
– राजनीति से पद मिला, पद से “प्रेम” और प्रेम से गंवाई सामाजिक प्रतिष्ठा, संत समाज और पार्टी ने किया आउट

पहाड़ का सच देहरादून/हरिद्वार।
प्रेम प्रसंगों और विवादास्पद निजी रिश्तों को लेकर चर्चाओं में रहे हरिद्वार के पूर्व विधायक सुरेश राठौर को अब धार्मिक उपाधियों के दुरुपयोग और संत समाज की नाराज़गी का शिकार होना पड़ा है। संत समाज के विरोध और सामाजिक आक्रोश के कारण शनिवार को भाजपा ने उन्हें पार्टी से छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया।
पूर्व विधायक राठौर पर दो विवाह करने के आरोप पहले से ही चर्चा में रहे हैं। उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत यह स्पष्ट उल्लंघन माना गया है, जिस पर संत समाज ने राज्य सरकार से कानूनी कार्रवाई की मांग की है। वैसे भी
राजनीतिक गलियारों में यह पहले से सुना जाता रहा है कि सुरेश राठौर का कुछ महिलाओं के साथ घनिष्ठ संबंध रहे हैं, जो समय-समय पर उनके सार्वजनिक जीवन में विवाद का कारण बने। कई बार उनके पुराने प्रेम-प्रसंग मीडिया की सुर्खियों में भी रहे। संत समाज ने उनके अमर्यादित व्यक्तिगत आचरण और धार्मिक उपाधियों के अनुचित प्रयोग को लेकर तीखी आपत्ति भी जताई है।
रविदासाचार्य’ और ‘महामंडलेश्वर’ विवाद बना निर्णायक मोड़
हरिद्वार प्रेस क्लब में आयोजित एक विशेष प्रेस वार्ता में गंगोत्री धाम की साध्वी रेणुका, संत मेहरचंद दास सहित कई संतों ने राठौर के रविदासाचार्य व महामंडलेश्वर जैसे पदों के उपयोग पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह “धार्मिक मर्यादा का अपमान” है। संतों ने चेताया कि यदि उन्होंने ये उपाधियाँ प्रयोग करना बंद नहीं किया, तो उन्हें सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ेगा।
भाजपा नेतृत्व ने राठौर को पहले 23 जून को नोटिस जारी किया था, लेकिन स्पष्टीकरण अस्वीकार्य मानते हुए शनिवार को उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। पार्टी ने अपने पत्र में लिखा कि राठौर का व्यवहार “पार्टी की मर्यादा और सामाजिक आचरण के प्रतिकूल” है।
मीडिया से भी सावधानी बरतने की अपील
संत समाज ने सभी मीडिया संस्थानों से अपील की है कि वे राठौर के नाम के साथ किसी भी धार्मिक उपाधि का प्रयोग न करें। समाज ने कहा कि यह पवित्र उपाधियाँ उन्हें प्रदान नहीं की गई हैं, और इनका उपयोग संत रविदास जी की परंपरा का घोर उल्लंघन है।
