
– एक जुलाई तक उत्तराखंड भाजपा को मिल सकता है नया अध्यक्ष, केंद्रीय नेतृत्व ने हर्ष मल्होत्रा को बनाया चुनाव पर्यवेक्षक

– लॉबिंग व गुटबाजी तेज,कई नाम चर्चा में,
प्रेम की छाया का असर पड़ेगा महेंद्र भट्ट की दावेदारी पर ?
हरीश जोशी, पहाड़ का सच।
राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मामले की गर्मी के बीच सतारूढ़ दल के नए अध्यक्ष के चुनाव की सरगर्मी से सियासी पारा और अधिक चढ़ गया है। लंबे इंतजार के बाद उत्तराखण्ड भाजपा को जल्द ही नया अध्यक्ष मिलने जा रहा है।
उत्तराखंड भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर अब अंदरूनी खींचतान तेज हो गई है। केंद्रीय नेतृत्व ने इस प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए केंद्रीय मंत्री और ईस्ट दिल्ली से सांसद हर्ष मल्होत्रा को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया है।यह नियुक्ति ऐसे वक्त में की गई है जब प्रदेश भाजपा संगठन में बदलाव को लेकर गहरी राजनीतिक हलचल है और विभिन्न गुटों की लॉबिंग खुलकर सामने आ रही है। वो इसलिए भी कि राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत सिर पर हैं और डेढ़ साल बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं । हर कोई अपनी पसंद का अध्यक्ष देखना चाहता है।
भाजपा के भरोसेमंद सूत्रों की मानें तो प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में कई नाम सामने हैं, जिनमें सत्ता प्रतिष्ठान में काबिज लोगों के करीबी, पूर्व मुख्यमंत्री, संघ के पसंदीदा चेहरों, और संगठन में लंबे समय से सक्रिय नेताओं के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए ऐसा चेहरा सामने लाना चाहता है जो संगठन में मजबूती के साथ-साथ कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने में सक्षम हो और दिल्ली वालों की पसंद हो। वैसे भी भाजपा जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन के हिसाब से चेहरों का चुनाव करती रही है।अनुभव का मापदंड मोदी के नाम के साथ खुदबखुद जुड़ जाता है।
राज्यसभा सदस्य व प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को एक और मौका देने की भी बात उठ रही है। लेकिन बीते दिनों पूर्व मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल से जुड़े मसलों पर भट्ट का भी नाम उछलने से उनके नंबर कम बताए जा रहे हैं। महेंद्र भट्ट गढ़वाल से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में नया अध्यक्ष गढ़वाल-कुमाऊं से हो या मैदानी इलाके से, यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
भाजपा के प्रदेश चुनाव अधिकारी खजान दास ने बताया कि अब तक बूथ, मंडल और जिला स्तर पर चुनावी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, और केंद्रीय चुनाव अधिकारी हर्ष मल्होत्रा प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के आठ सदस्यों के चयन की प्रक्रिया को संपन्न कराएंगे। लेकिन जानकार मानते हैं कि यह नियुक्ति केवल एक औपचारिकता भर नहीं है। बल्कि केंद्रीय नेतृत्व की यह कोशिश है कि प्रदेश में चल रही आपसी रस्साकशी को संतुलित करते हुए किसी सर्वमान्य चेहरे पर सहमति बनाई जाए।
गौरतलब है कि मौजूदा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कार्यकाल लगभग पूरा हो चुका है और उनके प्रदर्शन को लेकर भी संगठन के भीतर मतभेद उभरते रहे हैं। वहीं, एक खेमे की कोशिश है कि किसी युवा और तेजतर्रार चेहरे को कमान सौंपी जाए, जबकि दूसरा खेमा पुराने और संगठन में अनुभवी नेता को वरीयता देने की वकालत कर रहा है।दिलचस्प बात यह है कि हर्ष मल्होत्रा के साथ ही भाजपा ने महाराष्ट्र में केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू और पश्चिम बंगाल में डॉ. रविशंकर प्रसाद को चुनाव पर्यवेक्षक बनाया है, जो यह दिखाता है कि पार्टी नेतृत्व संगठनात्मक चुनावों को इस बार बेहद गंभीरता से ले रहा है।
सूत्रों की मानें तो देहरादून में अगले दो-तीन दिनों के भीतर गहन बैठकें होंगी और केंद्रीय पर्यवेक्षक संगठन के वरिष्ठ नेताओं, मुख्यमंत्री, सांसदों और अन्य प्रमुख नेताओं से अलग-अलग रायशुमारी करेंगे। इसके बाद 1 जुलाई तक नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा की जाएगी।फिलहाल भाजपा कार्यकर्ता और नेता सभी दिल्ली की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं । यह देखने के लिए कि अगली कमान किसके हाथ में दी जाएगी।
