
पंचायत चुनाव नाम वापसी के आखिरी दिन हाईकोर्ट के आदेश से खलबली

पहाड़ का सच, नैनीताल।
हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को जोर का झटका दिया है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर आदेश दिया है कि जिन उम्मीदवारों के नाम शहर और गांव दोनों जगह की वोटर लिस्ट में दर्ज हैं, वे पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। ऐसे मामलों में तुरंत रोक लगाने के निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा कि यह आदेश चुनाव प्रक्रिया को बाधित नहीं करता, बल्कि चुनावी नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए है।
आयोग ने आदेश पलटा, निकाय के मतदाताओं को पंचायत चुनाव लड़ने का अधिकार मिला
6 जुलाई को राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव के आदेश में नगर निकाय के मतदाताओं का पंचायत चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया था। हालांकि, बाद में सचिव ने एक और आदेश जारी कर कहा कि पंचायती राज एक्ट के हिसाब से होंगे चुनाव।
स्थानीय निकाय के मतदाताओं की पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक
इधऱ, इन आदेशों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 6 जुलाई के आदेश पर रोक लगा दी। आज नाम वापसी का अंतिम दिन है। ऐसे में हाईकोर्ट के स्टे के बाद राज्य निर्वाचन आयोग प्रतिबंधित दावेदारों को अब चुनाव लड़ने से कैसे रोक पायेगा?
नैनीताल के बुडलकोट क्षेत्र में 51 बाहरी लोगों के नाम वोटर लिस्ट में शामिल करने के मामले में भी सरकार से जवाब मांगा गया है। अदालत के इस आदेश से कई प्रत्याशियों की दावेदारी पर असर पड़ सकता है।
देखें, 6 जुलाई का राज्य निर्वाचन आयोग का आदेश :-
प्रेषक,
राहुल कुमार गोयल, सचिव ।
सेवा में,
जिलाधिकारी /
जिला निर्वाचन अधिकारी (पं०)
चमोली।
संख्या- 1571 / रा0नि0आ0-2/4285TC-2/2024
दिनांक 06 जुलाई, 2025 विषयः – त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन-2025 में नाम निर्देशन पत्रों की जॉच के संबंध में।
महोदय,
कृपया उपर्युक्त विषयक अपर जिलाधिकारी/निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (पं०), चमोली के पत्र संख्या-269 दिनांक 02.07.2025 का संदर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें, जिसमें पृच्छा की गयी है कि ‘राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखण्ड द्वारा निर्वाचन अधिकारी (रिटर्निंग ऑफिसर) हेतु निर्गत निर्देश पुस्तिका 2025 के पृष्ठ संख्या 362-363 में मा० आयोग के पत्र सं0-2286/रा०नि०आ०-2/2677/2019 देहरादून, दिनांक 25 सितम्बर 2019 में निम्न निराकरण दिया गया है-
“किसी प्रत्याशी का नाम निर्देशन पत्र केवल इस आधार पर अस्वीकृत नहीं किया जायेगा कि उसका नाम एक से अधिक ग्राम पंचायतों / प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों / नगर निकाय की निर्वाचन नामावली में सम्मिलित है।”
साथ ही उक्त की निर्देश पुस्तिका के पृष्ट संख्या (360-361) राज्य निर्वाचन आयोग के पत्र सं० 3348/रा०नि०आ०-2/2677/2019 देहरादून, दिनांक 10 दिसम्बर, 2019 में संशोधित निराकरण निग्न प्रकार दिया गया है-
“उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम 2016 (यथा संशोधित, 2019) की धारा 9 की उपधारा (6) का पालन किया जाय”
उक्त संशोधित अधिनियम-2019, के उक्त धारा में भी ऐसे व्यक्तियों के प्रत्याशी होने पर उनकी अभ्यर्थता की अर्हता / अनर्हता के सम्बन्ध में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है। इस संबंध में उनके द्वारा दिशा-निर्देश स्पष्ट करने का अनुरोध किया गया है।
उक्त संबंध में आयोग की ओर मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि नाम-निर्देशन पत्रों की जांच के समय ऐसे मामलों में उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 की धारा 10 (ख) (1) (प्रधान पद के मामले में) को संज्ञान में लेते हुए धारा 9 (13), धारा 54 (3) एवं धारा 91 (3) के अनुसार कार्यवाही की जायेगी, जो कि निम्नवत् हैं-
13) मत देने इत्यादि का अधिकार-इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन अन्यथा उपबंधित के सिवाय, प्रत्येक व्यक्ति, जिसका नाम किसी ग्राम पंचायत के किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में तत्समय सम्मिलित हो, उस ग्राम पंचायत में किसी निर्वाचन में मत देने का हकदार होगा और उसमें किसी पद पर निर्वाचन, नाम-निर्देशन या नियुक्ति किये जाने के लिए पात्र होगा;
परन्तु यह कि कोई व्यक्ति जिसने इक्कीस वर्ष की आयु पूरी न कर ली हो किसी ग्राम पंचायत के सदस्य या पदाधिकारी के रूप में निर्वाचित होने के लिए अर्ह नहीं होगा।”
“10 (ख) (1) ग्राम पंचायत का प्रधान, किसी पंचायत क्षेत्र के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिये निर्वाचक नामावली में रजिस्ट्रीकृत व्यक्तियों द्वारा, अपने में से, निर्वाचित किया जायेगा।
“54(3) अधिनियम की विभिन्न धाराओं द्वारा या उसके अधीन अन्यथा उपबंधित के सिवाय प्रत्येक व्यक्ति, जिसका नाम किसी क्षेत्र पंचायत के किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में तत्समय सम्मिलित हो उस क्षेत्र पंचायत में किसी निर्वाचन में मत देने का हकदार होगा और उसमें किसी पद पर निर्वाचन, नाम-निर्देशन या नियुक्त किये जाने के लिए पात्र होगा;
परन्तु यह कि कोई व्यक्ति जिसने इक्कीस वर्ष की आयु पूर्ण न कर ली हो किसी क्षेत्र पंचायत के सदस्य या पदाधिकारी के रूप में निर्वाचित होने के लिए अर्ह नहीं होगा।”
“91(3) अधिनियम की विभिन्न धाराओं द्वारा या उसके अधीन अन्यथा उपबंधित के सिवाय प्रत्येक व्यक्ति, जिसका नाम किसी (जिला पंचायत के किसी) प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में तत्समय सम्मिलित हो, (उस जिला पंचायत) में किसी निर्वाचन में मत देने का हकदार होगा और उसमें किसी पद पर निर्वाचन, नाम-निर्देशन या नियुक्त किये जाने के लिए पात्र होगा;
परन्तु यह कि कोई व्यक्ति जिसने इक्कीस वर्ष की आयु पूर्ण न कर ली हो किसी जिला पंचायत के सदस्य या पदाधिकारी के रूप में निर्वाचित होने के लिए अर्ह नहीं होगा।”
कृपया उपरोक्त तथ्यों से समस्त निर्वाचन अधिकारियों / सहायक निर्वाचन अधिकारियों को अनिवार्यतः तत्काल अवगत कराने का कष्ट करें।
भवदीय, (राहुल कुमार गोयल) सचिव
