
पहाड़ का सच, पौड़ी।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रिखणीखाल में बच्ची के हाथ टूटने पर प्लास्टर की जगह गत्ता लगाने के मामले में पौड़ी मुख्य चिकित्साधिकारी ने स्वास्थ्य महानिदेशक को अपनी रिपोर्ट भेजी है। जिसमें उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं के अभाव का जिक्र करते हुए डॉक्टरों का बचाव किया है। साथ ही कहा कि बच्ची का हाथ स्थिर रहे, इसलिए डॉक्टरों ने बच्ची की हाथ को सहारा देने के लिए गत्ता लगाया, जो बिल्कुल सही है।
मुख्य चिकित्साधिकारी पौड़ी डॉ प्रवीण कुमार कार्रवाई के बजाय डॉक्टरों के बचाव में खड़े हो गए हैं। सीएमओ ने कहा सीएचसी रिखणीखाल में हड्डी रोग विशेषज्ञ का पद सृजित ही नहीं है, जिसके चलते बच्ची को समुचित उपचार नहीं मिल पाया। डॉक्टरों ने हाथ स्थिर रहे, इसके लिए सपोर्ट में गत्ता लगाया। अस्पताल में कुछ समय पहले एक्स-रे मशीन लगाई गई, लेकिन तकनीशियन के अभाव में मशीन का उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसी वजह से बच्ची के हाथ का एक्स-रे भी नहीं हो पाया।
19 मई को रिखणीखाल ब्लॉक के ग्राम पोखरों की 12 वर्षीय सारिका की हाथ टूटने पर परिजन उसे सीएचसी रिखणीखाल ले गए। जहां उपचार के नाम पर बच्ची को कुछ दवा दी गई और डॉक्टरों ने टूटे हाथ पर सपोर्ट के लिए गत्ता लगा दिया था, साथ ही एक्स-रे के लिए बेस अस्पताल कोटद्वार रेफर कर दिया था। 22 मई को परिजन बेटी को बेस अस्पताल कोटद्वार ले गए, जहां उन्हें सर्जरी कराए जाने की सलाह दी गई।
घटना के बाद से ही स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल खड़े कर दिए थे। लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत पौड़ी जनपद के ही मूल निवासी है। बावजूद इसके जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं दमतोड़ रही हैं।
