– 18 साल की उम्र में घर छोड़कर समाज सेवा में जुट गई थी
– वर्तमान में कौसानी के लक्ष्मी आश्रम में रहती हैं राधा बहन
पहाड़ का सच देहरादून।
उत्तराखंड में सामाजिक व पर्यावरण के क्षेत्र में अहम कार्य करने वाली राधा बहन को पद्मश्री सम्मान दिया जाएगा। वर्तमान में राधा बहन कौसानी के लक्ष्मी आश्रम में रहती हैं ।
केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर रा धा बहन के नाम की घोषणा की। कौसानी में रह्नकर समाज सेवा में जुटी राधा बहन को पद्म श्री मिलने पर सीएम धामी ने बधाई दी। 18 साल की उम्र में घर छोड़कर समाज सेवा के लिए जीवन अर्पित करने वाली राधा बहन भट्ट का जन्म 16 अक्तूबर 1933 में अल्मोड़ा जिले के धुरका गांव में कमलापति और रेवती भट्ट के घर में हुआ था। वह युवावस्था में घर छोड़ कर कौसानी आ गईं थीं। यहां उन्होंने बालिका शिक्षा देने और उन्हें जीवन जीने की कला सिखाने पर कार्य किया।
वर्ष 1957 में भूदान आंदोलन के साथ उनकी पदयात्रा शुरू हुई। बालिका शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, जल, जंगल, जमीन, ग्राम स्वराज, शराब आंदोलन, युवा महिला सशक्तीकरण, सर्वोदय आंदोलनों में उन्होंने बढ़ चढ़कर भागीदारी की। वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शिष्या सरला बहन के कार्यों से प्रभावित होकर उनकी अनुयायी बनीं। उन्होंने वर्ष 975 में सरला बहन के 75वें जन्मदिन पर पद यात्रा शुरू की। 75 दिनों की लंबी यात्रा में वन संरक्षण, चिपको आंदोलन, शराब विरोध, ग्राम स्वराज की स्थापना के लिए लोगों को जागरूक किया।
उन्होंने साल 1976 में देवीधूरा ब्लॉक से 65 गांवों की पदयात्रा की। इस दौरान उन्होंने 40 बालवाड़ी, 30 महिला संगठन, 12 गांव के लोगों को कृषि के लिए प्रेरित किया। 1980 में उन्होंने खनन के खिलाफ आवाज उठाई। 2006 से 2010 तक प्रदेश के हिमालय और नदियों का सर्वेक्षण करते हुए हाइड्रो पावर परियोजनाओं का विरोध किया। समाजसेवा के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
कौसानी के लक्ष्मी आश्रम से जुड़ीं राधा बहन वर्तमान में भी समाज सेवा से जुड़ी हैं। जानकारी है कि राधा बहन दिसंबर में कौसानी से गुजरात के बड़ौदा गईं थी। एक महीने वहां रहने के बाद वर्तमान में महाराष्ट्र के वर्धा में सेवाग्राम में हैं। जल्द ही कौसानी लौटेंगी।