ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 20 सितम्बर 2024*
*⛅दिन – शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*⛅ अमांत – 5 गते आश्विन मास प्रविष्टि*
*⛅ राष्ट्रीय तिथि – 30 भाद्रपद मास*
*⛅मास – आश्विन*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – तृतीया रात्रि 09:15 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र – अश्विनी रात्रि 02:43 सितम्बर 21 तक तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग – ध्रुव दोपहर 03:19 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल – प्रातः 10:39 से दोपहर 12:10 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:05*
*⛅सूर्यास्त – 06:16*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:53 से 05:40 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:08 से दोपहर 12:57 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:09 सितम्बर 21 से रात्रि 12:57 सितम्बर 21 तक*
*व्रत पर्व विवरण – तृतीया श्राद्ध, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:28 से रात्रि 02:43 सितम्बर 21 तक)*
*⛅विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹दीप – प्रज्वलन अनिवार्य क्यों ?🔹*
*🔸 भारतीय संस्कृति में धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ, सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में दीपक प्रज्वलित करने की परम्परा है । दीपक हमें अज्ञानरुपी अंधकार को दूर करके पूर्ण ज्ञान को प्राप्त करने का संदेश देता है । आरती करते समय दीपक जलाने के पीछे उद्देश्य यही होता है कि प्रभु हमें अज्ञान-अंधकार से आत्मिक ज्ञान-प्रकाश की ओर ले चलें ।*
*🔸मनुष्य पुरुषार्थ कर संसार से अंधकार दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाये ऐसा संदेश दीपक हमें देता है । दीपावली पर्व में, अमावस्या की अँधेरी रात में दीप जलाने के पीछे भी यही उद्देश्य छुपा हुआ है । घर में तुलसी की क्यारी के पास भी दीप जलाये जाते हैं । किसी भी नये कार्य की शुरुआत भी दीप जलाकर की जाती है । अच्छे संस्कारी पुत्र को भी कुल-दीपक कहा जाता है ।*
*🔹अमृतफल आँवला🔹*
*🔸आँवला धातुवर्धक श्रेष्ठ रसायन द्रव्य है । इसके नित्य सेवन से शरीर में तेज, ओज, शक्ति, स्फूर्ति तथा वीर्य की वृद्धि होती है । यह टूटी हुई अस्थियों को जोड़ने में सहायक है तथा दाँतों को मजबूती प्रदान करता है । इसके सेवन से आयु, स्मृति व बल बढ़ता है । ह्रदय एवं मस्तिष्क को शक्ति मिलती है । बालों की जड़ें मजबूत होकर बाल काले होते हैं ।*
*🔸ताजे आँवले के रस में नारंगी के रस की अपेक्षा २० गुना अधिक विटामिन ‘सी’ होता है । हृदय की तीव्र गति अथवा दुर्बलता, रक्त-संचार में रुकावट आदि विकारों में आँवले के सेवन से लाभ होता है । आँवले के सेवन से त्वचा का रंग निखर आता है व कांति बढ़ती है ।*
*🔸वर्षभर किसी-न-किसी रूप में आँवले का सेवन अवस्य करना चाहिए । यह वर्षभर निरोगता व स्वास्थ्य प्रदान करनेवाली दिव्य औषधि है ।*