
जयपुर। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में वैश्विक परिदृश्य पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आजकल युद्धों के तरीके बदल गए हैं, और राष्ट्रीयता के कारण दुनिया में संघर्ष बढ़ रहे हैं।

स्वार्थ तो परस्पर विरोधी होता ही है
डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि सद्भावना भारत का स्वभाव है। नियम और तर्क के आधार पर समस्याएं ठीक नहीं हो सकती, इसके लिए सद्भावना चाहिए और हमें यही काम करना है। उन्होंने कहा कि स्वार्थ भावना यह दुनिया का स्वभाव है। स्वार्थ भावना के आधार पर दुनिया को सुखी करने का प्रयास दो हज़ार साल से चल रहा है, और फेल हो रहा है, क्योंकि स्वार्थ सबका भला नहीं कर सकता, जिसमें ताकत है, वो अपना स्वार्थ साध लेता है, उसके मन में कोई संवेदना नहीं रहती। स्वार्थ तो परस्पर विरोधी होता ही है।
समाज को बचाना है, तो उसका प्रबोधन करना आवश्यक
सरसंघचालक डॉ.भागवत शुक्रवार को मालवीय नगर स्थित पाथेय कण संस्थान के नारद सभागार में आयोजित सामाजिक सद्भाव बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि समाज को बचाना है, तो उसका प्रबोधन करना आवश्यक है। कुछ शक्तियां ऐसी है जो भारत को आगे बढना नहीं देना चाहती है। हिंदू भारत का प्राण है, इसलिए भारत को तोड़ने की कोशिश करने वाले लोग हिंदुओ को तोड़ना चाहते हैं। आज ड्रग्स का जाल फैलाया जा रहा है, इसके पीछे जो ताकतें है, वो भारत को दुर्बल बनाना चाहती है।
परिवार में आत्मीयता होती है, तो ड्रग और लव जिहाद जैसी बातें हमेशा दूर रहती हैं
उन्होंने कहा कि परिवार में आत्मीयता होती है, तो ड्रग और लव जिहाद जैसी बातें हमेशा दूर रहती है। पर्यावरण के लिए छोटी-छोटी बातें करनी है। पानी बचाओ, सिंगल यूज प्लास्टिक हटाओ और पेड़ लगाओ। उन्होंने आगे कहा कि सद्भावना के आधार पर ये बातें समाज के आचरण लाना है, यह तब आएगी जब पहले हम इसे अपने आचरण में लाएंगे। सबमें सम्मान, प्रेम और आदर रहेगा तो सारे संकट समाप्त हो जाएंगे
बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेशचंद्र अग्रवाल, प्रदेश के विभिन्न समाजों के पदाधिकारी और गणमान्य लोग उपस्थित थे।