
पहाड़ का सच/एजेंसी

नई दिल्ली। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका की एक अदालत ने मानवता के विरुद्ध अपराध के लिए फांसी की सजा सुनाई है। जस्टिस गुलाम मुर्तजा की अगुवाई वाली तीन जजों की ट्रिब्यूनल ने अपना फैसला छह पार्ट में सुनाया, जो 400 पेज का है।

ट्रिब्यूनल ने उन्हें अगस्त 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं का दोषी माना है। शेख हसीना तख्तापलट के बाद भारत आ गईं थीं। वे पिछले 15 महीने से भारत में ही रह रही हैं।तीन सदस्यों वाले ICT-BD ने 28 दिनों (वर्किंग डे) तक इस मामले पर सुनवाई की। आखिर में 23 अक्टूबर को मामले की सुनवाई पूरी की, जिसमें 54 गवाहों ने अदालत के सामने गवाही थी।
ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाते हुए कहा कि “प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किया। यह न्यायाधिकरण उन्हें दोषी पाता है। उन्होंने घातक हथियारों, हेलीकाप्टरों के उपयोग करने के आदेश जारी करके मानवता के खिलाफ अपराध किए।
आरोपी प्रधानमंत्री शेख हसीना वरिष्ठ कमांडिंग पद पर थीं
इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (IGP) चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून (आरोपी) गवाह बन गए थे और उन्होंने पूरा खुलासा किया है। .सबूत देने के लिए उन्हें माफ कर दिया गया है। उनसे एक गवाह के रूप में पूछताछ की गई है। IGP के अपराधों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है, लेकिन उसके खुलासे को ध्यान में रखते हुए हम उसे दोषी ठहराते हैं और उसे कम सजा देते हैं।
हाई अलर्ट पर ढाका पुलिस
हसीना के फैसले को लेकर बांग्लादेश में हिंसक माहौल है। सरकार ने हाई अलर्ट की घोषणा की है राजधानी ढाका में 15,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। इन्हें हिंसक प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया गया है। शनिवार देर रात से रविवार सुबह तक ढाका में दो बसों को आग लगा दी गई है। फैसले के बाद हिंसा और बढ़ने की आशंका को देखते हुए देशभर में सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
बांग्लादेश में कड़ी सुरक्षा तैनाती के बीच सोमवार को ICT ने फैसला सुनाया कि शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं। शेख हसीना के साथ-साथ उनके सरकार में गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पुलिस प्रमुख अब्दुल्ला अल-मामून को दोषी पाया गया है। अब्दुल्ला अल-मामून सरकारी गवाह बन गए थे तो उन्हें कम सजा दी गई।
हसीना के खिलाफ आरोप
पूर्व पीएम शेख हसीना, गृह मंत्री कमाल और पुलिस प्रमुख मामून पर हत्या, हत्या के प्रयास, यातना और अन्य अमानवीय कृत्यों सहित पांच आरोप लगाए गए हैं। एक प्रमुख आरोप में हसीना पर प्रदर्शनकारियों के ‘सफाए’ का आदेश देने का आरोप लगाया गया था। उन पर भड़काऊ बयान देने और छात्रों के खिलाफ घातक हथियारों के इस्तेमाल का निर्देश देने का भी आरोप लगाया गया था, जिसके कारण अगस्त 2024 में उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट का अनुमान है कि ‘जुलाई विद्रोह’ के दौरान 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच 1,400 लोग मारे गए थे, क्योंकि उनकी सरकार ने व्यापक सुरक्षा कार्रवाई का आदेश दिया था।(साभार)