
रुद्रप्रयाग। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के साथ ही किसानों को जागरूक करने के उद्देश्य से विकास भवन सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान कृषकों को रासायनिक मुक्त कृषि की ओर प्रेरित करने तथा टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। इसके साथ ही कृषि विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना सहित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन, एकीकृत विभिन्न कृषि प्रणाली, साईल हैल्थ कंपोनेंट परंपरागत कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय कृषि प्रसार एवं प्रौद्योगिकी मिशन, प्र्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री किसान मानधन योजनाव कृषि अवसंरचना निधि आदि योजनाओं की विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराई गई।

सोमवार को आयोजित उक्त कार्यशाला के अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र जाखधार के प्रभारी वैज्ञानिक डाॅ. संजय सचान ने कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जनपद रुद्रप्रयाग जैविक जनपद घोषित है तथा यहां पर प्राकृतिक खेती की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग के कारण मिट्टी की उर्वरता में कमी और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव जैसी गंभीर चुनौतियां सामने आई हैं।
उन्होंने कहा कि इन समस्याओं को दूर करने के लिए प्राकृतिक खेती ही स्थायी समाधान है। यह किसानों के लिए लागत प्रभावी होने के साथ-साथ मिट्टी व पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है। इसके लिए किसानों हेतु नई पहल के तहत प्रशिक्षण और कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं जिसमें किसानों को प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों, जैसे जीवामृत, बीजामृत और मल्चिंग के बारे में शिक्षित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने आयोजित कार्यशाला को कृषकों के लिए महत्वपूर्ण बताया।
मुख्य कृषि अधिकारी लोकेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करना कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी इसी तरह की कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।
इस अवसर पर डाॅ. निवेदिता, डाॅ. अंशुल आर्या, डाॅ. अंकित डोंगरियाल, दिग्विजय, भुवनेश सिंह नेगी सहित कृषक प्रियंका कुंवर, प्रीता देवी, अल्पना कुंवर, पूनम बिष्ट, गोपाल सिंह रावत, कमल सिंह, जीतपाल, सुरेंद्र आदि कृषक मौजूद रहे।
