– कई नई जल विद्युत परियोजनाएं शुरू करने की योजना, कुछ बंद पड़ी योजनाएं भी नए सिरे से शुरू होंगी
– टीएचडीसी के साथ थर्मल पावर प्रोजेक्ट उत्तराखंड में नहीं लगेगा, छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे राज्यों में भूमि की तलाश
– गंगा घाटी में पर्यावरणीय कारणों से बंद प्रोजेक्टों का हर्जाना लेगा यूजेवीएन, प्रतिपूर्ति का प्रस्ताव केंद्र को भेजा: डा.सिंघल एमडी
पहाड़ का सच देहरादून। उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने अगले आठ साल बाद यानी साल 2031,32 में साल में 9000 मिलियन यूनिट बिजली की पैदावार व 3050 करोड़ आमदनी का लक्ष्य साधने का दावा किया है। निगम के प्रबंध निदेशक डा. संदीप सिंघल ने कहा कि चुनौती आसान नहीं है लेकिन जल विद्युत निगम की टीम जिस हौसले से काम कर रही है, उससे यकीन के साथ कहा जा सकता है कि हम लक्ष्य हासिल कर लेंगे। हाल ही के महीनों में रिकार्ड उत्पादन इस बात का प्रमाण है कि निगम की टीम टारगेट अचीव कर सकती है।
मंगलवार को निगम मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. सिंघल ने यूजेवीएन लिमिटेड की उपलब्धियों, गतिविधियों तथा भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी दी। डॉ. सिंघल ने कहा कि निगम राज्य में ऊर्जा उत्पादन में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में निगम द्वारा 5433 मिलियन यूनिट का विद्युत उत्पादन किया गया। इस दौरान मशीनों की औसत उपलब्धता 85 फीसद से अधिक तथा ब्रेकडाउन 2 फीसद से भी कम रहा। .निगम की उत्पादन क्षमता में वृद्धि के बारे में बताते हुए डॉ. सिंघल ने कहा कि निगम द्वारा विगत 4 वर्षों में 148.5 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं ऊर्जीकृत की गई। इनमें देहरादून में 120 मेगावाट की व्यासी जल विद्युत परियोजना, पिथौरागढ़ में 5 मेगावाट की सुरिनगाड लघु जल विद्युत परियोजना, रुद्रप्रयाग में 4 मेगावाट की कालीगंगा-प्रथम तथा 4.50 मेगावाट की कालीगंगा-द्वितीय लघु जल विद्युत परियोजना तथा जनपद रुद्रप्रयाग में ही 15 मेगावाट की मदमहेश्वर जल विद्युत परियोजना शामिल हैं।
निर्माणाधीन परियोजनाओं के बारे में डॉ. सिंघल ने कहा कि 300 मेगावाट क्षमता की लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना पर निर्माण कार्य प्रगति पर है। 72 मेगावाट की त्यूनी प्लासू परियोजना के सिविल कार्यों के निर्माण के लिए निविदा जारी कर दी गई है तथा 120 मेगावाट की सरकारी भ्योल रूपसियाबगड़ जल विद्युत परियोजना के विस्तृत डिजाइन इंजीनियरिंग कार्य और निविदा से संबंधित कार्य प्रगति पर हैं।
उन्होंने कहा कि 600 मेगावाट की किशाऊ बहुउद्देशीय परियोजना की डीपीआर को अपडेट किया जा रहा है। पुरानी परियोजनाओं की जीवन अवधि तथा विद्युत उत्पादकता में वृद्धि के उद्देश्य से नवीनीकरण, आधुनिकीकरण एवं उच्चीकरण (आर.एम.यू.) के कार्य कराए जा रहे हैं जिसमें 90 मेगावाट के तिलोथ जल विद्युत गृह तथा 51 मेगावाट के ढालीपुर जल विद्युत परियोजना के आर.एम.यू. के कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं।
एमडी ने बताया कि निगम द्वारा संयुक्त उपक्रम के माध्यम से 1320 मेगावाट क्षमता के पिट हेड थर्मल पावर प्लांट को स्थापित करने की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई है। विद्युत उत्पादन बढ़ाने के प्रयासों के अंतर्गत टीएचडीसी के साथ निगम द्वारा एक संयुक्त उपक्रम बनाया गया है तथा 5 जल विद्युत परियोजनाएं इस उपक्रम को आवंटित की गई हैं।
डॉ. सिंघल ने कहा कि निगम की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में निगम द्वारा सरकार को उसकी अंश पूंजी पर 20 करोड़ रुपए का लाभांश भी प्रदान किया गया है। यूजेवीएन लिमिटेड स्वच्छ, हरित और सस्ती ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए नई तकनीक पर भी काम कर रहा है। इसके अंतर्गत यूजेवीएन लिमिटेड मौजूदा जल विद्युत परियोजनाओं के साथ पांच पंप स्टोरेज परियोजनाओं के निर्माण की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि निगम कई अन्य गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर भी कार्य कर रहा है। इसके अंतर्गत तीन विद्युतगृहों पर बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) की स्थापना का कार्य प्रगति पर है तथा पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत हरिद्वार में 01 मेगावाट का ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट स्थापित किया जाना भी प्रस्तावित है। आई.आई.टी. रुड़की के सहयोग से मौजूदा शक्ति नहरों में हाइड्रो-काइनेटिक टरबाइन के विकास का कार्य भी गतिमान है। टीएचडीसी के साथ संयुक्त उद्यम के माध्यम से वेस्ट टू ग्रीन कोल प्लांट का कार्यान्वयन भी किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि छोटी जल विद्युत परियोजनाओं के टेल रेस चैनल पर बिजली उत्पादन के लिए स्क्रू टरबाइन की स्थापना तथा बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं पर अलग से ई-फ्लो आउटलेट की स्थापना भी प्रस्तावित है। निगम पुराने बांधों, बैराजों आदि की सुरक्षा एवं जीवन वृद्धि हेतु बांध सुधारीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत बांधों एवं बैराजों पर भी कई कार्य कर रहा है। डॉ. सिंघल ने बताया कि निगम की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ है तथा निगम द्वारा रोजगार के कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अवसर लोगों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं।