– नाराज धामी ने कहा,हाईकमान से करेंगे शिकायत
– पीठ ने तीन सदस्यों से अधिक को बोलने की अनुमति नहीं दी: नेता प्रतिपक्ष आर्य
पहाड़ का सच गैरसैंण। मानसून सत्र तो स्थगित हो गया लेकिन अपने पीछे एक ऐसा वाकया छोड़ गया जो उत्तराखंड विधानसभा में पहली बार सुनने को मिला। धारचूला से कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने अपनी पार्टी के नेताओं आरोप लगाए कि आपदा जैसे अति गंभीर विषय पर उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया गया। धामी ने सदन के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद मुख्यमंत्री से पीड़ा बयां की। उधर,इस बारे में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का कहना है कि नियम 58 में आपदा पर चर्चा के लिए हरीश धामी का नाम भी स्पीकर को दिया गया था ,लेकिन स्पीकर ने तीन सदस्यों के बाद किसी अन्य सदस्य को बोलने की अनुमति नहीं दी।
धामी ने सत्र के तीसरे दिन शुक्रवार को सदन में उन्हें बोलने का मौका न दिये जाने आरोप लगाकर अपने ही दल के नेताओं को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि सदन में विपक्ष( कांग्रेस) मित्र विपक्ष की भूमिका निभाते दिखाई दिया। उन्होंने सदन से बाहर आकर मीडिया के सामने कहा कि उनकी विधानसभा सीमांत विधानसभा है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाली विधानसभा है। यहां आपदा से उनके क्षेत्र की जनता का बुरा हाल है। इसके बाद भी उन्हें बोलने नहीं दिया गया।
उन्होंने पहाड़ी मूल के विधायकों की अपेक्षा का भी आरोप लगाते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य पर मित्र विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। धामी ने कहा वे इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से करेंगे।
दरअसल, सदन के भीतर कांग्रेस प्रदेश में आपदा के मुद्दों पर नियम 310 के तहत चर्चा चाहती थी जिस पर स्पीकर ने नियम 58 के तहत विपक्ष को चर्चा के लिए आधे घंटे का समय दिया। हरीश धामी का आरोप है कि उनकी पार्टी ने उन्हें सदन में बोलने के लिए 5 मिनट का समय भी नहीं दिया। पार्टी में उनकी वरिष्ठता खत्म की गई, जबकि वह तीन बार के विधायक हैं। इशारों ही इशारों में उन्होंने अपने ही पार्टी के उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा जो विधायक अपना बूथ नहीं जीता पाए उनको बोलने का मौका दिया गया।
इस मामले में ” पहाड़ का सच” ने नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य से बात की। आर्य ने बताया कि कांग्रेस ने आपदा पर चर्चा कराए जाने की मांग की सूचना नियम 310 तहत दी थी जिसे 310 नहीं नियम 58 में सुनने की स्पीकर ने अनुमति दी थी। चर्चा के लिए आधा घंटे का समय दिया गया था। नेता प्रतिपक्ष, विपक्ष के उप नेता सहित तीन सदस्यों के बाद जब हरीश धामी का नंबर आया तो स्पीकर ने समय पूरा होने की दशा में धामी को बोलने की अनुमति नहीं दी। धामी ही नहीं तीन सदस्यों को आपदा पर बोलने का मौका नहीं मिला। ऐसे में दोषारोपण करना उचित नहीं है।
सीएम से मिले हरीश धामी, अपनी पीड़ा बताई
विधायक हरीश धामी ने गैरसैंण(भराड़ीसैंण) में सत्रावसान के बाद विधानसभा स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट कर उनके समक्ष अपनी पीड़ा रखी। उन्होंने कहा आपदा की दृष्टि से सबसे संवेदनशील राज्य के पर्वतीय क्षेत्र हैं। आपदा जैसे महत्वपूर्ण विषय पर उन्हीं की पार्टी के सदस्यों ने उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया। .उन्होंने कहा कि इस समय उत्तराखंड के कई इलाके आपदाग्रस्त हैं। ऐसे में इस गंभीर विषय पर चर्चा बहुत आवश्यक थी।
सीएम ने विधायक हरीश धामी की बातों को गंभीरतापूर्वक सुनकर उन्हें आश्वसत किया कि उनके क्षेत्र सहित अन्य स्थानों में आपदा से संबंधित जो भी प्रकरण हैं, उनको प्राथमिकता पर लिया जाएगा। .उन्होंने प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु और सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन को निर्देश दिए अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों में सभी व्यवस्थाएं सामान्य करने के लिए जिलाधिकारियों से निरंतर समन्वय बनाए रखें।
विधायक धारचूला द्वारा अपनी विधानसभा क्षेत्र की समस्या बताने के बाद मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु को निर्देश दिए कि सचिव आपदा प्रबंधन और जिलाधिकारी पिथौरागढ़ के साथ बैठक कर क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जाए। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में लोगों के विस्थापन की आवश्यकता है तो की जाय।