
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मसूरी वन प्रभाग से 7375 वन सीमा पिलरों के गायब होने के मामले में सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।

ये जनहित याचिका नरेश चौधरी ने दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मसूरी वन प्रभाग की सीमा चिह्नित करने के लिए लगाए गए हजारों पिलर रहस्यमय ढंग से गायब हो गए हैं। याचिकाकर्ता का दावा है कि यह वन अधिकारियों, राजनीतिक प्रभावशाली लोगों और भूमि माफियाओं के कथित गठजोड़ का परिणाम है।
याचिका में यह भी बताया गया है कि सबसे अधिक पिलर मसूरी और रायपुर रेंज से गायब हुए हैं, जिससे वन भूमि को भारी नुकसान हुआ है। आरोप है कि शिकायतें मिलने के बावजूद वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। याचिकाकर्ता ने पूरे मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के साथ-साथ जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ विभागीय और दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है।
वहीं मसूरी वन प्रभाग के डीएफओ अमित कंवर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि न तो पिलर गायब हुए हैं और न ही किसी प्रकार का घोटाला हुआ है। उनके अनुसार, इस मामले में फैलाई जा रही खबरें भ्रामक, अधूरी जानकारी और दुर्भावनापूर्ण मंशा से प्रेरित हैं।
