– साल 2003 में राठ क्षेत्र में खुला पहला महाविद्यालय, बेटियां को भी मिली उच्च शिक्षा
– साल 2016 में सम्पूर्ण राठ क्षेत्र ओबीसी घोषित, सरकारी नौकरियों में युवाओं को मिला लाभ
– साल 2003 में कांग्रेस की एनडी तिवारी व साल 2016 में हरीश रावत सरकार थीं,
– विधायक गणेश गोदियाल(गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी) को जाता है डिग्री कॉलेज व ओबीसी का श्रेय
– अंकिता भंडारी हत्याकांड व अग्निवीर भर्ती योजना को लेकर भी दिखा लोगों में आक्रोश
– खेती के बंजर होने के पीछे फ्री राशन की सुविधा को जिम्मेदार मानते हैं राठी
पहाड़ का सच टीम (खास रिपोर्ट)
त्रिपालीसैण/चाकीसैण/पैठाणी(गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र)।
साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे के परिणाम देखने के बाद गढ़वाल संसदीय क्षेत्र की श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र की जनता भूल सुधार करना चाहती है। लोकसभा चुनाव के प्रचार प्रसार के दौरान ” पहाड़ का सच” की टीम ने श्रीनगर विधानसभा के राठ क्षेत्र के लोगों से चुनाव के बारे ने चर्चा की और उनके विचार जानने की कोशिश की। राठ क्षेत्र के लोगों की जुबान पर एक बार फिर राठ महाविद्यालय और ओबीसी का दर्जा है। ये दोनों काम कांग्रेस के शासनकाल में हुए थे और तब गणेश गोदियाल विधायक थे जो कांग्रेस के गढ़वाल सीट से लोकसभा के प्रत्याशी हैं। राठ क्षेत्र के लोग इन कामों का श्रेय गणेश गोदियाल को ही देते हैं।
विकासखण्ड थैलीसैंण के पैठाणी कस्बे में जिला मुख्यालय पौड़ी से लगभग 50 किमी पूर्व पश्चिमी नयार नदी के तट पर स्थित राठ महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 2003 में की गयी। जनपद का यह भू-भाग विकास से कोसों दूर अशिक्षा और पिछड़ेपन से पीड़ित रहा है। आजादी के बाद भी यह क्षेत्र शिक्षा के अभाव में अनेक तरह की विषमताओं से घिरा रहा।
शुरुआती दौर में प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की कांग्रेस सरकार में शिक्षा मंत्री रहे डॉक्टर शिवा नंद नौटियाल के कार्यकाल में प्रारम्भिक प्रगति ने जरूर कुछ विसंगतियों को दूर किया, परन्तु उच्च शिक्षा प्राप्त करना यहां के युवाओं का स्वप्न मात्र बना ही रहा। खासकर बेटियों के लिए उच्च शिक्षा हासिल करना नाम मात्र था। चूंकि डिग्री कॉलेज जिला मुख्यालय पौड़ी में था जो राठ क्षेत्र से 50 से लेकर 100 किमी की दूरी पर है।
सुरक्षा व आर्थिक दोनों कारणों से मां बाप बेटियों को चाहते हुए भी इंटर से आगे नहीं पढ़ा पाते थे। चाकीसैंण निवासी अवतार सिंह रावत दंपति, पैठाणी निवासी महिधर प्रसाद, गृहणी श्रीमती जशोमती देवी व स्थानीय व्यवसाई चंद्रमोहन नौडियाल का कहना है कि राठ क्षेत्र के अभाव और वेदना को महसूस करते हुए बहेड़ी निवासी व विधायक गणेश गोदियाल ने क्षेत्र के तमाम संभ्रान्तजनों, जागरुक नागरिकों व जनप्रतिनिधियों से सम्पर्क व सहयोग स्थापित कर ग्राम सभा पैठाणी के लोगों द्वारा दान की गई भूमि पर महाविद्यालय को खोलने का फैसला लिया।
जुलाई 2003 में महज 30 छात्र-छात्राओं, प्राचार्य, सात प्राध्यापकों व 18 शिक्षणेत्तर कर्मियों के साथ महाविद्यालय का ‘‘मिशन उच्च शिक्षा‘‘ प्रारम्भ हुआ, जो आगे चलकर नये कीर्तिमान गढ़ता चला गया। सन् 2006 में 100 (एक सौ) सीटों के साथ शिक्षा संकाय व 2012 में 50 (पचास) सीटों के साथ शारीरिक शिक्षा संकाय अस्तित्व में आया। 2012 में शिक्षा संकाय की सीटों में 50 सीटों की बढ़ोतरी की गई। 26 मार्च 2015 को गणेश गोदियाल (तत्कालीन विधानसभा सदस्य, उत्तराखण्ड) के निजी प्रयासों से इस महाविद्यालय को राज्य सरकार की अनुदानित श्रेणी में शामिल कराया गया। जिससे विभिन्न संकायों के फैकल्टी सदस्यों की संख्या में भी वृद्धि हुई है।
राठ डिग्री कॉलेज नहीं होता तो बेटियों को हासिल नहीं होती उच्च शिक्षा -सुलोचना देवी
वर्तमान में महाविद्यालय के शिक्षा संकाय बीएड् में 50 सीटें स्ववित्त-पोषित एवं 100 सीटें अनुदानित के रूप में कुल 150 सीटें स्वीकृत हैं। तीनों संकायों में अध्ययनरत कुल छात्र संख्या लगभग 850 है। पैठाणी निवासी श्रीमती सुलोचना देवी का कहना है कि उनकी दो बेटियां व एक बेटा है। बेटियों ने राठ डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। यदि राठ डिग्री कॉलेज नहीं होता तो उनकी बेटियों को उच्च शिक्षा हासिल नहीं होती। चूंकि घर से बाहर बेटियों को भेजना ठीक नहीं है। बेटियों की सुरक्षा के साथ साथ पहाड़ के अधिकांश सामान्य लोग दूसरे शहरों में बच्चों की पढ़ाई का खर्चा वहन नहीं कर सकते हैं। भला हो गणेश गोदियाल का जिन्होंने डिग्री कॉलेज खुलवाया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि गोदियाल के संसद में जाने से राठ क्षेत्र सहित पूरे गढ़वाल संसदीय क्षेत्र का विकास होगा। उनका कहना है कि इस समय के लोकसभा चुनाव में लोग पार्टी से अधिक प्रत्याशी की छवि और उसके कामकाज को देख रहे हैं।
* ओबीसी का दर्जा मिला तो युवाओं को सरकारी नौकरी में मिली मदद *
श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत राठ क्षेत्र को ओबीसी का दर्जा मिलने का फायदा अब युवाओं को सरकारी नौकरी में मिलने लगा है। जिन शिक्षा मित्रों की नौकरी खतरे में पड़ गई थी। उन्होंने ओबीसी आरक्षण के अन्तर्गत टीईटी की परीक्षा पास कर शिक्षा विभाग में पक्की नौकरी पाई है।
राठ क्षेत्र के सेवानिवृत शिक्षक रणजीत सिंह रावत, गवर सिंह रावत, शंभू प्रसाद गोदियाल से जब ओबीसी आरक्षण के बारे में पूछा गया तो इनका कहना है कि अब तक कई शिक्षा मित्रों को ओबीसी आरक्षण का लाभ मिला है। ग्राम स्तर पर शिक्षा मित्रों की पूर्व में नियुक्तियां हुई थी, किंतु उनके द्वारा टीईटी पास नहीं की गई थी। जिसकी वजह से उनके सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया था, किंतु राठ क्षेत्र को ओबीसी का दर्जा मिलने पर ओबीसी के आरक्षण में उक्त शिक्षा मित्रों में टीईटी पास करने का मौका मिला।
सभी के विकास की सोच रखने वाला व्यक्ति क्षेत्र का प्रतिनिधत्व करे
पहाड़ का सच टीम ने जितने लोगों से बात की है वे किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हैं। उनका कहना है कि उन्होंने कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों को समय समय पर वोट किया है। अब परखने के बाद मालूम हुआ है कि सभी के विकास की सोच रखने वाला व्यक्ति ही डिग्री कॉलेज व आरक्षण दिलाने का काम कर सकता है और उसे ही संसद में पहुंचाने की जिम्मेदारी सभी लोगों की है ।
लोगों की समस्याओं को संसद में उठाने वाला सांसद चाहिए, पैराशूट नहीं
राठ क्षेत्र के लोग अंकिता भंडारी हत्या कांड और अग्निवीर भर्ती योजना की दुश्वारियों से अनजान नहीं हैं। इनका मानना है कि जिस सरकार के राजकाज में बेटियों की हत्या हो रही है, सेना में सैनिक के स्थान पर संविदा कर्मी रखे जा रहे हों। उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है। लोगों को अच्छा लग रहा है कि कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल इन मुद्दों को लगातार उठा रहे हैं। हमें तो ऐसा सांसद चाहिए जो लोगों की समस्याओं को संसद में उठा सके। हमें ऐसा सांसद नहीं चाहिए जिसका रिमोट कहीं और हो जो सिर्फ चुनाव के वक्त दिखे। राठ क्षेत्र के लोग पैराशूट प्रत्याशी पर भी बातों बातों में टिप्पणी कर रहे हैं। स्थानीय लोग फ्री की राशन की सुविधा को भी उचित नहीं मानते। उनका तर्क है कि इससे लोग काम भी नहीं कर रहे हैं और उनकी पुश्तैनी खेती भी धीरे धीरे बंजर होती जा रही है। पहाड़ के भविष्य के लिए ये सुखद नहीं है।