पहाड़ का सच, देहरादून।
निकाय चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने मनपसंद प्रत्याशी को वोट नहीं कर पाए। दरअसल, हरीश रावत मतदान के लिए उत्सुक तो थे, लेकिन चाह कर भी वो मतदान नहीं कर पाए। ऐसा इसलिए क्योंकि हरीश रावत का मतदाता सूची में नाम ही दर्ज नहीं किया गया था। हैरत की बात यह है कि काफी खोजबीन के बाद भी हरीश रावत को अपना नाम मतदाता सूची में नहीं मिल पाया।
निकाय चुनाव में मतदान के बीच हरीश रावत ने प्रदेशवासियों को एक नया संदेश दिया है। हरीश रावत ने कहा कि अब मतदाताओं को अपने मतदान सूची में नाम की सुरक्षा खुद करनी होगी। उन्होंने कहा कि जो गलती उन्होंने की है। लोग उस गलती को ना दोहराएं और मतदाता सूची में उनका नाम दर्ज है, इसकी खुद निगरानी करें।
मिली जानकारी के मुताबिक हरीश रावत का वोट देहरादून नगर निगम के वार्ड नंबर वार्ड नंबर 76 में है. गुरुवार 23 जनवरी को उन्होंने अपने बूथ पर वोट डालने के लिए पार्टी कार्यकर्तओं से अपनी मतदाता सूची से पर्ची लाने के लिए कहा. जब पार्टी के कार्यकर्ता मतदान केंद्र पर पहुंचकर मतदाता सूची में उनका नाम ढूंढने लगे तो पता चला कि हरीश रावत का नाम मतदाता सूची में मौजूद ही नहीं था. काफी कोशिश के बाद भी मतदाता सूची में हरीश रावत का नाम नहीं मिला।
इसके बाद हरीश रावत ने राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से भी बातचीत की तो उन्होंने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि फिलहाल आयोग की वेबसाइट धीमी चल रही है और वह उनके नाम को लेकर मौजूदा स्थिति देखने की कोशिश करेंगे।
मुझे पहले से ही सचेत रहना चाहिए था। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी चुनाव में किसी भी स्तर पर जीत पाने के लिए कदम उठा सकती है। उन्हें पहले ही इस बात को लेकर आश्वस्त हो जाना चाहिए था कि कहीं मतदाता सूची में उनका नाम काट तो नहीं दिया गया है।
-हरीश रावत, पूर्व सीएम-