– पौड़ी लोकसभा सीट से भाजपा दावेदारों में शुमार
– मनीष के भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल को उतार सकती है चुनाव में
पहाड़ का सच देहरादून।
पूर्व मुख्यमंत्री वीसी खंडूड़ी के पुत्र मनीष खंडूड़ी की जिस तरह अप्रत्याशित कांग्रेस में एंट्री हुई, उसी तरह उन्होंने कांग्रेस से किनारा कर दिया। 2019 में भी मनीष लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे और इस समय भी लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से किनारा कर लिया है।
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में टूट लगातार जारी है। आज पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। इसकी घोषणा उन्होंने आज अपने सोशल मीडिया अकाउंट से पोस्ट डालकर की है। उनके इस्तीफे के बाद कांग्रेसी खेमे में हलचल है।
मनीष खंडूरी ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि ” मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूँ।
मेरा यह निर्णय बिना किसी व्यक्तिगत हित अथवा अपेक्षा के लिया गया है।”
कांग्रेस से इस्तीफे के बाद खंडूड़ी का नाम पौड़ी से भाजपाई दावेदारों में शामिल हो गया है। ऐसी चर्चाएं भी आम हो गई हैं।
मनीष खंडूडी इस साल भी पौड़ी लोकसभा से कांग्रेस के टिकट के दावेदार थे। लेकिन इस बार पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को पौड़ी के चुनावी मैदान में उतारे जाने की ज्यादा चर्चा हो रही थी। उम्मीद जताई जा रही है कि मनीष खंडूडी जल्द ही भाजपा में शामिल होंगे। हालांकि, कांग्रेस का एक गुट मनीष के इस्तीफे को दबाव की राजनीति से जोड़कर देख रहा है। भाजपा ने पौड़ी व हरिद्वार सीट के टिकट रोके हुए हैं। पौड़ी से तीरथ रावत के विकल्प के तौर पर अन्य नामों के साथ खंडूडी के नाम की भी चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। इधर, कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि चूंकि मनीष का कोई व्यक्तिगत जनाधार नहीं था। लिहाजा,उनके जाने से कांग्रेस की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मनीष खंडूडी की बहन ऋतु खंडूडी कोटद्वार से विधायक व स्पीकर की जिम्मेदारी संभाल रही हैं।
बहरहाल, मनीष खंडूडी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में सरगर्मी बढ़ गयी है। खंडूडी ने अंकिता भण्डारी हत्याकांड को लेकर पौड़ी जिले में कई दिन तक विरोध प्रदर्शन किया था, और अंकिता के भाई को एक निजी कम्पनी में नौकरी भी लगाई थी। अब अगर खंडूडी भाजपा में शामिल होते हैं तो अंकिता भण्डारी के मसले पर उन्हें अन्य पार्टी नेताओं की तरह चुप्पी साधनी होगी।