– लोकसभा चुनाव में लगभग नदारद रहे हरक बदरीनाथ, मंगलौर व अब केदारनाथ उप चुनाव को देख अचानक हुए सक्रिय
– दूसरी बार हरक के सामने हरीश रावत जैसी ऊंची दीवार, 2022 के विसभा चुनाव में हरक पर दगा देने का है आरोप
– पूर्व विधायक मनोज रावत व कुंवर सजवाण की मजबूत दावेदारी, हरक के आने से उलझ सकते हैं समीकरण
– भाजपाई हो चुकी बहु अनुकृति के कारण हरक की उम्मीदवारी पर पड़ सकता है असर
पहाड़ का सच देहरादून।
साल 2022 के विधानसभा चुनाव व इसी साल हुए लोकसभा चुनावों में लगभग नदारद रहे कांग्रेस/भाजपा के पूर्व मंत्री( अब कांग्रेस में) डा. हरक सिंह रावत बदरीनाथ व मंगलौर विधानसभा उप चुनाव से सक्रिय हो गए हैं। केदार बचाओ यात्रा और खासकर केदारनाथ विधानसभा उप चुनाव को देख हरक की सक्रियता में अचानक तेजी आ गई है।
पार्टी के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि हरक की सक्रियता के पीछे कांग्रेस के एक गुट का अघोषित एजेंडा छिपा हुआ है। वो गुट 2027 की दावेदारी को देख अभी से मोहरे बिछा हरक सिंह रावत को आगे कर पर्दे के पीछे से खेल खेलना चाहता है।
लोकसभा चुनाव में लंबी चुप्पी के बाद मंगलौर व बदरीनाथ उपचुनाव में एक्टिव हुए हरक सिंह रावत ने कांग्रेस की केदारनाथ धाम बचाओ प्रतिष्ठा यात्रा में खूब नारेबाजी की। माना जा रहा है कि हरक ने उपचुनाव में अपनी उम्मीदवारी का बिगुल भी फूंका। हरक की दावेदारी से कांग्रेस के हरीश गुट में विशेष हलचल देखी जा रही है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने हाल ही में एक बयान में कहा भी कि पार्टी को स्वच्छ व ईमानदार छवि के व्यक्ति को पार्टी प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए। हरीश रावत ने यह तीर फेंककर ईडी व सीबीआई जांच का सामना कर रहे हरक पर निशाना साधा।
हरिश रावत की सरकार के वक्त 2016 में कांग्रेस में हुई बगावत के मुख्य सूत्रधार हरक सिंह रावत की 2022 विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस में वापसी को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपना वीटो लगा दिया था। लम्बी कवायद व इंतजार के बाद हरक सिंह को इस शर्त के साथ कांग्रेस में एंट्री मिली कि वे खुद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे और पार्टी प्रत्याशियों के जीत के लिए काम करेंगे, किंतु हरक सिंह लैंसिडाउन के अलावा किसी भी पार्टी उम्मीदवार के चुनाव प्रचार में नहीं गए। यहां तक कि उन क्षेत्रों में भी नहीं गए जिन क्षेत्र के उम्मीदवारों ने कांग्रेस में वापसी के लिए उनकी पैरवी की थी। हरक पर आरोप है कि उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में कोई योगदान नहीं किया है।
इतना ही नहीं, 2024 में हरिद्वार लोकसभा में हरक सिंह ने जगह जगह कार्यक्रम कर हरीश रावत को चुनौती दे दी थी। कांग्रेस के एक गुट का भी हरक को समर्थन हासिल था, लेकिन हरीश रावत ने यहां भी हरक को रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। रावत ने हाईकमान को अपने कांग्रेस के पुराने व निष्ठावान सिपाही होने की याद भी दिलाई। हरीश रावत की राजनीतिक गणित के चलते हरक सिंह रावत को हरिद्वार लोकसभा का टिकट नहीं मिला। कहा जाए तो हरीश रावत एक बार फिर हरक की राह का मुख्य रोड़ा बने।
अब इस बार भी पूर्व सीएम ने हरक की सक्रियता व कांग्रेस की अंदरूनी गुटीय राजनीति को देखते हुए स्वच्छ छवि के प्रत्याशी का पासा फेंक दिया है। दूसरी ओर कांग्रेस का एक गुट काफ़ी आगे की सोचकर हरक सिंह को शह मात के खेल में बनाए रखना चाहता है। इस गुट के निशाने पर गणेश गोदियाल बताए जाते हैं। अगले विधानसभा चुनावों में यदि कांग्रेस सत्ता में आती है तो छवि को देखते हुए गोदियाल को पार्टी अहम जिम्मेदारी दे सकती है,ऐसे में उनकी दावेदारी को हरक सिंह ही चुनौती दे सकते हैं । इसलिए एक गुट विशेष हरक की अंत तक पुरजोर पैरवी करेगा। वैसे भी गोदियाल, हरीश रावत के भरोसेमंद हैं।
रावत, गोदियाल के नाम पर सहमति दे सकते हैं। वैसे भी कांग्रेस हाईकमान अभी भी हरीश रावत को इग्नोर नहीं कर सकता और गणेश गोदियाल अपनी साफ सुथरी छवि के कारण पार्टी हाईकमान की नजरों में हैं। इधर, हरीश रावत व गणेश गोदियाल पूर्व विधायक मनोज रावत के पक्ष में हैं। हालांकि, पूर्व विधायक मनोज रावत का विरोधी गुट लोकसभा चुनाव में उनके इलाके से कांग्रेस को मिले कम मतों को भी आधार बना नये चेहरे की वकालत कर रहा है। केदारनाथ उपचुनाव में प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह व गणेश गोदियाल की राय भी अहम रहेगी।
टिकट देते वक्त ये भी देखा जाएगा कि लोकसभा चुनाव में हरक सिंह रावत पार्टी प्रत्याशी गणेश गोदियाल के पक्ष में चुनाव प्रचार करने नहीं आये। गणेश गोदियाल की तरफ से शिद्दत के साथ ये बात उठाई जा सकती है।केदारनाथ के उपचुनाव में दावेदारी कर रहे हरक सिंह रावत को अपनी बहु अनुकृति गुसाईं के भाजपा में होने का नुकसान उठाना पड़ सकता है। ईडी जांच के बढ़ते दबाव के बीच बहु अनुकृति गुसाईं ऐन लोकसभा चुनाव के समय भाजपा में शामिल हो गयी थी।
हरक की करीबी लक्ष्मी राणा ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा के पक्ष में वीडियो बयान जारी किया था। लिहाजा, हरक को अनुकृति व लक्ष्मी के राजनीतिक स्टैंड को भी कांग्रेस हाईकमान के सामने साफ करना होगा।
इधर, पार्टी के रुद्रप्रयाग जिलाध्यक्ष कुंवर सजवाण को पहली बार टिकट देने की मांग भी जोर पकड़ रही है। कांग्रेस के एक गुट का कहना है कि केदारनाथ में जिताऊ उम्मीदवार पर दांव खेल भाजपा को पटखनी दी जा सकती है। बहरहाल, कांग्रेस के बड़े नेता सम्भावित उम्मीदवारों को लेकर बंटे नजर आ रहे हैं। किंतु पूर्व सीएम हरीश रावत ने मनोज रावत की पैरोकारी के साथ स्वच्छ व ईमानदार उम्मीदवार का नारा बुलंद कर हरक सिंह रावत राह मुश्किल बना दी है।