
पहाड़ का सच/एजेंसी।

गुवाहाटी। आरएसएस प्रमुख डा.मोहन भागवत ने बुधवार को असम और पूर्वोत्तर के युवाओं से संगठन के बारे में पूर्वाग्रहों या प्रेरित प्रचार के आधार पर राय न बनाने की अपील की। राज्य की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के अंतिम दिन युवा नेतृत्व सम्मेलन को संबोधित करते हुए भागवत ने आरएसएस के सिद्धांतों, आदर्शों और कार्यप्रणाली पर प्रकाश डाला, उन्होंने कहा कि आरएसएस अब सार्वजनिक चर्चा का विषय बन गया है, लेकिन ये चर्चाएं तथ्यात्मक जानकारी पर आधारित होनी चाहिए।
राष्ट्र का उत्थान तभी हो सकता है, जब समाज का उत्थान हो
उन्होंने ये भी दावा किया कि अंतरराष्ट्रीय मंचों और डिजिटल स्त्रोतों के जरिये संघ के बारे में 50 प्रतिशत से अधिक जानकारी या तो गलत है या अधूरी है। उन्होंने विभिन्न मीडिया संस्थानों द्वारा आरएसएस के खिलाफ जानबूझकर गलत सूचना अभियान चलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि संघ का प्राथमिक उद्देश्य भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाना है। राष्ट्र का उत्थान तभी हो सकता है, जब समाज का उत्थान हो। उन्होंने युवाओं से विकसित देशों के इतिहास का अध्ययन करने का आग्रह किया।
जो लोग भारत से अलग हुए उन्होंने अंतत: अपनी परंपराओं को खो दिया
भागवत ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में भारत की महानता भाषाई, क्षेत्रीय और आस्था आधारित विविधताओं का सम्मान करने और उन्हें स्वीकार करने की उसकी दीर्घकालिक परंपरा में निहित है। विविधता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग भारत से अलग हुए उन्होंने अंतत: अपनी परंपराओं को खो दिया। दावा किया कि हिंदू विविधता का सम्मान करते हैं और ऐसे समाज का निर्माण करना आरएसएस का प्राथमिक उद्देश्य है।
संघ का उद्देश्य जमीनी स्तर पर एक गैर-राजनीतिक और सामाजिक नेतृत्व विकसित करना
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जब तक भारतीय समाज संगठित और गुणी नहीं होगा, तब तक देश का भाग्य नहीं बदलेगा। संघ का उद्देश्य जमीनी स्तर पर एक गैर-राजनीतिक और सामाजिक नेतृत्व विकसित करना है। व्यक्ति निर्माण से समाज में परिवर्तन होता है और जब समाज बदलता है तो व्यवस्थाएं भी बदलती हैं।
