
*2016 की राजनीतिक जंग में हरीश रावत से भाजपा को मिली हार।
राष्ट्रपति शासन भी हटा और हरीश रावत सरकार बहाल भी हुई ।
हरीश जोशी, पहाड़ का सच देहरादून।
सत्तारूढ़ दल द्वारा पूर्व मुख़्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ छेड़ी गई जंग भाजपा-कांग्रेस से अधिक हरीश रावत बनाम भाजपा होती दिखाई दे रही है। भले ही कांग्रेस ने अभी तक विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मुख़्यमंत्री का चेहरा घोषित न किया हो ,लेकिन भाजपा हरीश रावत को विरोधी दल की तरफ से सबसे बड़ी चुनौती मानती है। वर्ष 2016 में राष्ट्रपति शासन हो या विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के बाद बर्खास्त की गई हरीश रावत सरकार की बहाली से हुई पराजय की टीस भाजपा को आज तक सालती रहती है।
कांग्रेस की राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों का मानना है कि 2016 में सरकार में बगावत से लेकर राष्ट्रपति शासन और सरकार का विधानसभा के फ्लोर पर बहुमत साबित करना हरीश रावत के राजनीतिक कौशल की बदौलत सम्भव हो पाई थी। हालांकि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ हरीश रावत भी हार गए, लेकिन उत्तराखण्ड सरकार में 2016 की राजनीतिक जंग में हरीश रावत के हाथों मिली हार की टीस भाजपा को आज भी सालती है। भाजपा के निशाने पर हरीश रावत ही सबसे अधिक हैं।
*जानिये 2016 में कब क्या क्या हुआ*
18 मार्च- विधानसभा में वित्त विधेयक के दौरान हंगामा, कांग्रेस के विधायक हुए बागी. 18 मार्च- 9 बागी विधायक भाजपा के साथ राज्यपाल से मिलने गए। राज्यपाल से विश्वासमत की मांग कर बागी दिल्ली रवाना
19 मार्च- राज्यपाल ने 28 मार्च तक बहुमत साबित के लिए कहा।
21 मार्च – भाजपा ने राष्ट्रपति से की सरकार बर्खास्त की मांग
25 मार्च – बागियों ने सदस्यता समाप्त के नोटिस को दी चुनौती, हाईकोर्ट ने स्पीकर के खिलाफ याचिका ख़ारिज की .
26 मार्च- मुख्यमंत्री हरीश रावत का स्टिंग ऑपरेशन सामने आया स्टिंग में बागियों को मनाने के लिए खरीद फरोख्त का जिक्र 27 मार्च- राष्ट्रपति शासन की अधिसूचना जारी, केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश पर दोपहर में अधिसूचना जारी
27 मार्च – स्पीकर ने बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त की।
28 मार्च- राष्ट्रपति शासन लागू करने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच गए हरीश रावत 29 मार्च- कांग्रेस के 9 बागी विधायकों ने उनकी सदस्यता समाप्त किए जाने के विरोध में दी याचिका
30 मार्च- हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने हरीश रावत को बहुमत साबित करने का दिया फैसला .
31 मार्च- एकल बेंच के फैसले के खिलाफ डबल बेंच में याचिका दाखिल .2 अप्रैल- पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक और याचिका दाखिल कर बजट अध्यादेश को दी चुनौती।
7 अप्रैल- हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फ्लोर टेस्ट के फैसले को 18 अप्रैल तक किया स्थगित
12 अप्रैल- बागी विधायकों की याचिका पर टली सुनवाई, हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 23 अप्रैल तक टाली सुनवाई
18 अप्रैल- राष्ट्रपति शासन के खिलाफ दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट में शुरू हुई सुनवाई
21 अप्रैल- हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति शासन किया समाप्त व 29 अप्रैल को फ्लोर टेस्ट का दिया आदेश.
23 अप्रैल- सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई अंतरिम रोक, 27 अप्रैल तक टली सुनवाई।
27 अप्रैल- सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल के फ्लोर टेस्ट पर लगाई रोक, 3 मई तक सुनवाई टली।
3 मई- सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई अगले दिन यानी 4 मई के लिए टाली
4 मई- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से फ्लोर टेस्ट पर हां या नहीं में जवाब देने के लिए कहा। केंद्र ने मांगा 6 मई तक का समय।
6 मई- केंद्र ने पलोर टेस्ट के लिए भरी हामी, सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को फ्लोर टेस्ट कराने का दिया आदेश।
7- मई- हाईकोर्ट ने बागियों की सदस्यता के मामले पर की सुनवाई, फैसला रखा सुरक्षित
9 मई- हाईकोर्ट ने बागियों की याचिका की खारिज, स्पीकर के फैसले पर लगाई मुहर, बागी विधायक पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, कोर्ट ने भी बागियों को तत्काल कोई राहत देने से किया इनकार।
10 मई- शक्ति परीक्षण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण, हाईकोर्ट और
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बागी विधायक नहीं हो पाए मतदान की प्रक्रिया में शामिल
11 मई- सुप्रीम कोर्ट का फैसला, उत्तराखंड में फिर बनी हरीश रावत की सरकार 33 विधायकों ने कांग्रेस के पक्ष में वोट डाले , 28 विधायकों ने भाजपा का किया समर्थन।
