– यूपी, चंडीगढ़ और राजस्थान में निजीकरण के खिलाफ देश भर के बिजली कर्मचारियों ने एक घंटे काम नहीं किया
पहाड़ का सच, नई दिल्ली/देहरादून।
बिजली कर्मचारियों की राष्ट्रीय समन्वय समिति के निर्देशानुसार उत्तर प्रदेश, राजस्थान और चंडीगढ़ के बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए मंगलवार को देश भर के बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों और इंजीनियरों ने एक घंटे के लिए काम बंद कर निजीकरण का विरोध किया।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे के अनुसार विरोध प्रदर्शन पंजाब, असम, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, पुडुचेरी, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में किया गया। देश भर में सभी बिजली कंपनियों के कर्मचारियों ने अपना काम छोड़ दिया और यूपी, चंडीगढ़ और राजस्थान में बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया।
फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि बिजली क्षेत्र की संपत्तियों की लूट न केवल उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ डालेगी बल्कि सार्वजनिक उपयोगिताओं के बुनियादी ढांचे और स्थिरता को भी कमजोर करेगी। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों के सभी ट्रेड यूनियन नेताओं ने एक स्वर में कहा कि वे उत्तर प्रदेश, राजस्थान और चंडीगढ़ बिजली विभाग के बिजली निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों के संघर्ष का पूरा समर्थन करते हैं।
एनसीसीओईईई की ओर से एआईपीईएफ के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि यूपी सरकार ने आने वाले दिनों में पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम को भी निजी हाथों में सौंपने का फैसला किया है। जिसके खिलाफ यूपी के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर मजबूती से लड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी नए साल के पहले दिन काली पट्टी बांधकर मानव श्रृंखला बनाकर काला दिवस मनाएंगे। नए साल के मौके पर बिजली कर्मचारी पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन और शीर्ष प्रबंधन का सामाजिक बहिष्कार करेंगे।
देश भर में विभिन्न वक्ताओं ने निजीकरण के प्रतिकूल प्रभावों पर जोर दिया, बिजली दरों में संभावित वृद्धि और प्रभावित राज्यों में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के लिए सेवा शर्तों में संभावित गिरावट पर प्रकाश डाला। चंडीगढ़ में करोड़ों रुपये की बिजली परिसंपत्तियों को सौंपे जाने के विरोध में बिजली कर्मचारियों के साथ-साथ आम उपभोक्ता भी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए हैं। निजी कंपनी एमिनेंट इलेक्ट्रिक कंपनी को महज 20 हजार करोड़ रु. 871 करोड़. राजस्थान में बिजली वितरण के निजीकरण के लिए बड़े पैमाने पर बोली प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों के साथ हुए दो समझौतों का खुला उल्लंघन करते हुए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण करने का फैसला सुनाया गया है।