
पहाड़ का सच देहरादून।
दून की 16 वर्षीय वंदना,एक नाम जो कभी एथलेटिक ट्रैक पर चमकता था। महज 16 साल की उम्र में उसने राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करने का सपना देखा था। उसकी सुबह की पहली किरण के साथ दौड़ शुरू होती थी और हर शाम उसके गले में एक और पदक लटकता था। लेकिन आज वन्दना की दौड़ बंद हो गई है।


बीमारी के कारण आज वंदना न मैदान में है, न ट्रॉफी के पास। वह अस्पताल में बिस्तर पर है ज़िंदगी की सबसे मुश्किल रेस में है। इस रेस में उसे बीमारी को हराना है। देहरादून के काबारी गांव ,ग्रांट शिमला बाय पास रोड निवासी वंदना बीमारी के बावजूद खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की कोशिश में रहती है।
असल में, वंदना को हाल ही में ब्रेन सिस्ट (मस्तिष्क में एक खतरनाक गांठ) की बीमारी हुई है। यह बीमारी न केवल उसके एथलेटिक करियर को खतरे में डाल रही है, बल्कि उसके जीवन को भी। इलाज के लिए ज़रूरी है क्रिटिकल ब्रेन सर्जरी MRI स्कैन और जटिल टेस्ट लंबा पोस्ट-सर्जरी उपचार और महंगी दवा।
इसका कुल खर्च 7 से 10 लाख तक हो सकता है। एक ऐसी राशि जो वंदना के आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे परिवार के लिए असंभव है।
वंदना की मां आंखों में आंसू लिए कहती हैं कि हमने बेटी को दौड़ते देखा है हारते कभी नहीं देखा। अब ज़िंदगी की इस दौड़ में उसे अकेला नहीं छोड़ सकते।
आप वंदना के लिए क्या कर सकते हैं?
नीचे दिए गए QR कोड को स्कैन कर के जो भी बन पड़े, दान कीजिए
उसकी आवाज़ बनिए… उसकी उम्मीद बनिए।
संपर्क करें- 9997281881

एक छोटी सी मदद, किसी की पूरी ज़िंदगी बचा सकती है। वंदना को सिर्फ इलाज नहीं चाहिए… उसे चाहिए आपकी इंसानियत, आपका साथ। चलिए मिलकर उसे फिर से दौड़ने का मौका दें, इस बार ज़िंदगी के लिए।
