
नैनीताल। टिहरी जिले के प्रतापनगर तहसील के 23 गांवों में ‘हर घर नल से जल’ योजना में हुई भारी गड़बड़ियों और गबन के मामले में दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।

मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्द्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने गड़बड़ी करने वाले पेयजल लाइनों के ठेकेदारों को भुगतान नहीं करने के आदेश को जारी रखते हुए राज्य सरकार व पेयजल निगम से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। कोर्ट ने अगली सुनवाई हेतु सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।
मामले के अनुसार प्रतापनगर तहसील के भेलुंटा गांव के पूर्व प्रधान दिनेश चंद्र जोशी की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि प्रतापनगर तहसील में ‘हर घर नल से जल’ योजना के तहत गांवों में पेयजल लाइन बिछाने का काम किया गया है। जो कार्य सम्बन्धित ठेकेदारों के द्वारा हवा में पूर्ण कर दिया, जो नल ढाई फीट जमीन के अंदर गड़ने चाहिए थे, उन्हें ठेकेदार ने जमीन के ऊपर पेड़ों व जमीन पर गाड़ दिए गए। जबकि जब इनका टेंडर हुआ था, उसमें शर्ते यह थी कि जो भी पाइप लाइन बिछाई जाएगी, वह जमीन के अंदर ढाई फीट के अंदर होंगी।
लेकिन पेयजल निगम, ठेकेदार और कार्यदायी संस्था के द्वारा इनका अनुपालन ना करते हुए सम्बन्धित ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जिसकी वजह से उनके ग्रामों में आपदा के दौरान नियमित पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है। इसलिए इस प्रकरण की जांच कराई जाए। इसमे सम्मिलित कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। जनहित याचिका में कहा गया है कि मानकों के अनुसार काम नहीं किया गया है। कुछ गांवों में तो पेयजल लाइनें खुले में डाल दी गयी हैं, जबकि कुछ गांवों में पाइप लाइनें अपेक्षाकृत कम गहरी हैं।
अधिशासी अभियंता ने भी भेलुंटा, देवल, खेतगांव और खोलगढ़ आदि गांवों में पेयजल लाइनों में गड़बड़ी की बात स्गवीकार की है। सरकार की ओर से गड़बड़ी की बात स्वीकार करते हुए कहा गया कि जिन गांवों में मानक के अनुरूप काम नहीं पाया गया वहां का भुगतान रोक दिया गया है।
