– यूपीईएस में दुनियाभर के विशेषज्ञों ने एक साथ जमा होकर हिमालय के पर्यावरण को बचाने के लिए प्रकृति के अनुकूल समाधान ढूंढने पर चर्चा की
पहाड़ का सच, देहरादून
यूपीईएस ने “हिमालया कॉलिंग: ग्लोबल समिट ऑन चैलेंजेस एंड ऑपर्च्युनिटीज इन द हिमालयन रीजन” का सफल आयोजन किया। यह तीन दिवसीय सम्मेलन 9 से 11 सितंबर तक चला, जिसमें कई महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किए गए। इसके अलावा, हिमालय की कमजोर होती पारिस्थितिकी पर केंद्रित प्रदर्शनी और फोटोग्राफी का प्रदर्शन भी हुआ। इस सम्मेलन में 170 से अधिक विशेषज्ञ, विचारक और पर्यावरणविद शामिल हुए, जिन्होंने 18 सत्रों में भाग लिया। इन सत्रों में हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और संरक्षण के उपायों पर गहन चर्चा की गई।
इस सम्मेलन की शुरुआत 9 सितंबर को ‘हिमालयन एनवायरनमेंट: संरक्षण की ज़रूरत’ विषय पर पद्मश्री डॉ. शैलेश नायक के मुख्य संबोधन से हुई। डॉ. नायक टीईआरआई के चांसलर और भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के पूर्व सचिव भी रह चुके हैं। प्रमुख सत्रों का संचालन पद्मश्री डॉ. अनूप साह, थ्रीश कपूर और प्रोफेसर डॉ. यूवे थ्रूयेन ने किया, जिन्होंने हिमालय में स्थिरता के महत्व पर जोर दिया। यूपीईएस के कंडोली और बिदहोली कैंपस में फोटोग्राफी प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसमें हिमालय की अद्भुत सुंदरता के साथ-साथ पर्यावरण की चुनौतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाई गई। इस आयोजन में हिमालय के 200 से अधिक स्थानीय उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री भी की गई, जिनमें स्थानीय खाद्य पदार्थों से लेकर हस्तशिल्प तक शामिल थे।
10 सितंबर को पद्मश्री डॉ. वी. सी. ठाकुर, जो वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) के पूर्व शोध निदेशक भी रहे हैं, ने ‘हिमालयी क्षेत्र में भूकंप का खतरा और टिकाऊ विकास के लिए समाधान’ (‘अर्थक्वेडक हज़ार्ड इन द हिमालयन रीजन एण्डह मिटिगेशन फॉर सस्टे‘नेबल डेवलपमेंट’) विषय पर मुख्य भाषण दिया। सम्मेलन में, डॉ. जीतेंद्र के. पांडे, जो यूपीईएस के हिमालयन इंस्टिट्यूट फॉर लर्निंग एंड लीडरशिप (HILL) के संस्थापक निदेशक हैं, ने कहा, “यह सम्मेलन हिमालय की पारिस्थितिकी के महत्व की ओर दुनिया का ध्यान खींचने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हम ऐसी चर्चाओं को बढ़ावा दे रहे हैं जिनका उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल विकास के लिए रास्ता निकालना है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को इस क्षेत्र की अद्वितीय सुंदरता और संसाधनों का लाभ मिलता रहे।
सम्मेलन के अंतिम दिन पद्म भूषण डॉ. अनिल पी. जोशी, उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोंलॉजी (यूसीओएसटी) के महानिदेशक डॉ. दुर्गेश पंत, यूपीईएस के प्रेसिडेंट डॉ. सुनील राय और कुलपति डॉ. राम शर्मा ने संबोधित किया। उन्होंने खास तौर पर हिमालय के पर्यावरण को बचाने के लिए सही कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया।
यूपीईएस के प्रेसिडेंट डॉ. सुनील राय ने कहा, “यह सम्मेलन उन सभी आवाजों को एक साथ लाने का एक अनोखा मंच था, जो हिमालय की सुरक्षा और संरक्षण के लिए समर्पित हैं। यहां का जोश और समर्पण यह साफ दिखाता है कि हम सब मिलकर इस क्षेत्र के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
इस सम्मेलन ने हिमालयी क्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों, जैसे जलवायु परिवर्तन से लेकर सामुदायिक लचीलापन तक, के समाधानों के लिए जागरूकता बढ़ाने और सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।