
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 14 जून 2025*
*⛅दिन – शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2082*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – ग्रीष्म*
*🌤️ अमांत – 32 गाते ज्येष्ठ मास प्रविष्टि*
*🌤️ राष्ट्रीय तिथि – 24 ज्येष्ठ मास*
*⛅मास – आषाढ़*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – तृतीया 03:46 तक तत्पश्चात् चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र – उत्तराषाढा रात्रि 12:22 जून 15 तक तत्पश्चात् श्रवण*
*⛅योग – ब्रह्म दोपहर 01:13 तक तत्पश्चात् इन्द्र*
*⛅राहुकाल – सुबह 08:48 से सुबह 10:33 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:15*
*⛅सूर्यास्त – 07:19*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त – प्रातः 04:30 से प्रातः 05:12 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:13 से दोपहर 01:07*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:19 जून 15 से रात्रि 01:01 जून 15 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – कृष्ण पिङ्गलसंकष्टी चतुर्थी, सर्वार्थसिद्धि योग (रात्रि 12:22 जून 15 से प्रातः 05:54 जून 15 तक)*
*⛅विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
*🔹पढ़ने में रूचि न हो या सफलता न मिलती हो तो ….*
*जिन बच्चों का पढ़ाई की और रुझान नहीं होता अथवा कम होता है या काफी परिश्रम करके भी जिन्हें अध्ययन में पर्याप्त सफलता नहीं मिलती उनके लिए लाभदायी प्रयोग :*
*१ ग्राम कपूर और मौलसिरी (बकुल) का एक बीज पीसकर देशी गाय के २०० ग्राम घी में मिला दें । नित्य किसी भी समय ५ से १० मिनट तक संबंधित बच्चे के शयनकक्ष में इस मिश्रण से दीपक जलायें ।*
*🔹बुखार दूर करने हेतु🔹*
*चरक संहिता के चित्किसा स्थान में ज्वर ( बुखार) की चित्किसा का विस्तृत वर्णन करने के बाद अंत में आचार्य श्री चरकजी ने कहा है :*
*विष्णुं सहस्रमूर्धानं चराचरपतिं विभुम ।*
*स्तुवन्नामह्स्त्रेण ज्वरान सर्वानपोहति ।*
*👉🏻 ‘हजार मस्तकवाले, चर-अचर के स्वामी, व्यापक भगवान की सहस्त्रनाम से स्तुति करने से अर्थात विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से सब प्रकार के ज्वर छूट जाते हैं ।’*
*(पाठ रुग्ण स्वयं अथवा उसके कुटुम्बी करें )*
*🔹कमरे में कैसा बल्ब लगायें ?*
*लाल रंग का बल्ब कमरे में लगाने से उसमें रहनेवाले का स्वभाव चिड़चिड़ा होने लगता है ।*
*इसलिए कमरे में पारदर्शक, आसमानी अथवा हरे रंग का बल्ब लगाओ ताकि कमरे में रहनेवाले आनंदित रहें ।*
*🔹किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए🔹*
*संसार में और भगवान की प्राप्ति में सफल होने का सुंदर तरीका है :*
*१] अपनी योग्यता के अनुरूप परिश्रम में कोर-कसर न रखें ।*
*२] अंदर में त्याग-भावना हो । परिश्रम का फल, सफलता का फल भोगने की लोलूपता का त्याग हो ।*
*३] स्वभाव में स्नेह और सहानुभूति हो ।*
*४] लक्ष्यप्राप्ति के लिए तीव्र लगन हो ।*
*५] प्रफुल्लितता हो ।*
*६] निर्भयता हो ।*
*७] आत्मविश्वास हो ।*
*तो व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफल हो जायेगा ।*
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