
श्रीनगर। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलगीत निर्माण की प्रक्रिया अंतिम चरणों पर है। जल्द ही गढ़वाल विवि को अपना कुलगीत मिलने वाला है। कुलगीत निर्माण को लेकर बनाई गई समिति के संयोजक एवं डीन रिक्रियूमेंट प्रो. मोहन सिंह पंवार की अध्यक्षता में बैठक सम्पन्न हुई। जिसमें कुलगीत के प्रारूप पर विस्तृत चर्चा की गई तथा अधिकांश कार्य को अंतिम रूप प्रदान किया गया।

इस मौके पर प्रो. मोहन सिंह पंवार ने बताया कि समिति के सभी सदस्यों द्वारा विचार-विमर्श के उपरांत कुलगीत के शब्द तथा भाव-धारा को लगभग निर्धारित कर लिया गया है। कहा कि कुलगीत का प्रारूप विश्वविद्यालय की गौरवमयी परंपरा, शैक्षणिक मूल्यों एवं हिमालयी सांस्कृतिक विरासत को ससम्मान अभिव्यक्त करता है। बहुत शीघ्र ही इसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग प्रक्रिया औपचारिक रूप से प्रारंभ कर दी जाएगी। कहा कि कुलगीत को पूरी तरह लिपिबद्ध कर लिया गया है तथा लेखन संबंधी सभी चरण पूर्ण हो चुके हैं। बताया कि गीत का साहित्यिक रूप संयमित, प्रेरणादायी और विश्वविद्यालय की पहचान के अनुरूप तैयार किया गया है।
समिति के संगीत विशेषज्ञ एवं लोक कला संस्कृति निष्पादन केंद्र के उपनिदेशक डॉ. संजय पांडे ने कुलगीत को भाव अनुरूप धुन बद्ध कर दिया है। बैठक में समिति के सदस्य प्रो. गुड्डी बिष्ट, प्रो. मृदुला जुगरान, कवि नीरज नैथानी, इंजीनियर महेश डोभाल ने कुलगीत के अंतिम प्रारूप पर अपने सुझाव दिए और इसे और अधिक उत्कृष्ट बनाने के लिए सामूहिक रूप से कार्य किया।
