
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 29 मई 2025*
*⛅दिन – गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2082*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – ग्रीष्म*
*🌤️ अमांत – 16 गते ज्येष्ठ मास प्रविष्टि*
*🌤️ राष्ट्रीय तिथि – 8 ज्येष्ठ मास*
*⛅मास – ज्येष्ठ*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – तृतीया रात्रि 11:18 तक तत्पश्चात् चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र – आद्रा रात्रि 10:38 तक तत्पश्चात् पुनर्वसु*
*⛅योग – शूल शाम 03:47 तक तत्पश्चात् गण्ड*
*⛅राहुकाल – दोपहर 01:58 से दोपहर 03:41 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:18*
*⛅सूर्यास्त – 07:12*
*⛅दिशा शूल – दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त – प्रातः 04:30 से प्रातः 05:12 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:10 से दोपहर 01:04*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:16 मई 30 से रात्रि 12:58 मई 30 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – महाराणा प्रताप जयंती, सर्वार्थसिद्धि योग ( रात्रि 10:38 से प्रातः 05:54 मई 30 तक)*
*⛅विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं को वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
*🔹गर्मियों में खरबूजा सेवन से स्वास्थ्य लाभ*
*🔸खरबूजा गर्मियों का एक गुणकारी फल है। यह शरीर में पानी की कमी को दूर करता है और उसे तरोताजा बनाये रखता है। खरबूजा सेहत से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में मददगार है। यह विटामिन्स का अच्छा स्रोत है।*
*🔸आयुर्वेद के अनुसार खरबूजा स्निग्ध, शीतल, बल-वीर्यवर्धक, पेट एवं आंतों की शुद्धि करनेवाला तथा वायु व पित्त शामक होता है। इसके बीज शीतल, मूत्रजनक व बलवर्धक होते हैं।*
*🔸खरबूजा हृदयरोग, उच्च रक्तचाप (हाई बी.पी.) और रक्त-संचारसंबंधी रोगों में लाभकारी है। शारीरिक श्रम के बाद इसे खाने से थकान दूर होती है और तृप्ति मिलती है । खरबूजे के सेवन से पेशाब खुलकर आता है व पेशाब की मात्रा भी बढ़ती है। अतः यह पथरी व गुर्दे संबंधी रोगों को ठीक करने में मदद करता है। आंतों में चिपके मल को बाहर निकालता है। आँखों व त्वचा को स्वस्थ रखता है। यह नेत्रज्योति व रोगप्रतिरोधकता को बढ़ाता है।*
*🔸खरबूजे के छिलके रहित बीजों को बारीक पीस के देशी घी में भून लें। इसमें मिश्री मिला के खाने से चक्कर आना, पागलपन, सुस्ती, आलस्य आदि विकारों में लाभ होता है।*
*🔸सावधानियाँ : 1. खरबूजे को ठंडा करके संतुलित मात्रा में खायें। ज्यादा मात्रा में सेवन हानिकारक है।*
*2. खरबूजे को किसी अन्य आहार के साथ न खायें। खट्टे, खारे रसवाले तथा रासायनिक ढंग से पके खरबूजे का सेवन न करें।*
*3. सुबह खाली पेट खरबूजा न खायें । इसे खाने के बाद तुरंत पानी न पियें।*
*🔹घरेलु सात्त्विक शिशु आहार (Baby Food)*
*🔸आजकल बालकों को दूध के आलावा बाजारू बेबीफूड (फँरेक्स आदि) खिलाने की रीति चल पड़ी है। बेबीफूड बनाने की प्रक्रिया में अधिकांश पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं, कई बार कृत्रिम रूप से वापस मिलाये जाते हैं, जिसे बालकों की आंतें अवशोषित नही कर पाती। बेबीफूड का मुख्य घटक अतिशय महीन पिसा हुआ गेहूँ का आटा है, जो चिकना होने के कारण आंतों में चिपक जाता है। आटा पीसने के बाद एक हप्ते में ही गुणहीन हो जाता है जबकि बेबीफूड तैयार होने के बाद हाथ में आने तक तो कई हफ्ते गुजर जाते हैं। ऐसे हानिकारक बेबीफूड की अपेक्षा शिशुओं के लिए ताजा, पौष्टिक व सात्त्विक खुराक परम्परागत रीति से हम घर में ही बना सकते हैं।*
*🔸विधि : १ कटोरी चावल (पुराने हो तो अच्छा), २ – २ चम्मच मूँग की दाल व गेंहूँ – इन सबको साफ करके धोकर छाँव में अच्छी तरह से सुखा लें। धीमी आँच पर अच्छे – से सेंक लें। मिक्सर में महीन पीस के छान लें। ३ – ४ माह के बालक के लिए शुरुआत में आधा कप पानी में आधा छोटा चम्मच मिलाकर पका लें। थोडा–सा सेंधा नमक डालकर पाचनशक्ति अनुसार दिन में एक या दो बार दे सकते हैं। धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाते जायें। बालक बड़ा होने पर इसमें उबली हुई हरी सब्जियाँ, पिसा जीरा, धनिया भी मिला सकते हैं। हर ७ दिन बाद ताजा खुराक बना लें।*
*🔸यह स्वादिष्ट व पचने में अतिशय हल्का होता है। साथ ही शारीरिक विकास के लिए आवश्यक प्रोटीन्स, खनिज व कार्बोहाइड्रेटस की उचित मात्रा में पूर्ति करता है।*
*🌳🌳पेड़ लगाए अपना कर्तव्य निभाए🌳🌳*
अपने लिए अपने भविष्य के लिए अपने मा बाप देव ऋण मिटाने के लिए एक व्यक्ति दस पेड़ सभी पेड़ अपने आने वाले कल के नाम पर जरूर लगाए
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