
– लोगों की मांग सरकार या तो पर्याप्त मुआवजा दें या फिर उनके रहने की कहीं व्यवस्था करे
– फिलहाल सभी बस्तियों का सर्वे किया जा रहा है, उसके बाद लिया जाएगा कोई फैसला- जिलाधिकारी
पहाड़ का सच देहरादून।
देहरादून शहर में बढ़ते ट्रैफिक से निजात दिलाने के लिए शहर के बीचों बीच बहने वाली रिस्पना और बिंदाल नदी पर दो बड़ी एलिवेटेड सड़क बनाई जा रही है। इस प्रोजेक्ट के तहत रिस्पना नदी और बिंदाल नदी के ऊपर दो अलग-अलग फोरलेन एलिवेटेड रोड बनाई जाएंगी। रिस्पना नदी के ऊपर रिस्पना पुल से नागपुर तक 11 किलोमीटर और बिंदाल नदी पर कारगी चौक से राजपुर रोड पर साइन मंदिर के पास तक 15 किलोमीटर की एलिवेटेड सड़क बनाई जाएगी।
लोनिवि के अनुसार रिस्पना नदी किनारे 11 मोहल्ले और बिंदाल नदी किनारे से 16 मोहल्ले प्रभावित हो रहे हैं। जिनमें से कच्चे-पक्के मकान की बात करें तो 1,120 मकान रिस्पना और 1,494 मकान बिंदाल नदी किनारे के प्रभावित होंगे। तकरीबन 6100 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट के लिए घनी बसावट से घिरी रिस्पना और बिंदाल नदी के आसपास बसे तकरीबन 2600 मकान जद में आ रहे हैं।
इन दिनों इस निर्माण कार्य से संबंधित भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया गतिमान है। इसी के तहत प्रोजेक्ट के अधीन आने वाली संपत्तियां का चिन्हीकरण शुरू हो चुका है। बीती 14 मई से शुरू हुए डिमार्केशन की प्रक्रिया के तहत गुरुवार को रिस्पना नदी के किनारे बसी भगत सिंह कॉलोनी में तकरीबन दो दर्जन निशान लगाए गए।
इसके तहत लोगों के घर, दुकान, ट्रांसफॉर्मर, पुश्ता और मस्जिद के कुछ हिस्से को भी लोक निर्माण विभाग के सर्वे कर्मचारियों ने निशाना लगाया। इस तरह से रिस्पना नदी के किनारे बसी भगत सिंह कॉलोनी में काफी सारे निशान लगाए गए। इन निशानों के लगने से क्षेत्र के लोगों में काफी भय का माहौल देखने को मिला।ज्यादातर स्थानीय लोगों को इसकी जानकारी नहीं है कि सरकार ने उनके घरों पर निशान तो लगा लिए, लेकिन उनके साथ आगे क्या होने वाला है, इसको लेकर कुछ नहीं बताया गया है। इससे लोग काफी चिंतित नजर आए।
हालांकि, लोगों का कहना है कि बिजली, पानी सब यहां सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाती है। सरकार उनसे वोट भी हासिल करती है। उन्होंने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि यदि जनता की सुविधा के लिए उनकी कॉलोनी के लोगों के घरों को उजाड़ा जा रहा है तो ये वही लोग हैं, जिनके वोट की राजनीतिक पार्टियों को जरूरत होती है, लेकिन आज उन्हीं के सामने बड़ी चुनौती है। उनका कहना है कि सरकार यदि उनके घरों को अधिग्रहित कर रही है तो सरकार या तो पर्याप्त मुआवजा दें या फिर उनके रहने की कहीं व्यवस्था करे।
स्थानीय लोगों के सवालों और मांगों को लेकर जिलाधिकारी देहरादून बंसल का कहना है कि इस एलिवेटेड रोड से लगभग 2600 घर विस्थापित होंगे। इसको लेकर हम नई पुनर्वास नीति पर काम कर रहे हैं। नगर निगम और एमडीडीए की जमीन पर बने घरों को ही पुनर्वास किया जाए इस प्रक्रिया पर हम काम कर रहे हैं। अभी फिलहाल सभी बस्तियों का सर्वे किया जा रहा है। उसके बाद कोई फैसला लिया जाएगा।
