

पहाड़ का सच/एजेंसी।

नई दिल्ली। आवारा कुत्तों को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के प्रबंधन को लेकर अहम फैसला सुनाया है। जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने स्पष्ट किया कि अब सिर्फ बीमार और आक्रामक कुत्तों को ही शेल्टर होम में रखा जाएगा, जबकि बाकी सभी स्ट्रीट कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद उनकी मूल जगह पर छोड़ दिया जाएगा।
अदालत ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए नोटिस जारी किया और शेल्टर होम में रह रहे सामान्य कुत्तों को तुरंत रिहा करने का निर्देश दिया।फीडिंग को व्यवस्थित करने के लिए हर नगरपालिका ब्लॉक में विशेष “फीडिंग जोन” बनाए जाएंगे। केवल इन निर्धारित जगहों पर ही कुत्तों को भोजन दिया जा सकेगा। सार्वजनिक स्थानों पर खाने की व्यवस्था करने पर रोक रहेगी और नियम तोड़ने वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए हेल्पलाइन भी शुरू की जाएगी।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि किसी कुत्ते को उसके उठाए जाने वाले स्थान से अलग कहीं नहीं भेजा जाएगा। एनजीओ को फीडिंग जोन स्थापित करने के लिए 25,000 रुपये तक की सहायता राशि दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने पशु प्रेमियों को आवारा कुत्तों को गोद लेने का विकल्प भी दिया है, लेकिन साथ ही जिम्मेदारी तय की है कि गोद लिए गए कुत्तों को फिर से सड़कों पर नहीं छोड़ा जाएगा। इस आदेश पर याचिकाकर्ता और वकील ननिता शर्मा ने कहा कि यह संतुलित और व्यावहारिक निर्णय है। अदालत ने सभी राज्यों को इस मामले में शामिल कर लिया है और आवारा कुत्तों से जुड़े लंबित सभी मामले अब एक ही केस में समाहित किए जाएंगे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नसबंदी अभियान जारी रहेगा और आक्रामक कुत्तों को ही शेल्टर होम में रखा जाएगा। इसके लिए एमसीडी को फीडिंग जोन स्थापित करने और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।