
पहाड़ का सच, नैनीताल। हाइकोर्ट ने चिटफंड कंपनी एलयूसीसी ,लोनी अर्बन कोऑपरेटिव घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए हैं।

LUCC घोटाला: सीएम धामी की पहल के बाद सांसदों ने भी की सीबीआई जांच की मांग
इस मामले में आरोप है कि कंपनी ने प्रदेश के निवेशकों से करीब 800 करोड़ रुपये लेकर फरार हो गई। .बुधवार की सुनवाई में कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि जिन निवेशकों का पैसा डूबा है, वे अपनी शिकायत सीधे सीबीआई को दें और अपने निवेश के प्रमाण पत्र संलग्न करें। धामी सरकार ने केंद्र से सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। केंद्र के फैसले से पहले हाईकोर्ट ने आदेश कर दिए।
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एलयूसीसी ने साल 2021 में देहरादून, ऋषिकेश और पौड़ी जिलों में अपने ऑफिस खोले और स्थानीय एजेंटों के माध्यम से निवेशकों को आकर्षित किया। कंपनी ने राज्य में सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत अपना पंजीकरण तक नहीं कराया। 2023-24 में कंपनी ने अपने ऑफिस बंद कर दिए और मुख्य आरोपी दुबई भाग गया। निवेशकों की शिकायतों पर उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों में 56 मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन राज्य पुलिस की कार्रवाई में कई निवेशकों को अपनी शिकायत का निवारण नहीं मिल पाया।
एलयूसीसी कॉपरेटिव सोसाइटी के घोटाले की होगी सीबीआई जांच
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ती आशीष नैथानी की खंडपीठ ने सीबीआई को जांच करने की अनुमति मिलने की पुष्टि के बाद मामले में कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिए। अदालत ने कहा कि निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
800 करोड़ का हुआ है गबन
उत्तराखंड में चिटफंड कंपनी रुष्टष्ट का 800 करोड़ रुपये के गबन का मामला गर्माता जा रहा है। निवेशकों ने अपनी मेहनत की बचत कंपनी में लगाई थी, लेकिन कंपनी ने पंजीकरण न कराने के बावजूद लोगों से रकम जमा की और मुख्य आरोपी फरार हो गया। हाइकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया। अब पीडि़त सीधे सीबीआई को शिकायत दर्ज कर अपने पैसे की वापसी और न्याय की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
कोर्ट ने निर्देश दिए कि निवेशक अपनी शिकायत सीबीआई को दें और निवेश प्रमाण पत्र संलग्न करें। जांच कर रही राज्य पुलिस ने कई मामलों में मुकदमे दर्ज किए, लेकिन निवेशकों को न्याय नहीं मिला। अदालत ने साफ किया कि बाहरी कंपनियों के बिना पंजीकरण संचालन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की भी जांच की जाए।