– धर्मनगरी में ” हरिद्वार की जंग” को आसान बनाने में काम आएगा श्रीराम का आशीर्वाद ?
– हरिद्वार सीट से हरीश रावत व उनका पुत्र टिकट के प्रबल दावेदार
हरीश जोशी, पहाड़ का सच।
अयोध्या/देहरादून। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रविवार को रामलला के दर्शन किये। पूर्व सीएम ने आरती में हिस्सा लेने के अलावा रामभक्तों के साथ फोटो खिंचवाई और वीडियो संदेश भी जारी किया। हरीश रावत ने अपनी पोस्ट में लिखा कि मंदिर की कलात्मकता को निहारते हुए वे अभिभूत हुए । अयोध्या जाकर दर्शन कर हरीश रावत ने संदेश देने की कोशिश की है कि वे भी रामभक्त हैं।
हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रमुख दावेदारों में शुमार हरीश रावत के राममंदिर दर्शन की फोटो सोशल मीडिया में वॉयरल होते हो राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गयी। रामलला मूर्ति की स्थापना के बाद सीएम धामी अपनें मंत्रिमंडल के साथ रामलला के दर्शन कर चुके हैं। यही नहीं, भाजपा के नेता व कार्यकर्ता जत्थों में अयोध्या की ओर कूच कर रहे हैं।
उत्तराखण्ड कांग्रेस से किसी बड़े नेता के अयोध्या दर्शन की खबरें अभी तक सामने नहीं आयी थीं। इस बीच पूर्व सीएम के रामलला दर्शन की फ़ोटो सोशल मीडिया पर वॉयरल होने से उत्तराखंड में राजनीतिक माहौल में गर्माहट आ गई है। हरीश रावत ने सोशल मीडिया के जरिए इसकी जानकारी सार्वजनिक की। हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर लिखा कि आज अयोध्या धाम में प्रभु श्री राजा राम चंद्र जी के दर्शन के बाद हनुमान गढ़ी जी में जाकर परम राम भक्त मंगलकारी हनुमान जी के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
असल में रामलला मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रदेश कांग्रेस के कई बड़े नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं। कमोबेश हर दिन कोई न कोई कांग्रेसी भाजपा का पटका पहन रहा है। दल बदल के इस चुनावी मौसम में पूर्व सीएम हरीश रावत की राममंदिर में खींची गई फोटोज उनकी धार्मिकता के साथ मतदाताओं को भी एक विशेष संदेश देने की कोशिश मानी जा रही है।हरिद्वार संसदीय सीट से कांग्रेस के टिकट के लिए मिल रही चुनौती के बीच हरदा के रामलला दर्शन ने पक्ष,विपक्ष दोनों के बीच नई चर्चा शुरू कर दी हैं।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समय बीती 22 जनवरी 2024 को समारोह में न जाने का निर्णय लिया था। हरीश रावत ने साफ तौर पर कहा था कि वो भगवान श्री राम के दर्शनों के लिए अयोध्या जरूर जाएंगे, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा के दिन बीजेपी के निमंत्रण पर कतई नहीं जाएंगे. इतना ही नहीं उन्होंने बीजेपी पर राम प्राण प्रतिष्ठा समारोह को हाईजैक करने का आरोप भी लगाया था।
पूर्व में हरीश रावत ने अपनी फेस बुक पोस्ट में लिखा था कि ‘कल रात मुझे ऐसा लगा जैसे भगवान राम मेरे सिरहाने पर बैठे हों. मुझे यह कह रहे हों कि अयोध्या जरूर आना. मैंने भी यही इच्छा जताई है कि मैं जल्द ही राम के दर्शन के लिए अयोध्या जाऊंगा. इसके लिए रामनवमी या उसके आसपास का दिन सही रहेगा।” राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हरीश रावत इस बात को जानते हैं कि राम मंदिर देश के अधिसंख्य लोगों की धार्मिक आस्था से जुड़ा है, इसका विरोध करने का मतलब है ,देश की अधिसंख्य आबादी को नाराज करना है। उनका अयोध्या जाकर राम लला के दर्शन करने की पीछे यह दर्शाने की कोशिश है कि उनकी भी राम के प्रति आस्था है और वे भी हर हिंदू की तरह राम में को पूजते हैं। यानी राम नाम के नफा नुकसान को समझने लगे हैं।
दरअसल, राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के समय कांग्रेस के बड़े नेताओं , खासकर राहुल गांधी की तरफ से यह प्रचारित किया गया कि राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन पीएम मोदी का आयोजन है और उस आयोजन का पुरजोर विरोध किया गया। पार्टी के शीर्ष नेताओं के राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन के विरोध में लिए गए फैसले का आज कांग्रेस के बड़े नेता भी मुखालफत कर पार्टी से किनारा कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं। ताजा मामला पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व पीएम स्वर्गीय राजीव गांधी के करीबी रहे मध्य प्रदेश के सुरेश पचौरी का है जो आज भाजपा में शामिल हो गए हैं।