

गैरसैंण के साथ नैनीताल हाईकोर्ट पर टिकीं नजरें

एसएसपी और ‘पांचों अपह्रत’ रहे कोर्ट की चर्चा में
नैनीताल। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दौरान 14 अगस्त को नैनीताल में हुए बवाल को लेकर हाईकोर्ट के सख्त व गम्भीर रुख को देख कांग्रेस हमलावर हो गई है। गैरसैण विधानसभा सत्र में इसका असर देखने को मिलेगा।
मंगलवार 19 अगस्त से शुरू हो रहे गैरसैंण विधानसभा सत्र में नैनीताल का अपहरण कांड व बेतालघाट की फायरिंग का प्रकरण उठेगा । कांग्रेस ने भाजपा को घेरने की पूरी रणनीति बना ली है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी सोमवार की देर रात तक एसएसपी नैनीताल का तबादला नहीं होने पर कांग्रेस ने तीखा हमला बोला है।
मंगलवार को गैरसैंण विधानसभा सत्र के हंगामे की शुरुआत के साथ ही नैनीताल उच्च न्यायालय में अपहरण कांड और बेतालघाट में गोली की आवाज पर एक बार फिर न्यायाधीश अपना फैसला सुनाएंगे।
हाईकोर्ट में सोमवार को क्या हुआ
हालांकि सरेआम अपहरण से शुरू हुआ, सारा मामला “अपनी मर्जी से घूमने” जाने तक पहुंचा कर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की गयी पर अभी तो कम से कम ऐसा हुआ प्रतीत नहीं होता है.. आज की सुनवाई में कानून व्यवस्था की दुर्दशा को लेकर उच्च न्यायालय ने नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रहलाद नारायण मीणा को लताड़ लगाई। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र ने पूरी सुनवाई के दौरान कम से कम तीन बार प्रहलाद नारायण मीणा का एसएसपी पद से तबादला करने को कहा।
सुनवाई की शुरुआत में ही मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र ने कहा कि उचित यही होगा कि एसएसपी का तबादला कर दिया जाए, वो बुरे तरीके से विफल हो चुके हैं। दूसरे मौके पर सरकारी वकील ने कहा कि ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले पुलिस कर्मियों को हटा दिया गया है। इसके जवाब में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि लापरवाही तो इनसे (एसएसपी से) ही शुरू हुई।
मुख्य न्यायाधीश ने एसएसपी से पूछा कि इस गैंग के आने को लेकर आपके पास इंटेलिजेंस था या नहीं। एसएसपी ने कहा कि कोई गैंग नहीं था। इस पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र ने नाराजगी भरे स्वर में कहा, कोई गैंग नहीं था से आपका क्या मतलब है? क्या हम अंधे हैं ? आपकी राय में उनको क्या कहते हैं- व्यक्तियों का जमावड़ा ?
एसएसपी के कुछ जवाब देने पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह साफ दिख रहा है कि हर कोई रेनकोट के अंदर तलवार लिए हुए है। एसएसपी ने कहा कि हमने इन लोगों की शिनाख्त कर ली है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र ने पूछा तो फिर आपने क्या किया, उनको पुष्पगुच्छ दिये ?
अदालत की कार्यवाही के आगे बढ़ने पर मुख्य न्यायाधीश ने एडवोकेट जनरल से पूछा कि आप क्या चाहते हैं। यह संस्कृति बढ़े या फिर आप समाज में शांति चाहते हैं ? एडवोकेट जनरल ने कहा कि वे शांति चाहते हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पहली चीज यह है कि आप अपनी सरकार से कहिए कि एसएसपी का तबादला करे।
एडवोकेट जनरल ने जब निवेदन करते हुए कहा कि यह काफी कठोर हो जाएगा तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जिस तरह से चीजें हुई हैं, उससे कोर्ट खुश नहीं हैं।
पांच जिला पंचायत सदस्यों के सरेआम अपहरण से यह सारा मामला शुरू हुआ था। बाद में उनका वीडियो सामने आया कि वे “अपनी मर्जी से घूमने” गए हैं। सोमवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान बताया गया कि वे पांचों न्यायालय में उपस्थित हो गए हैं। इस पर भी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र की टिप्पणी गौरतलब है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा- हम उनकी कहानी नहीं सुनना चाहते हैं., उनकी कहानियों को मोल एक कौड़ी भी नहीं है (their stories are not worth a penny) वे तो अपना खंडन खुद ही कर चुके हैं।
मुख्य न्यायाधीश की इस टिप्पणी से साफ है कि “अपनी मर्जी से घूमने” जाने की कहानी की हकीकत को सभी समझ रहे हैं। मामले में सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी।
.कांग्रेस हुई हमलावर
सोमवार को कोर्ट की कार्रवाई के बाद नेता विपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि जिस तरह की कठोर टिप्पणियां उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र ने नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रहलाद नारायण मीणा पर की, वह शर्म से पानी-पानी करने के लिए पर्याप्त हैं।
उन्होने कहा कि मीणा को तो वनभूलपुरा की हिंसा के बाद ही हटा दिया जाना चाहिए था। नैनीताल में एक बच्ची के साथ दुष्कर्म के आरोप और उसके बाद हुए बवाल में भी मीणा को हटाया जाना चाहिए था।उस बवाल में तो दंगाइयों ने थाने के अंदर पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर के साथ तक मारपीट कर दी थी। तब भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।