

देहरादून। उत्तराखंड में शिक्षकों ने विरोध के आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए अब विभिन्न परीक्षाओं का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा शिक्षक जल्द ही सचिवालय का भी बड़े स्तर पर घेराव करने की रणनीति बना चुके हैं। इस तरह देखा जाए तो शिक्षकों ने अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का फैसला कर लिया है।

बताते चलें कि उत्तराखंड में राजकीय शिक्षक संघ पिछले कई दिनों से विभाग और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। अब तक जो विरोध बयानों की जरिए ही दिखाई दे रहा था, वो अब सड़कों पर भी दिखाने की रणनीति बनाई गई है। दरअसल, शिक्षक अपने विरोध को विभाग स्तर पर दर्ज करा रहे थे। शायद यही कारण है कि उनकी बातों पर अब तक निर्णय नहीं लिया जा रहा था, लेकिन अब शिक्षक संघ ने दबाव को बढ़ाने के लिए प्रदेश स्तर पर बड़े आंदोलन की रणनीति बनाई है।
परीक्षा से संबंधित बड़ी चुनौती हाल ही में होने वाली मुख्यमंत्री मेधावी छात्र परीक्षा को लेकर दिखाई दे रही है, जो 16 सितंबर को प्रस्तावित है और बिना शिक्षकों के इसे आहूत करना मुमकिन नहीं होगा।
राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने बताया कि ऑनलाइन बैठक में स्पष्ट निर्णय लिया गया कि संघ के सदस्य अब शिक्षण कार्य के अतिरिक्त किसी भी सरकारी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। विभाग या सरकार की ओर से आयोजित किसी भी परीक्षा में भी संघ का कोई सदस्य प्रतिभाग नहीं करेगा। संगठन ने साफ किया कि जो भी सदस्य इस निर्णय का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
वहीं उन्होंने कहा कि 17 सितंबर को सचिवालय घेराव करने का निर्णय लिया गया है। संघ ने दावा किया है कि इस घेराव कार्यक्रम में प्रदेशभर से लगभग 20 हजार शिक्षक शामिल होंगे। ढोल-दमाऊं की गूंज के बीच होने वाले इस आंदोलन में विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के भी होने की बात कही गई है।