पूर्व भाग : 26.32)*
*🔸 कुत्ता रखने वालों के लिए स्वर्गलोक में स्थान नहीं है । उनका पुण्य क्रोधवश नामक राक्षस हर लेते हैं । (महाभारत, महाप्रयाण पर्व : 3.10)*
*🔸 ‘महाभारत’ में यह भी आया है कि ‘घर में टूटा-फूटा बर्तन, सामान (फर्नीचर), मुर्गा, कुत्ता, बिल्ली होना अच्छा नहीं है । ये शुभ गुणों को हरते हैं ।’*
*🔸 दूसरे का अन्न, दूसरे का वस्त्र, दूसरे का धन, दूसरे की शय्या, दूसरे की गाड़ी, दूसरे की स्त्री का सेवन और दूसरे के घर में वास – ये इन्द्र के भी ऐश्वर्य को नष्ट कर देते हैं । (शंखलिखित स्मृति : 17)*
*🔸 जिस तरह शरीर में जीवन न हो तो वह मुर्दा शरीर अशुभ माना जाता है । इसी तरह खाली कलश भी अशुभ है । दूध, घी, पानी अथवा अनाज से भरा हुआ कलश कल्याणकारी माना जाता है । भरा हुआ घड़ा मांगलिकता का प्रतीक है ।*
*🔸 वास्तुशास्त्र के अनुसार घर की पश्चिम दिशा में पीपल का वृक्ष होना शुभ है । इसके विपरीत पूर्व दिशा में होना विशेष अशुभ है ।*
*🔸 आँवला, बिल्व, नारियल, तुलसी और चमेली सभी दिशाओं में शुभ हैं । कुछ अन्य वृक्षों के लिए शुभ दिशाओं की सूचिः*
*जामुन – दक्षिण, पूर्व, उत्तर*
*अनार – आग्नेय, नैर्ऋत्य कोण*
*केला – तुलसी के साथ सभी दिशाओं में*
*चंदन – पश्चिम, दक्षिण (पूर्व विशेष अशुभ)*
*बड़ – पूर्व (पश्चिम विशेष अशुभ)*
*कनेर – पूर्व, उत्तर (पश्चिम विशेष अशुभ)*
*नीम – वायव्य कोण (आग्नेय विशेष अशुभ)*
*🔸 घर में बाँस, बेर, पपीता, पलाश और बबूल के वृक्ष सभी दिशाओं में अशुभ माने जाते हैं । आम पूर्व में, सीताफल व गुलाब ईशान कोण में विशेष अशुभ हैं ।*
*🔸 अशुभ वस्तुएँ जैसे कि मांस, दुर्घटना का दृश्य, मृतक जीव-जन्तु दिखायी देने पर उसी समय सूर्यनारायण के दर्शन कर लेने चाहिए ।