
दो साल की खुली जांच के बाद विजिलेंस ने मांगी थी अनुमति, मुख्यमंत्री ने की संस्तुति

अनुबंधित बस संचालकों से बेटे, बेटी व रिश्तेदारों के खातों में जमा कराए रिश्वत के 40 लाख
पहाड़ का सच देहरादून।
दो साल से खुली जांच के बाद विजिलेंस की मांग पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड परिवहन निगम के डीजीएम (वित्त) भूपेंद्र कुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में विजिलेंस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। इससे पहले विजिलेंस ने दो साल की खुली जांच के बाद सतर्कता समिति से मुकदमे की अनुमति मांगी थी।
निगम के अधिकारी भूपेंद्र कुमार पर आरोप है कि उन्होंने पिछले 5 साल के भीतर ज्ञात स्रोतों से हुई आमदनी से 60 लाख रुपये अधिक खर्च किए हैं। इस बात का भी पता चला है कि अधिकारी ने आय से अधिक सम्पत्ति विभिन्न अवैध स्रोतों से प्राप्त की है। साल 2023 में राज्य निगम कर्मचारी-अधिकारी महासंघ ने सीएम धामी को पत्र भेजकर डीजीएम भूपेंद्र कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। आरोप हैं कि भूपेंद्र कुमार ने निगम में अनुबंधित बस स्वामियों से पारिवारिक सदस्यों के बैंक खातों में बड़ी रकम जमा कराई है और लाखों रुपये नकद भी लिए।
महासंघ ने भूपेंद्र कुमार के पारिवारिक सदस्यों के नाम और बैंक खातों का विवरण भी उपलब्ध कराया था। इस पर मुख्यमंत्री ने विजिलेंस को भूपेंद्र कुमार के खिलाफ खुली जांच करने के निर्देश दिए थे। .जून 2023 में विजिलेंस ने भूपेंद्र कुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की जांच शुरू की। विजिलेंस ने चैक अवधि 1 जनवरी 2018 से 31 दिसंबर 2023 के बीच रखी। अब दो साल की जांच के बाद विजिलेंस ने पिछले दिनों मुकदमे की संस्तुति करते हुए सतर्कता समिति को रिपोर्ट भेजी थी।
जांच रिपोर्ट कहती है कि चैक अवधि में भूपेंद्र कुमार को विभिन्न ज्ञात स्रोत से 1, 82,37,376 रुपये की आय हुई है। इसके सापेक्ष उन्होंने इस अवधि में कुल 2,42,02,050 रुपये खर्च किए हैं। यह कुल आय से 59,64,674 रुपये अधिक है। इस रिपोर्ट पर 30 जून 2025 को राज्य सतर्कता समिति की बैठक हुई। बैठक में विभिन्न आरोपों और उनके सापेक्ष तथ्यों पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में चर्चा हुई।
क्या बोले अनुबंधित बस संचालक
विजिलेंस जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि निगम के डीजीएम भूपेंद्र कुमार के बेटे और बेटी के खातों में अनुबंधित बस संचालकों ने बड़े पैमाने पर रुपये जमा कराए हैं। विजिलेंस ने जब उनके इस बाबत बयान लिए तो उन्होंने बताया कि पैसे न देते तो डीजीएम उनके कारोबार को बंद करा देते। अपने कारोबार को संचालित करने के लिए यह करना उनकी मजबूरी बन गया है। यह सब बातें विजिलेंस ने सतर्कता समिति को सौंपी गई रिपोर्ट में भी लिखी हैं। इसके अलावा भूपेंद्र कुमार पर आरोप है कि उन्होंने कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कार्मिकों के विभिन्न भुगतान (ग्रेच्यूटी, नकदीकरण, चिकित्सा बिल, वेतन एरियर, एसीपी एरियर आदि) के एवज में रुपये विभिन्न खातों में जमा कराए हैं। . महासंघ ने जो साक्ष्य उपलब्ध कराए थे विजिलेंस जांच में इसकी तस्दीक भी हुई है। निगम का यह अधिकारी पहले कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कार्मिकों से अपने हिस्से का पैसा लेता था उसके बाद ही उनके भुगतान कराए जाते थे।
इसके लिए उन्होंने कुछ लोगों के अपने साथ में मिलाया हुआ था। ये ही कार्मिकों से नकद भुगतान क उनके खातों में जमा कराते थे। जांच में यह भी सामने आया है कि भूपेंद्र कुमार ने पांच साल की अवधि में अनुबंधित संचालकों से उनका कारोबार चलाए जाने के एवज में 40 लाख से भी अधिक अपने नातेदारों के खातों में जमा कराए। जबकि बाकी 20 लाख आसपास कार्मिकों से नकद उन्हें खातों में जमा कराया । इसके अलावा लाखों रुपये नकद लिए।
