– पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद तीरथ रावत व पूर्व रास सदस्य अनिल बलूनी के बीच अभी भी “टाई अप”
– पौड़ी से यदि बलूनी का टिकट होता है हरिद्वार से ब्राह्मण उम्मीदवार को हो सकती है परेशानी, बलूनी को पूर्वी दिल्ली भी बुलाया जा सकता है
– हरिद्वार सीट पर गैर पहाड़ी को टिकट देने की भी है चर्चा, स्वामी यतीश्वरानंद व मदन कौशिक का नाम पैनल में
हरीश जोशी, पहाड़ का सच देहरादून
भाजपा ने जिन राज्यों में लोकसभा चुनाव के टिकटों का वितरण किया है ,उनमें अधिकांश पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है. उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में तीन पर मौजूदा सांसदों को ही उतारा है। पौड़ी और हरिद्वार सीट पर उम्मीदवार का ऐलान न होने के पीछे मुख्य वजह पूर्व राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी की पौड़ी से मजबूत दावेदारी को माना जा रहा है। बलूनी की दावेदारी से दो सांसदों व तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के टिकट पर तलवार लटकी हुई दिखाई दे रही है। फौरी तौर पर लग रहा है कि भाजपा ने राज्य में तीन सांसदों अजय भट्ट,अजय टम्टा और श्रीमती राज्य लक्ष्मी शाह को दोबारा टिकट देकर पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है तो फिर पौड़ी और हरिद्वार में पुराने चेहरों की अभी भी नाप जोख क्यों हो रही है? इसका सीधा और सपाट जबाव ये है कि अल्मोड़ा, नैनीताल व टिहरी सीट पर दावेदारी करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी जैसे ऊंची पकड़ के नेता नहीं थे।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की हरिद्वार के अलावा पौड़ी लोकसभा सीट से भी टिकट के लिए प्रबल दावेदारी है जबकि अनिल बलूनी पहली बार पौड़ी से लोकसभा टिकट के प्रबल दावेदार हैं। बलूनी भाजपा के मीडिया हेड होने के नाते पार्टी के बड़े नेताओं के लिए खासे परिचित चेहरे हैं और राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत , गृह मंत्री अमित शाह के अलावा पार्टी के बड़े नेताओं के करीबियों में गिने जाते हैं। ऐसे हालात में पौड़ी हो या हरिद्वार किसी एक के पक्ष में फैसला लेना अभी आसान नहीं दिखाई दे रहा है।
सूत्रों का कहना है कि पार्टी अनिल बलूनी को पूर्वी दिल्ली से चुनाव मैदान में उतारना चाहती है ,पूर्वी दिल्ली से मौजूदा सांसद गंभीर गौतम ने चुनाव लड़ने की अनिच्छा जाहिर की है जबकि बलूनी पौड़ी से ही टिकट मांग रहे हैं। ऐसे हालात में यदि पार्टी बलूनी की मनाने में कामयाब हुई तो पौड़ी से तीरथ व त्रिवेंद्र दोनों में से एक को टिकट मिल सकता है। रही बात हरिद्वार की तो इस सीट का टिकट भी पौड़ी सीट के टिकट पर टिका हुआ दिख रहा है।
पौड़ी सीट यदि किसी ठाकुर नेता के हिस्से में आती है तो हरिद्वार सीट पर ब्राह्मण उम्मीदवार का दावा पुख्ता हो सकता है और यदि पौड़ी से ब्राह्मण उम्मीदवार को टिकट मिलता है तो हरिद्वार सीट पर ठाकुर नेता का दावा मजबूत होगा। हालांकि हरिद्वार सीट में भी दावेदारी को लेकर पेंच फंसे हुए हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि हरिद्वार को लेकर ये मांग की जा रही है कि किसी मैदानी मूल के नेता को चुनाव मैदान में उतारा जाए,चूंकि राज्य की अन्य चार सीटों पर पहाड़ी मूल के उम्मीदवार होंगे, ऐसे में एक सीट मैदान मूल को दी जानी चाहिए। इस डिमांड के बीच पार्टी की परेशानी ये है कि हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र के परिसीमन के बाद जब से ऋषिकेश, डोईवाला व धर्मपुर विधानसभा इस सीट का हिस्सा बनी हैं, पर्वतीय मूल के मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। दूसरा ,हरिद्वार से गैर पर्वतीय दावेदार कभी भी पर्वतीय जनमानस के सरोकारों के पक्ष में कभी खड़े नहीं दिखाई दिए। इन सभी समीकरणों के बीच पूर्व सीएम व पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक का हरिद्वार से सबसे मजबूत दावा माना जा रहा है।