
.सरकार द्वारा निर्धारित मद से अलग किसी मद के तहत शुल्क लेने पर रोक
दोबारा प्रवेश शुल्क, काशन मनी आदि के नाम पर ली गयी धनराशि वापस करने के निर्देश
पहाड़ का सच काशीपुर/देहरादून।
प्राइवेट विद्यालय खर्चोें को पूरा करने की सीमा तक ही फीस वसूल सकते हैं, न कि संचालकों के निजी खर्चों या स्कूल की सम्पत्तियां बढ़ाने के लिए इसकी वसूली की जा सकती है। सरकार द्वारा निर्धारित मद के अतिरिक्त किसी मद के तहत फीस तथा दोबारा प्रवेश शुल्क व काशन मनी आदि लेने पर भी रोक है। यदि अधिक फीस ली गयी है तो विद्यालयों को उन्हें वापस करना होगा। इन नियमों का पालन करवाने के महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा के सर्कुलर 2 अप्रैल 2025 निदेशक माध्यमिक शिक्षा के 24 मार्च 2025 के पत्र से सभी मुख्य शिक्षाधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक, उत्तराखंड के कार्यालय से प्राइवेट स्कूलों के शुल्क, पुस्तकों, ड्रेस आदि के नाम पर अभिभावकों के शोषण के सम्बन्ध में कार्यवाही की सूचना चाही थी। इसके उत्तर में लोेक सूचना अधिकारी/मु प्रशासनिक अधिकारी आरआर सोलियाल ने महानिदेशक विद्यालय शिक्षा बंशीधर तिवारी के प्रदेश में संचालित निजि विद्यालयों द्वारा लिये जा रहे अत्यधिक शुल्क एवं पुस्तकों के क्रम के सम्बन्ध में निर्देश का पालन कराने सम्बन्धी पत्र 2 अप्रैल 2025 तथा निदेशक माध्यमिक शिक्षा डा मुकुल कुमार सती के पत्र दिनांक 24 मार्च 2025 की फोटो प्रति उपलब्ध करायी गयी है।
नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार निदेशक माध्यमिक शिक्षा उत्तराखंड के पत्रांक 25694-97 24 मार्च 2025 से उत्त्राखण्ड के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को सी.बी.एस.ई. की अधिसूचना 18-10-2018 तथा उत्तराखंड उच्च न्यायालय के याचिका संख्या 640/645/669/811/813/835/2018 एवं 3302/2017 में आदेश 13-04-2018 का अक्षरशः पालन कराने के निर्देश दिये गये हैं। इसका उल्लंघन करने पर इनकी मान्यता समाप्ति के कार्यवाही तथा पैनल्टी लगानेे के भी निर्देश दिये गये हैं।
निदेशक के पत्र में स्पष्ट किया गया है कि विद्यालय उसी सीमा में शुल्क वसूल करने का प्रयास करें जिसमें विद्यालय के संचालन हेतु खर्चों को पूरा किया जा सकें। इसमें दाखिले के प्रयोजनार्थ शुल्क या चंदा न लेने, दाखिला शुल्क और कोई अन्य शुल्क सरकार के विनियमों के अनुसार ही लेने, शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित शीर्ष/मद के अतिरिक्त कोई शुल्क न लेने, प्रवेश होने के बाद अगली मद हेतु दोबारा कामन मनी या प्रवेश शुल्क न लेना, फीस की बढ़ोतरी सरकार द्वारा निर्धारित प्रक्रिया लागू करके करने के नियम शामिल है।
इसके अतिरिक्त उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुये निर्धारित बुकसेलरों से पुस्तके खरीदने को बाध्य करने तथा पुरानी पाठ्य पुस्तकों को न प्रयोग करने देने पर भी रोक लगायी गयी है। इसके अतिरिक्त छात्र-छात्राओं के आने जाने हेतु जिन बसों का प्रयोग किया जा रहा हैं। उन बसों में अनिवार्य रूप से कैमरे लगाने के निर्देश भी दिये गये हैं।
महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा तथा निदेशक माध्यमिक शिक्षा के पत्रों से स्पष्ट किया गया है कि यदि छात्र-छात्राओं से अतिरिक्त शुल्क लिया गया है तो वांछित धनराशि अभिभावकों को तत्काल वापस की जायेगी।
इस बारे में ” पहाड़ का सच” ने शिक्षा मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत से बातचीत की। उन्होंने कहा कि इस तरह की शिकायतें देहरादून व आसपास के कई प्राइवेट स्कूल संचालकों की मिली हैं। बताया गया है कि संचालन करने वालों द्वारा मनमानी फीस वसूली गई है। साथ ही उत्तीर्ण होने पर नई क्लास में 25 फीसद फीस व एडमिशन फीस के नाम पर अभिभावकों से धन वसूला जा रहा है। ऐसे मामलों की तत्काल जांच कर विद्यालयों की मान्यता रद्द की जाएगी।
