– राइज़ (RISE) सेंटर महिंद्रा यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी में फ्लैगशिप कार्यक्रम करेगा शुरू
पहाड़ का सच देहरादून
एस्पायर सर्किल के सहयोग से यूपीईएस ने राइज(RISE) (रिसर्च ऑन इम्पैक्ट, सस्टेनेबिलिटी, एंड ESG) सेंटर के शुभारंभ की घोषणा की है, जो सस्टेनेबिलिटी और पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) प्रभाव में रिसर्च और शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित एक अग्रणी पहल है। राइज(RISE) सेंटर का आधिकारिक उद्घाटन 21 सितंबर, 2024 को किया जाएगा, और यह वर्तमान और भविष्य के लीडर्स को उनके आर्गेनाईजेशन और कम्युनिटी में प्रभावशाली बदलाव लाने के लिए आवश्यक ज्ञान और स्किल से लैस करने का प्रयास करेगा।
राइज (RISE) सेंटर का लक्ष्य जलवायु परिवर्तन, कार्बन न्यूट्रैलिटी और सस्टेनेबल डेवलपमेंट की चुनौतियों का समाधान करने के लिए अभिनव समाधान विकसित करने में ग्लोबल लीडर बनना है। यह व्यक्तियों को सस्टेनेबल और ESG सिद्धांतों की गहरी समझ के साथ सशक्त बनाने का प्रयास करता है, जिससे वे नेट ज़ीरो संक्रमण को लीड कर सकें, सर्कुलरिटी को बढ़ावा दे सकें और रिस्क, रिटर्न और इम्पैक्ट को संतुलित कर सकें। एक ऐसे भविष्य के लिए कमिटेड जहां आर्थिक विकास पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ जुड़ा होता है, राइज (RISE) सेंटर अत्याधुनिक रिसर्च, एजुकेशन और इंडस्ट्री कलैबरेशन के माध्यम से सस्टेनेबल इम्पैक्ट को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
राइज (RISE) सेंटर की प्रमुख पहलों के हिस्से के रूप में, यूपीईएस ने महिंद्रा यूनिवर्सिटी और एस्पायर सर्किल के साथ मिलकर ESG, सस्टेनेबिलिटी और इम्पैक्ट स्पेशलिस्ट प्रोग्राम (ISP) भी शुरू करने की तैयारी की है, जो एक कार्यकारी शिक्षा पहल है, जो भविष्य के चीफ इम्पैक्ट ऑफिसर्स को प्रशिक्षित करने के लिए विशिष्ट रूप से तैयार की गई है, जो मध्यम से सीनियर लेवल के प्रोफेशनल्स को निगमों, बैंकों, वित्तीय संस्थानों और नॉन-प्रॉफिट संस्थाओं में इम्पैक्ट इकॉनमी को लीड करने के लिए आवश्यक स्किल्स से लैस करती है। इस कार्यक्रम में 20 थीमेटिक सेशन, 50 से अधिक केसलेट और चार डिटेल्ड ग्लोबल और भारतीय केस स्टडी शामिल होंगी, जो प्रतिभागियों को इम्पैक्ट ड्रिवेन परियोजनाओं को डिजाइन करने, बनाने, स्केल करने और प्रबंधित करने का अनुभव प्रदान करेंगी।
35-60 वर्ष की आयु के प्रोफेशनल्स को टारगेट करने वाले ISP कार्यक्रम को दो भागों में विभाजित किया जाएगा। पहला भाग 19-21 सितंबर 2024 तक यूपीईएस, देहरादून में और दूसरा भाग 28-30 नवंबर 2024 तक महिंद्रा यूनिवर्सिटी, हैदराबाद में आयोजित किया जाएगा। सफलतापूर्वक पूरा होने पर, प्रतिभागियों को एस्पायर सर्किल, महिंद्रा यूनिवर्सिटी और यूपीईएस द्वारा संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित एक सर्टिफिकेट प्राप्त होगा। यह कार्यक्रम विशेष रूप से ESG, रिस्क, सस्टेनिबिलिटी और इम्पैक्ट भूमिकाओं में कॉर्पोरेट अधिकारियों के साथ-साथ बैंकिंग, फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट क्षेत्रों के प्रोफेशनल्स, सीएसआर एक्सपर्ट, पालिसी डेवलपर्स और इम्पैक्ट सेक्टर में काम की इच्छा रखने वाले व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है।
इनोवेशन और रिसर्च के लिए राइज (RISE) सेंटर का शुभारंभ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम – डॉ. राम शर्मा
यूपीईएस के वाईस चांसलर डॉ. राम शर्मा ने उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, “यूपीईएस में, हम इनोवेशन और रिसर्च के लिए एक केंद्र बनने के लिए कमिटेड हैं, और राइज (RISE) सेंटर का शुभारंभ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। राइज (RISE) सेंटर सस्टेनेबिलिटी और ईएसजी चुनौतियों के लिए प्रभावशाली समाधान प्रदान करेगा, जो जलवायु परिवर्तन और सस्टेनेबल विकास पर हमारे प्रयासों का नेतृत्व करेगा। हम राइज (RISE) सेंटर के लिए एस्पायर सर्किल और इम्पैक्ट स्पेशलिस्ट प्रोग्राम (आईएसपी) के लिए महिंद्रा यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी करके उत्साहित हैं, क्योंकि हम एक ऐसा भविष्य बनाने का एक साझा दृष्टिकोण साझा करते हैं जहाँ इकनोमिक ग्रोथ एनवायर्नमेंटल रेस्पोंसिबिलिटी के साथ जुड़ा हुआ है। साथ मिलकर हम प्रोफेशनल्स को उनके आर्गेनाईजेशन और कम्युनिटी में सार्थक बदलाव लाने के लिए स्किल से लैस करना चाहते हैं।”
चीफ इम्पैक्ट ऑफिसर्स को सी-सूट में अपना उचित स्थान मिलना चाहिए – अमित भाटिया
कार्यक्रम के निर्माता, एस्पायर इम्पैक्ट के संस्थापक और सीईओ अमित भाटिया ने इस बात पर जोर दिया कि इस कार्यक्रम को “प्रैक्टिशनर्स का, प्रैक्टिशनर्स द्वारा, प्रैक्टिशनर्स के लिए” के रूप में अंकित किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “हमें इस कार्यक्रम को तैयार करने में 4+ साल लगे, ताकि इम्मीनेंट इम्पैक्ट इकोनॉमी और भविष्य के चीफ इम्पैक्ट ऑफिसर्स के लिए लीडर तैयार किए जा सकें। हमारा मानना है कि चीफ इम्पैक्ट ऑफिसर्स को सी-सूट में अपना उचित स्थान मिलना चाहिए, ईएसजी, सस्टेनेबिलिटी और इम्पैक्ट एजेंडा का स्वामित्व होना चाहिए, नेटजीरो ट्रांजिशन, कार्बन न्यूट्रैलिटी टारगेट और सर्कुलरिटी मिशन का स्वामित्व होना चाहिए, और कंपनी के लिए रिस्क-रिटर्न-इम्पैक्ट ऑप्टिमाइजेशन का नेतृत्व करना चाहिए।”
“भारत एक ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर. जहाँ ईएसजी, सस्टेनेबिलिटी और इम्पैक्ट लीडरशिप की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक – डॉ. अनिरबन घोष
महिंद्रा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और सेंटर फॉर सस्टेनेबिलिटी के प्रमुख डॉ. अनिरबन घोष ने कहा, “भारत एक ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहाँ ईएसजी, सस्टेनेबिलिटी और इम्पैक्ट लीडरशिप की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। जैसा कि हम जलवायु परिवर्तन, सोशल इक्विटी और इम्पैक्ट लीडरशिप की जटिल चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, ऐसे लीडर्स और एक्सपर्ट्स का एक कैडर तैयार करना आवश्यक है जो सार्थक बदलाव ला सकें। यह कार्यक्रम प्रोफेशनल्स को इन क्षेत्रों में लीड करने के लिए आवश्यक स्किल्स और इनसाइट्स से लैस करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, यह सुनिश्चित करते हुए कि भारत न केवल एक भागीदार है, बल्कि ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी आंदोलन में एक लीडर है। महिंद्रा यूनिवर्सिटी को इस कोर्स की पेशकश करने में भागीदार होने पर गर्व है।” आईएसपी कार्यक्रम के उद्घाटन समूह के लिए नामांकन अब खुला है। अपने करियर को आगे बढ़ाने और इम्पैक्ट इकॉनमी में लीड करने में रुचि रखने वाले सीनियर और मिड लेवल के प्रोफेशनल को आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।