
पहाड़ का सच/एजेंसी।

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को अदालत से एक बार फिर झटका लगा है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए अनुमति लेने से जुड़े अपने आदेश पर लगी रोक हटाने की मांग की थी। अदालत ने साफ कहा कि सरकार अगर राहत चाहती है तो पहले सिंगल जज के पास जाए।
न्यायमूर्ति एस.जी. पंडित और न्यायमूर्ति गीथा के.बी. की डिवीजन बेंच ने कहा कि वे एकल न्यायाधीश द्वारा पारित अंतरिम आदेश (स्टे) में हस्तक्षेप नहीं करेंगी और राज्य सरकार को सलाह दी कि वह इस संबंध में उसी एकल न्यायाधीश के समक्ष जाकर ‘स्टे’ हटाने की अर्जी दाखिल करे।
बेंच ने कहा कि अपीलकर्ता को यह स्वतंत्रता दी जाती है कि वे अंतरिम आदेश को निरस्त करने के लिए आवेदन दाखिल करें। यदि ऐसा आवेदन किया जाता है तो हमें विश्वास है कि माननीय एकल न्यायाधीश उस पर विचार करेंगे… सभी दलीलों को खुला रखा जाता है। राज्य की ओर से पेश एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने बेंच से अनुरोध किया कि कम से कम एकल न्यायाधीश के आदेश का प्रभाव सिर्फ उन याचिकाकर्ताओं तक सीमित रखा जाए जिन्होंने इस सरकारी आदेश को चुनौती दी थी।
हालांकि, डिवीजन बेंच ने यह आग्रह भी ठुकरा दिया और कहा कि इस तरह के मामलों में बेहतर होगा कि आप यह अनुरोध सीधे एकल न्यायाधीश के समक्ष रखें। एजी शेट्टी ने बार-बार निवेदन किया कि मैं माननीय न्यायाधीशों से अनुरोध कर रहा हूं- लेकिन बेंच ने कहा कि ऐसे मामलों में एकल न्यायाधीश को दरकिनार करना उचित नहीं है।
मामले के अनुसार राज्य सरकार ने 18 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया था, जिसमें सार्वजनिक स्थलों पर 10 से अधिक लोगों की बिना अनुमति सभा को प्रतिबंधित किया गया था। बताया जा रहा है कि यह आदेश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा प्रस्तावित मार्चों के मद्देनजर जारी किया गया था, जो संगठन के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले थे।
