

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में जानकारी दी

आयोग ने एक जनवरी 2026 को माना आधार
सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को जरूरी कदम उठाने के निर्देश
पहाड़ का सच/एजेंसी
नई दिल्ली। एसआईआर पर छिड़े विवाद के बाद अब बिहार चुनाव के बाद भारत चुनाव आयोग अगले साल देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कराएगा। इसके लिए एक जनवरी, 2026 को आधार (कट-ऑफ डेट) माना गया है और इसी के आधार पर आयोग की तैयारियां चल रही हैं। आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को जरूरी कदम उठाने के निर्देश भी दिए हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की सभी राज्यों में नियमित अंतराल पर एसआईआर कराने की मांग वाली याचिका पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाबी हलफनामे में यह जानकारी दी है। आयोग ने शीर्ष अदालत को बताया कि बिहार को छोड़कर अन्य राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के सभी मुख्य चुनाव अधिकारियों (सीईओ) को उसने पांच जुलाई को पत्र भेजा था, जिसमें अगले साल एक जनवरी को अर्हता तिथि मानते हुए एसआईआर के लिए तत्काल पूर्व-संशोधन गतिविधियां शुरू करने का निर्देश दिया है। .आयोग ने बताया कि इसी संबंध में 10 सितंबर को नई दिल्ली में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों का सम्मेलन भी बुलाया गया था।
कोर्ट ने आधार कार्ड को भी माना पहचान का दस्तावेज :
सुप्रीम कोर्ट ने आठ सितंबर को निर्देश दिया था कि बिहार की एसआईआर प्रक्रिया में मतदाताओं के पहचान प्रमाण के रूप में आधार कार्ड को शामिल किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नौ सितंबर तक इस आदेश को लागू करने का निर्देश दिया था।
एसआईआर को लेकर आयोग को पूर्ण विवेकाधिकार
आयोग ने कहा, उसे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मतदाता सूची की तैयारी और संशोधन के लिए सांविधानिक एवं वैधानिक शक्तियां हासिल हैं। एसआईआर के लिए कोई समयसीमा तय नहीं है। यह सामान्य दायित्व है, जिसे प्रत्येक आम, विधानसभा चुनाव या उपचुनाव से पहले किया जाना है।
हलफनामे के अनुसार, मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 का नियम 25, मतदाता सूचियों के संशोधन से संबंधित है।
आयोग ने कहा, एसआईआर कराना पूरी तरह से उसके विवेक पर है। उसे पुनरीक्षण नीति पर पूर्ण विवेकाधिकार प्राप्त है, इसमें किसी अन्य प्राधिकरण को शामिल नहीं किया गया है।
याचिका खारिज करने की मांग करते हुए आयोग ने कहा, देशभर में नियमित अंतराल पर एसआईआर कराने का कोई भी न्यायिक निर्देश उसके विशेष अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण होगा।
याचिकाकर्ता वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट से आयोग को पूरे देश में, विशेष रूप से
चुनावों से पहले नियमित अंतराल पर एसआईआर कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल भारतीय नागरिक ही देश की राजनीति और नीति के संबंध में निर्णय लें।