पहाड़ का सच,देहरादून।
जनरल कैटेगिरी में फॉर्म भरकर एससी कोटे में नौकरी पाने का मामला पेयजल निगम में 18 साल बाद सामने आया है, वो भी जब सहायक अभियंता के पद पर प्रमोशन और प्रभारी का चार्ज देने के लिए वरिष्ठता सूची खंगाली गई तब इसका खुलासा हुआ। इससे न सिर्फ इंजीनियरों की वरिष्ठता सूची अटक गई है बल्कि प्रमोशन भी फंस गए हैं।
पेयजल निगम में जूनियर इंजीनियर (जेई) और सहायक अभियंता (एई) की भर्ती के लिए वर्ष 2005 में पंजाब विश्वविद्यालय से कराई गई परीक्षा में बड़े स्तर पर अनियमितता हुई। इसमें सहायक अभियंताओं के आरक्षित पदों पर उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली के लोगों की गलत नियुक्ति का मामला तो पहले ही प्रकाश में आ ही चुका था। अब जो नया मामला सामने आया है, उसमें जेई के पद पर जनरल कैटेगिरी में आवेदन करने वाले को एससी कोटे में नियुक्ति देने की बात सामने आई है। इससे पूरी भर्ती प्रक्रिया ही सवालों में घिर गई है।
पंजाब विश्वविद्यालय ने परीक्षा संपन्न कराने के बाद पेयजल निगम को जो चयन सूची सौंपी थी, उसमें राज्य से बाहर के एक व्यक्ति का नाम सामान्य श्रेणी की सूची में था। सामान्य श्रेणी की सूची में जिस नंबर पर नाम था, उस पर सामान्य श्रेणी में नौकरी मिलनी मुश्किल थी। इसके बाद उसे एससी श्रेणी में नियुक्ति दे दी गई। इस व्यक्ति का जाति प्रमाण पत्र भी उत्तराखंड से बाहर का है।
एक अन्य मामले में शिकायत है कि उत्तर प्रदेश के एक व्यक्ति ने जेई पद पर चयन के लिए देहरादून से जारी स्थाई निवास प्रमाण पत्र जमा कराया। जबकि उसके अन्य सभी शैक्षणिक प्रमाण पत्र उत्तर प्रदेश के ही हैं। नियमों के अनुसार, जेई पद पर उत्तराखंड से बाहर के व्यक्ति को नौकरी नहीं मिल सकती। इसी तरह वर्ष 2014 में सहायक अभियंता के पद पर एक अन्य अभ्यर्थी ने फार्म के साथ बिजनौर से जारी जाति प्रमाण पत्र लगाया था। बाद में चयन के दौरान जब मुख्यालय में सर्टिफिकेट जमा कराए गए तो उसने पौड़ी से जारी जाति प्रमाण पत्र लगा दिया। इस मामले में भी साक्ष्यों के साथ मैनेजमेंट से शिकायत की गई।