
देहरादून। यूपीईएस ने इंटरनेशनल कॉन्फ़्रेंस ऑन मशीन लर्निंग एंड डेटा इंजीनियरिंग (आईसीएमएलडीई 2025) का चौथा संस्करण होटल रामाडा में शुरू किया। यह आयोजन कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल) और डेटा इंजीनियरिंग में शोध और नवाचार के लिए यूपीईएस की वैश्विक नेतृत्व यात्रा का अगला कदम है। यह कॉन्फ़्रेंस स्कूल ऑफ़ कंप्यूटर साइंस (सोसीएस) द्वारा आयोजित है और 6 से 8 नवम्बर तक तीन दिनों तक चलेगी। अभूतपूर्व अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के साथ, आईसीएमएलडीई एआई क्षेत्र की प्रमुख शैक्षणिक कॉन्फ़्रेंस में अपनी जगह पुख्ता कर रहा है।


इस वर्ष कॉन्फ़्रेंस को 100+ देशों से 6,000 से अधिक योगदानकर्ताओं की ओर से 1,690 शोध-पत्र प्राप्त हुए। इनमें से 525 उच्च-गुणवत्ता वाले पेपर प्रस्तुति और प्रकाशन के लिए चुने गए हैं, जो एल्सेवियर के प्रोसीडिया कंप्यूटर साइंस जर्नल में प्रकाशित होंगे। यह चयन कॉन्फ़्रेंस की शोध-गंभीरता और अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता को दर्शाता है।
यह कार्यक्रम भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (मेइटी) और साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (सेर्ब) द्वारा, अनुसंधान नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन (एएनआरएफ) के अंतर्गत, प्रायोजित है। आईसीएमएलडीई 2025 में शैक्षणिक जगत, उद्योग और सरकार के विशेषज्ञ शामिल हैं। कॉन्फ़्रेंस में एआई और क्वांटम कम्प्यूटिंग, रिइनफ़ोर्समेंट लर्निंग और इसके रीज़निंग मॉडल्स में उपयोग, तथा रिमोट सेंसिंग की जटिल समस्याओं के लिए एजेंटिक एआई जैसे अग्रणी विषयों पर अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप्स हो रही हैं।
उद्घाटन सत्र में डीआरडीओ के डायरेक्टर जनरल (टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट) डॉ. बी.के. दास मुख्य अतिथि रहे। साथ ही इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टिट्यूट, कोलकाता की प्रो. संगमित्रा बनर्जी (डायरेक्टर, मशीन इंटेलिजेंस यूनिट) और डीआरडीओ के श्री एल.सी. मंगलग (डायरेक्टर जनरल, टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट) विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
आईसीएमएलडीई 2025 के प्रमुख वैश्विक वक्ताओं में डॉ. उज्ज्वल मौलिक (जादवपुर यूनिवर्सिटी), डॉ. मोहित कुमार गोयल (बोल्ड टेक्नोलॉजीज़, यूएसए), प्रो. ब्योर्न डब्ल्यू. शूलर (आउडीयरिंग जीएमबीएच, जर्मनी), प्रो. विजयन् के. आसरी (यूनिवर्सिटी ऑफ़ डेटन, यूएसए), डॉ. पीटर हान जू चोंग (ऑकलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी, न्यूज़ीलैंड), डॉ. रोबर्टस दमाशेविचुस (काउनस यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी, लिथुआनिया) और डॉ. सरबस्त मुस्लिम (ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन, आयरलैंड) शामिल हैं।
वर्कशॉप्स का नेतृत्व डॉ. प्रभात शंकर (एबीबी एबिलिटी इनोवेशन सेंटर, बेंगलुरु), डॉ. प्रफुल हम्बर्डे (आईआईटी मंडी) और अतुल कुमार (आईबीएम इंडिया रिसर्च लैब, बेंगलुरु) कर रहे हैं। ये सत्र जेनरेटिव एआई, एआई-ड्रिवन ऑटोमेशन और एआई-और-क्वांटम सिस्टम्स के संगम जैसे अगली पीढ़ी के विषयों पर केन्द्रित हैं।
इन्हीं चर्चाओं के बीच, भारत की एआई और एमएल में तेज़ी से बढ़ती भूमिका—विशेषकर रक्षा क्षेत्र में—पर भी विशेष ध्यान रहा। मुख्य अतिथि डॉ. बी.के. दास (डीआरडीओ) ने कहा, “भारत दुनिया की सबसे बड़ी यंग पावर है। हम डेटा सॉवरेन्टी, क्वांटम कम्प्यूटिंग, स्पेस इनोवेशन और कल्चरल रिसर्च में अग्रणी हैं। रक्षा के क्षेत्र में भी हम अपनी तकनीकें डिज़ाइन और डेवलप कर सकते हैं। भारत सुपरपावर बनेगा—हमारी आंखों के सामने और हमारे माध्यम से। यह हमारा सामूहिक दायित्व है कि सोचकर और समाधान देकर राष्ट्र-निर्माण में योगदान दें। हमारे श्रेष्ठ शिक्षकों, स्टार्टअप्स और एमएसएमई इकोसिस्टम के साथ हमें कोई नहीं रोक सकता।”
बड़े परिदृश्य पर बात करते हुए, यूपीईएस के वाइस चांसलर डॉ. राम शर्मा ने कहा, “आईसीएमएलडीई 2025 उभरती तकनीकों में वैश्विक सहयोग के प्रति यूपीईएस की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। दुनिया भर के विशेषज्ञ यहां आते हैं ताकि शोध को समाज-हितैषी समाधानों में बदला जा सके और इंटेलिजेंट सिस्टम्स का भविष्य गढ़ा जा सके। यूपीईएस में हमारा विश्वास है कि शैक्षणिक संस्थानों को छात्रों की सोच और नेचुरल इंटेलिजेंस को ऊँचा उठाना चाहिए—तभी वे एआई, एमएल और डेटा इंजीनियरिंग जैसे टूल्स का सही उपयोग करके वास्तविक समस्याएँ सुलझा पाएंगे, जहाँ इंटेलिजेंस और मैटर साथ काम करते हैं। पिछले पाँच वर्षों में हमारा शोध-उत्पादन 500% बढ़ा है, और सिटेशन स्तर वैश्विक शीर्ष संस्थानों के बराबर है—इस मामले में कई राष्ट्रीय ख्याति-प्राप्त संस्थानों से भी आगे।”
सरकारी प्रायोजन के रूप में ₹13.5 लाख, 100+ देशों की भागीदारी और सभी संस्करणों में 10,000+ योगदानकर्ता—इन सबके साथ आईसीएमएलडीई अपने क्षेत्र की सबसे विविध और प्रभावशाली वैश्विक कॉन्फ़्रेंस में से एक बन चुका है।
